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ट्राइबल रिसर्च इंस्टीट्यूट को वापस लाने की HPU करेगा कोशिश, प्रस्ताव तैयार

हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से 1 साल पहले छीने के ट्राइबल रिसर्च इंस्टीट्यूट को वापस पाने के लिए एचपीयू दोबारा केंद्र सरकार और प्रदेश सरकार के समक्ष मांग उठाएगा.

HPU
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Published : Aug 23, 2019, 4:46 PM IST

शिमला: हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से 1 साल पहले छीने हुए ट्राइबल रिसर्च इंस्टीट्यूट को वापस पाने के लिए एचपीयू एक बार फिर से केंद्र सरकार के साथ ही राज्य सरकार के समक्ष इस मामले को उठाने जा रहा है. इस बार एचपीयू अपने काम के आधार पर इस ट्राइबल रिसर्च इंस्टीट्यूट को वापस से एचपीयू को देने की मांग उठाएगा.

इसके लिए पूरा प्रस्ताव भी तैयार किया जा रहा है जिसे सितंबर महीने के अंत में या अक्टूबर महीने की शुरुआत में केंद्र सरकार और प्रदेश सरकार को सौंपा जाएगा. इस प्रस्ताव में एचपीयू 1 साल में ट्राइबल रिसर्च इंस्टीट्यूट को दिए गए प्रोजेक्ट्स पर कितना काम किया गया और किस तरह का काम किया गया है इस बारे में सरकार को बताएगी.

केंद्र ने एचपीयू से इस शोध संस्थान को लेकर प्रदेश सरकार को दे दिया था और वर्तमान में प्रदेश का जनजातीय केंद्र इस संस्थान को चला रहा है. हालांकि इस शोध संस्थान को एचपीयू से वापस लिए जाने और सरकार को दिए जाने के बाद कितना कार्य किया गया इसकी रिपोर्ट अभी सामने नहीं आई है.

इस रिपोर्ट को आधार बनाकर एचपीयू प्रशासन एक बार फिर से केंद्र के जनजातीय मंत्रालय को अनुरोध करने जा रहा है कि एचपीयू को यह ट्राइबल रिसर्च इंस्टीट्यूट दोबारा से दिया जाए जिससे कि प्रदेश के जनजातीय क्षेत्रों और वहां के लोगों के जीवन पर और बेहतर शोध कार्य किया जा सके.

इससे पहले भी इस मांग को एचपीयू केंद्र और प्रदेश सरकार के समक्ष भी उठा चुका है लेकिन इसका एचपीयू को कोई लाभ नहीं मिल पाया है. भले ही अब संस्थान एचपीयू के पास ना रहा हो लेकिन ट्राइबल स्टडी विभाग के तहत भी एचपीयू ने इन प्रोजेक्टस पर काम कर पूरी रिपोर्ट तैयार कर ली है.

एचपीयू ट्राइबल स्टडीज के निदेशक प्रो.चन्द्र मोहन परशिरा का कहना है कि इसी कार्य की रिपोर्ट देने के साथ ही एचपीयू प्रदेश के जनजातीय केंद्र के एक वर्ष ने किए गए कार्य का आंकलन करने का अनुरोध भी केंद्र से करेगी. एचपीयू को अगर यह संस्थान वापस मिलता है तो ट्राइबल स्टडीज में डिप्लोमा कर रहे छात्रों को ट्राइबल पर शोध के लिए अलग-अलग प्रोजेक्ट मिल पाएंगे. वहीं, एचपीयू के पास शोध कार्य करने के लिए एक्सपर्ट है जिनकी सरकार के पास उपलब्धता नहीं है, ऐसे में एचपीयू के शोध कार्य में गुणवत्ता आएगी.

शिमला: हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से 1 साल पहले छीने हुए ट्राइबल रिसर्च इंस्टीट्यूट को वापस पाने के लिए एचपीयू एक बार फिर से केंद्र सरकार के साथ ही राज्य सरकार के समक्ष इस मामले को उठाने जा रहा है. इस बार एचपीयू अपने काम के आधार पर इस ट्राइबल रिसर्च इंस्टीट्यूट को वापस से एचपीयू को देने की मांग उठाएगा.

