शिमला: हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से 1 साल पहले छीने हुए ट्राइबल रिसर्च इंस्टीट्यूट को वापस पाने के लिए एचपीयू एक बार फिर से केंद्र सरकार के साथ ही राज्य सरकार के समक्ष इस मामले को उठाने जा रहा है. इस बार एचपीयू अपने काम के आधार पर इस ट्राइबल रिसर्च इंस्टीट्यूट को वापस से एचपीयू को देने की मांग उठाएगा.
इसके लिए पूरा प्रस्ताव भी तैयार किया जा रहा है जिसे सितंबर महीने के अंत में या अक्टूबर महीने की शुरुआत में केंद्र सरकार और प्रदेश सरकार को सौंपा जाएगा. इस प्रस्ताव में एचपीयू 1 साल में ट्राइबल रिसर्च इंस्टीट्यूट को दिए गए प्रोजेक्ट्स पर कितना काम किया गया और किस तरह का काम किया गया है इस बारे में सरकार को बताएगी.
केंद्र ने एचपीयू से इस शोध संस्थान को लेकर प्रदेश सरकार को दे दिया था और वर्तमान में प्रदेश का जनजातीय केंद्र इस संस्थान को चला रहा है. हालांकि इस शोध संस्थान को एचपीयू से वापस लिए जाने और सरकार को दिए जाने के बाद कितना कार्य किया गया इसकी रिपोर्ट अभी सामने नहीं आई है.
इस रिपोर्ट को आधार बनाकर एचपीयू प्रशासन एक बार फिर से केंद्र के जनजातीय मंत्रालय को अनुरोध करने जा रहा है कि एचपीयू को यह ट्राइबल रिसर्च इंस्टीट्यूट दोबारा से दिया जाए जिससे कि प्रदेश के जनजातीय क्षेत्रों और वहां के लोगों के जीवन पर और बेहतर शोध कार्य किया जा सके.
इससे पहले भी इस मांग को एचपीयू केंद्र और प्रदेश सरकार के समक्ष भी उठा चुका है लेकिन इसका एचपीयू को कोई लाभ नहीं मिल पाया है. भले ही अब संस्थान एचपीयू के पास ना रहा हो लेकिन ट्राइबल स्टडी विभाग के तहत भी एचपीयू ने इन प्रोजेक्टस पर काम कर पूरी रिपोर्ट तैयार कर ली है.
एचपीयू ट्राइबल स्टडीज के निदेशक प्रो.चन्द्र मोहन परशिरा का कहना है कि इसी कार्य की रिपोर्ट देने के साथ ही एचपीयू प्रदेश के जनजातीय केंद्र के एक वर्ष ने किए गए कार्य का आंकलन करने का अनुरोध भी केंद्र से करेगी. एचपीयू को अगर यह संस्थान वापस मिलता है तो ट्राइबल स्टडीज में डिप्लोमा कर रहे छात्रों को ट्राइबल पर शोध के लिए अलग-अलग प्रोजेक्ट मिल पाएंगे. वहीं, एचपीयू के पास शोध कार्य करने के लिए एक्सपर्ट है जिनकी सरकार के पास उपलब्धता नहीं है, ऐसे में एचपीयू के शोध कार्य में गुणवत्ता आएगी.