शिमलाः केंद्र सरकार ने शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) के योग्यता प्रमाण पत्र की अवधि को वर्तमान 7 वर्ष से बढ़ाकर आजीवन करने का निर्णय लिया है. यह निर्णय साल 2011 से प्रभावी होगा. केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने गुरुवार को इसकी घोषणा की. केंद्र सरकार के इस फैसले का हिमाचल प्रदेश शिक्षक महासंघ ने स्वागत किया है.
हिमाचल प्रदेश शिक्षक महासंघ के उपाध्यक्ष डॉ. मामराज पुंडीर ने कहा कि सरकार के इस फैसले से हिमाचल प्रदेश के कई युवाओं को बड़ा फायदा मिलेगा. उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार जल्द से जल्द केंद्र के इस आदेश को लागू करे, ताकि अभ्यर्थियों को इसका फायदा मिले. उल्लेखनीय है कि केंद्र के इस फैसले के बाद अब हिमाचल प्रदेश में लागू करने के लिए कैबिनेट मंजूरी की औपचारिकता शेष रह गई है.
करियर पर ध्यान दे सकेंगे अभ्यर्थी
डॉ. पुंडीर ने कहा कि पहले भी टीईटी पात्रता परीक्षा के योग्यता प्रमाण पत्र की अवधि बढ़ाने के लिए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और शिक्षा मंत्री गोविंद ठाकुर से मांग की थी. अब केंद्र सरकार के इस कदम से शिक्षा के क्षेत्र में करियर बनाने के इच्छुक उम्मीदवारों के लिए अवसर बढ़ेंगे. इस फैसले से बार-बार अभ्यर्थियों को परीक्षा पास करने की समस्या नहीं रहेगी और वे अपने भविष्य पर ध्यान दे सकेंगे. बता दें कि स्कूल में शिक्षक के रूप में नियुक्ति के लिए किसी व्यक्ति की पात्रता के संबंध में शिक्षक पात्रता परीक्षा का योग्यता प्रमाण पत्र जरूरी होता है.
ताउम्र मान्य होगा TET योग्यता प्रमाणपत्र
शिक्षा मंत्रालय के बयान के अनुसार, निशंक ने कहा कि टीईटी के योग्यता प्रमाणपत्र की वैधता अवधि को वर्तमान सात वर्ष से बढ़ाकर आजीवन करने का निर्णय किया गया है. उन्होंने कहा कि इस कदम से शिक्षण के क्षेत्र में अपना करियर बनाने को इच्छुक उम्मीदवारों के लिये रोजगार के अवसर बढ़ेंगे. राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) के 11 फरवरी 2011 के दिशा निर्देशों में कहा गया है कि राज्य सरकार टीईटी का आयोजन करेंगी और टीईटी योग्यता प्रमाणपत्र की वैधता की अवधि परीक्षा पास होने की तिथि से सात वर्ष तक होगी. जिसे अब सरकार ने ताउम्र के लिए मान्यता दे दी है.
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