शिमला: देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 5 अक्टूबर को बिलासपुर में एम्स का उद्घाटन किया. एम्स के उद्घाटन के बाद हिमाचल प्रदेश में राजनीतिक सरगर्मियां भी बढ़ती नजर आ रही हैं. हिमाचल कांग्रेस प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य अरुण शर्मा (HP Congress Executive Member Arun Sharma) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी की सरकार पर राजनीतिक फायदा लेने के लिए अधूरे एम्स का उद्घाटन करने के आरोप लगाए (Arun Sharma on Modi AIIMS inauguration) हैं. उन्होंने कहा कि इस एम्स के लिए दिसंबर 2014 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने जमीन निर्धारित की थी, लेकिन इसके बाद जानबूझकर काम को टाला गया.
अध्यक्ष अरुण शर्मा ने कहा कि 750 बिस्तरों वाले इस अस्पताल में अभी पूरी सुविधाएं भी नहीं है, लेकिन भाजपा सरकार ने पूरी सुविधाएं और सारी ओपीडी शुरू करवाए बिना ही इसका उद्घाटन कर डाला. अरूण शर्मा ने भाजपा पर इसका श्रेय लेने का भी आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि यूपीए की सरकार के समय में देश के हर राज्यों में एम्स, आईआईटी, आईआईएम जैसे बड़े संस्थानों को खोलने का फैसला लिया था, इसके चलते हिमाचल को यह एम्स मिला था.
पूर्व वीरभद्र सिंह सरकार की कैबिनेट ने एम्स का प्रस्ताव तैयार कर इसके लिए जमीन और अन्य जरूरी प्रक्रियां पूरी की, लेकिन साल 2014 में केंद्र में मनमोहन सरकार के बदलने के बाद आई मोदी सरकार ने इसके प्रस्ताव को जानबूझकर लेट किया ताकि कांग्रेस को इसका श्रेय न मिल (Arun Sharma on BJP) सके. बाद में 2017 में जाकर एम्स का शिलान्यास किया और अभी इसमें सारी आपोडी और सभी विभाग शुरू नहीं किए गए हैं.
अबकी बार भी मोदी ने किया निराश: अरूण शर्मा ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी हर बार की तरह अबकी बार भी हिमाचल वासियों को भाषणों का झुनझुना थमा गए. हिमाचल को अपना दूसरा घर बताने वाले नरेंद्र मोदी ने 70 हजार करोड़ के कर्ज से डूबे हिमाचल के लिए कोई आर्थिक पैकेज की घोषणा नहीं की. यही नहीं महंगाई और बेरोजगारी से राहत देने के लिए भी मोदी ने कोई ऐलान भी नहीं किया. कर्मचारी ओपीएस की मांग कर रहे थे, लेकिन मोदी ने कर्मचारियों को भी निराश किया.
भाजपा ने आधारभूत सुविधाएं भी नहीं दी: अरूण शर्मा ने कहा कि शिमला शहर को स्मार्ट सिटी बनाने का दावा करने वाली भाजपा सरकार शिमला में लोगों को मूलभूत सुविधाएं भी नहीं दे पाई. उन्होंने कहा कि शिमला शहर के लिए 2017 में भाजपा और स्थानीय विधायक एवं मंत्री सुरेश भारद्वाज ने एक घोषणा पत्र जारी किया था. इसमें शिमला शहर के लिए बड़े वादे किए गए थे, लेकिन हालात यह है कि इस साल के सर्वे में शिमला शहर अभी 56वें स्थान पर आया है.
पांच दिनों तक शहर में नहीं मिलता पानी: 2900 करोड़ के स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत शिमला में 24 घंटे पानी देने की बात कही गई थी, लेकिन पांच-पांच दिनों तक भी शहर में लोगों को पानी नहीं मिल रहा. शिमला में ट्रांसपोर्टेशन, सीवरेज और सिस्टम ड्रेनेज को सुधारने के लिए भी सरकार ने कोई कदम नहीं उठाए.
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