इसके लिए पूरा प्रस्ताव भी तैयार किया जा रहा है जिसे सितंबर महीने के अंत में या अक्टूबर महीने की शुरुआत में केंद्र सरकार और प्रदेश सरकार को सौंपा जाएगा. इस प्रस्ताव में एचपीयू 1 साल में ट्राइबल रिसर्च इंस्टीट्यूट को दिए गए प्रोजेक्ट्स पर कितना काम किया गया और किस तरह का काम किया गया है इस बारे में सरकार को बताएगी.

केंद्र ने एचपीयू से इस शोध संस्थान को लेकर प्रदेश सरकार को दे दिया था और वर्तमान में प्रदेश का जनजातीय केंद्र इस संस्थान को चला रहा है. हालांकि इस शोध संस्थान को एचपीयू से वापस लिए जाने और सरकार को दिए जाने के बाद कितना कार्य किया गया इसकी रिपोर्ट अभी सामने नहीं आई है.

इस रिपोर्ट को आधार बनाकर एचपीयू प्रशासन एक बार फिर से केंद्र के जनजातीय मंत्रालय को अनुरोध करने जा रहा है कि एचपीयू को यह ट्राइबल रिसर्च इंस्टीट्यूट दोबारा से दिया जाए जिससे कि प्रदेश के जनजातीय क्षेत्रों और वहां के लोगों के जीवन पर और बेहतर शोध कार्य किया जा सके.

इससे पहले भी इस मांग को एचपीयू केंद्र और प्रदेश सरकार के समक्ष भी उठा चुका है लेकिन इसका एचपीयू को कोई लाभ नहीं मिल पाया है. भले ही अब संस्थान एचपीयू के पास ना रहा हो लेकिन ट्राइबल स्टडी विभाग के तहत भी एचपीयू ने इन प्रोजेक्टस पर काम कर पूरी रिपोर्ट तैयार कर ली है.

एचपीयू ट्राइबल स्टडीज के निदेशक प्रो.चन्द्र मोहन परशिरा का कहना है कि इसी कार्य की रिपोर्ट देने के साथ ही एचपीयू प्रदेश के जनजातीय केंद्र के एक वर्ष ने किए गए कार्य का आंकलन करने का अनुरोध भी केंद्र से करेगी. एचपीयू को अगर यह संस्थान वापस मिलता है तो ट्राइबल स्टडीज में डिप्लोमा कर रहे छात्रों को ट्राइबल पर शोध के लिए अलग-अलग प्रोजेक्ट मिल पाएंगे. वहीं, एचपीयू के पास शोध कार्य करने के लिए एक्सपर्ट है जिनकी सरकार के पास उपलब्धता नहीं है, ऐसे में एचपीयू के शोध कार्य में गुणवत्ता आएगी.

Intro:हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से 1 साल पहले छीने के ट्राईबल रिसर्च इंस्टीट्यूट को वापस पाने के लिए एचपीयू एक बार फिर से केंद्र सरकार के साथ ही राज्य सरकार के समक्ष इस मामले को उठाने जा रहा है। इस बार एचपीयू अपने काम के आधार पर इस ट्राईबल रिसर्च इंस्टीट्यूट को वापस से एचपीयू को देने की मांग उठाएगा। इसके लिए पूरा प्रस्ताव भी तैयार किया जा रहा है जिसे सितंबर माह के अंत या अक्टूबर माह की शुरुआत में केंद्र सरकार के साथ ही प्रदेश सरकार को सौंपा जाएगा। इस प्रस्ताव में एचपीयू 1 साल में ट्राईबल रिसर्च इंस्टीट्यूट को दिए गए पप्रोजेक्ट्स पर कितना काम किया गया और किस तरह का काम किया गया है इस बारे में सरकार को अवगत करवाएगा। एचपीयू का प्रयास है कि उनके काम का आंकलन करने के बाद सरकार यह तय करे कि इस ट्राईबल रिसर्च इंस्टीट्यूट को एचपीयू को वापस देना है या नहीं।


