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करुणामूलक संघ ने किया हिमाचल विधानसभा का घेराव, सरकार को दी यह चेतावनी

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Published : Aug 6, 2021, 2:07 PM IST

राजधानी शिमला में करुणामूलक संघ ने शुक्रवार को अपनी मांगों को लेकर विधानसभा का घेराव किया. संघ के अध्यक्ष अजय कुमार का कहना है कि बजट सत्र के दौरान सीएम ने करुणामूलकों आश्रितों के लिए स्थाई नीति बनाने के लिए एक महीने का समय मांगा था. लेकिन, 6 महीने बीत जाने के बाद भी इस पर कोई विचार नहीं किया गया. वहीं, विधानसभा सत्र के दौरान सीएम ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में कमेटी बनाने की बात कही है.

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फोटो.

शिमला: हिमाचल प्रदेश करुणामूलक संघ ने शुक्रवार को प्रदेश विधानसभा का घेराव किया. करुणामूलक संघ प्रदेश सरकार से स्थाई नीति बनाए जाने की मांग कर रहा है. अपनी मांगों को लेकर आज करुणामूलक संघ प्रदेश विधानसभा के बाहर प्रदेश सरकार के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की.

हिमाचल प्रदेश करुणामूलक संघ के अध्यक्ष अजय कुमार का कहना है कि बजट सत्र के दौरान उन्होंने प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से मुलाकात की थी. मुलाकात के दौरान मुख्यमंत्री ने 1 महीने का समय मांगा था. लेकिन, 6 महीने का समय बीत जाने के बाद भी करुणामूलक आश्रितों के लिए कोई नीति नहीं बनाई गई है. विधानसभा का घेराव करते हुए अध्यक्ष अजय कुमार ने कहा कि सरकार की ओर से उन्हें विधानसभा घेराव करने के लिए मजबूर किया जा रहा है. उन्होंने प्रदेश सरकार को चेताया कि यदि उनके लिए समय रहते नीति नहीं बनाई गई, तो आने वाले चुनावों में सरकार को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा.

वीडियो.

करुणामूलक संघ ने प्रदेश सरकार को 10 अगस्त तक का अल्टीमेटम दिया है. आपको बता दें कि करुणामूलक संघ के सदस्य 30 जुलाई से क्रमिक भूख हड़ताल पर भी बैठे हुए हैं. वहीं, विधानसभा सत्र के 5वें दिन नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने सरकार से करुणामूलक आश्रितों के लिए नीति बनाने संबंधी सवाल पूछा. इस पर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने सदन में जवाब देते हुए कहा कि प्रदेश सरकार करुणामूलक आश्रितों के लिए चिंतित है. उन्होंने कहा कि सरकार इसे गंभीरता से ले रही है.

7 मार्च 2019 को संशोधित नीति लागू की गई है. पहले 50 वर्ष आयु की लिमिट रखी गई थी. इसमें मानवीय दृष्टिकोण नहीं था, इसलिए सरकार ने संशोधन कर अंतिम दिन किसी भी कर्मचारी की मौत पर उसके परिजन को करुणामूलक आधार पर नौकरी देने का पात्र बनाया. इसके साथ ही आय सीमा को ढाई लाख रुपए किया गया है.

मुख्यमंत्री ने सदन में जानकारी देते हुए बताया कि जुलाई, 2019 तक करुणामूलक आश्रितों के 4 हजार 40 मामले थे. इसमें 2 हजार 779 एप्लीकेशन ही बची हैं. मुख्यमंत्री ने कहा कि इस मामले की गंभीरता को देखते हुए प्रदेश के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में कमेटी बनाकर विचार किया जाएगा.

ये भी पढ़ें: जल्द हल होगा करुणामूलक आश्रितों का मसला, मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित होगी कमेटी

शिमला: हिमाचल प्रदेश करुणामूलक संघ ने शुक्रवार को प्रदेश विधानसभा का घेराव किया. करुणामूलक संघ प्रदेश सरकार से स्थाई नीति बनाए जाने की मांग कर रहा है. अपनी मांगों को लेकर आज करुणामूलक संघ प्रदेश विधानसभा के बाहर प्रदेश सरकार के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की.

हिमाचल प्रदेश करुणामूलक संघ के अध्यक्ष अजय कुमार का कहना है कि बजट सत्र के दौरान उन्होंने प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से मुलाकात की थी. मुलाकात के दौरान मुख्यमंत्री ने 1 महीने का समय मांगा था. लेकिन, 6 महीने का समय बीत जाने के बाद भी करुणामूलक आश्रितों के लिए कोई नीति नहीं बनाई गई है. विधानसभा का घेराव करते हुए अध्यक्ष अजय कुमार ने कहा कि सरकार की ओर से उन्हें विधानसभा घेराव करने के लिए मजबूर किया जा रहा है. उन्होंने प्रदेश सरकार को चेताया कि यदि उनके लिए समय रहते नीति नहीं बनाई गई, तो आने वाले चुनावों में सरकार को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा.

वीडियो.

करुणामूलक संघ ने प्रदेश सरकार को 10 अगस्त तक का अल्टीमेटम दिया है. आपको बता दें कि करुणामूलक संघ के सदस्य 30 जुलाई से क्रमिक भूख हड़ताल पर भी बैठे हुए हैं. वहीं, विधानसभा सत्र के 5वें दिन नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने सरकार से करुणामूलक आश्रितों के लिए नीति बनाने संबंधी सवाल पूछा. इस पर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने सदन में जवाब देते हुए कहा कि प्रदेश सरकार करुणामूलक आश्रितों के लिए चिंतित है. उन्होंने कहा कि सरकार इसे गंभीरता से ले रही है.

7 मार्च 2019 को संशोधित नीति लागू की गई है. पहले 50 वर्ष आयु की लिमिट रखी गई थी. इसमें मानवीय दृष्टिकोण नहीं था, इसलिए सरकार ने संशोधन कर अंतिम दिन किसी भी कर्मचारी की मौत पर उसके परिजन को करुणामूलक आधार पर नौकरी देने का पात्र बनाया. इसके साथ ही आय सीमा को ढाई लाख रुपए किया गया है.

मुख्यमंत्री ने सदन में जानकारी देते हुए बताया कि जुलाई, 2019 तक करुणामूलक आश्रितों के 4 हजार 40 मामले थे. इसमें 2 हजार 779 एप्लीकेशन ही बची हैं. मुख्यमंत्री ने कहा कि इस मामले की गंभीरता को देखते हुए प्रदेश के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में कमेटी बनाकर विचार किया जाएगा.

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