Body:एचपीयू में ट्राइबल स्टडीज विभाग के साथ ही केंद्र के जनजातीय मंत्रालय की ओर से यहां ट्राइबल रिसर्च संस्थान बनाया गया था। इसका उद्देश्य ट्राईबल क्षेत्रों में और ट्राईबल क्षेत्रों के लोगों के जीवन से जुड़े विषयों पर शोध करना था जो एचपीयू ने किया, लेकिन इसके बाद बीते वर्ष इस संस्थान को एचपीयू से यह कह कर वापिस ले लिया गया की इस संस्थान के तहत बेहतर कार्य एचपीयू नहीं कर पा रहा है। केंद्र ने एचपीयू से इस शोध संस्थान को लेकर प्रदेश सरकार को दे दिया गया अब वर्तमान में प्रदेश का जनजातीय केंद्र इस संस्थान को चला रहा है। हालांकि इस शोध संस्थान के एचपीयू से वापिस लिए जाने और सरकार को दिए जाने के बाद कितना कार्य किया गया इसकी रिपोर्ट अभी सामने नहीं आई है ।अब इसी को आधार बनाकर एचपीयू प्रशासन एक बार फिर से प केंद्र के जनजातीय मंत्रालय को अनुरोध करने जा रहा है कि एचपीयू को यह ट्राईबल रिसर्च इंस्टिट्यूट दोबारा से दिया जाए जिससे कि प्रदेश के जनजातीय क्षेत्रों और वहां के लोगों के जीवन पर और बेहतर शोध कार्य किया जा सके। इससे पहले भी इस मांग को एचपीयू केंद्र के साथ ही प्रदेश सरकार के समक्ष भी उठा चुका है लेकिन इसका कोई लाभ एचपीयू को नहीं मिल पाया है लेकिन अब संस्थान के वापिस लिए जाने के एक साल अंतराल में इस संस्थान के तहत जो भी प्रोजेक्ट शोध कार्य के लिए उन्हें दिए गए थे उन पर काम एचपीयू ने पूरा किया है। भले ही अब संस्थान एचपीयू के पास ना रहा हो लेकिन ट्राईबल स्टडी विभाग के तहत भी एचपीयू ने इन प्रोजेक्टस पर काम कर पूरी रिपोर्ट तैयार कर ली है।


Conclusion:एचपीयू ने एक साल में गुजर्र ट्राइब पर अध्ययन कर एक किताब प्रकाशित की है। इसके साथ ही ट्राइबल लैंडस्केप की एक फोटो जर्नी बुक, फारेस्ट राइट्स ओर ट्राइबल के अन्य अधिकारों पर भी शोध किया है। एचपीयू ट्राइबल स्टडीज के निदेशक प्रो.चन्द्र मोहन परशिरा का कहना है कि इसी कार्य की रिपोर्ट देने के साथ ही एचपीयू प्रदेश के जनजातीय केंद्र के एक वर्ष ने किए गए कार्य का आकंलन करने का अनुरोध भी केंद्र से करेगी। कार्य के आंकलन के आधार पर ही एचपीयू को वापिस इस संस्थान को देने की मांग उठाई जाएगी।

संस्थान को वापिस लेने के लिए एचपीयू के पास यह है आधार

एचपीयू को अगर यह संस्थान वापिस मिलता है तो ट्राइबल स्टडीज में डिप्लोमा कर रहे छात्रों को ट्राइब पर शोध के लिए अलग-अलग प्रोजेक्ट मिल पाएंगे। वहीं एचपीयू के पास शोध कार्य करने के लिए एक्सपर्ट है जिनकी सरकार के पास उपलब्धता नहीं है ऐसे में एचपीयू के शोध कार्य में गुणवत्ता होगी। एचपीयू को बजट शोध कार्य के लिए मिलेगा और एचपीयू में जनजातीय क्षेत्रों से भी छात्र अधिक संख्या में है ऐसे में वह अपने क्षेत्रों के रहन सहन ओर लोगों के बारे में ज्यादा जानकारी रखते है। वहीं एक शोध संस्थान का किसी विश्वविद्यालय में होना तर्कसंगत है जिससे कि उसके तहत किए गए शोध कार्यों से एचपीयू का नाम भी देश के विश्वविद्यालयों में शामिल हो सके।
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