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कोरोना ने बदली हिमाचल पुलिस की कार्यशैली, जरूरी मामलों में ही सलाखों के पीछे भेजे जा रहे अपराधी

आम इंसान से लेकर खास तक, सभी पर कोरोना का असर देखने को मिला है. हिमाचल में पुलिसकर्मी लगातार फ्रंट लाइन पर खड़े होकर काम कर रहे हैं. कोरोना की वजह से पुलिस 7 साल के नीचे सजा वाले अपराध में शामिल लोगों को सिर्फ हिदायत और बॉन्ड भरवाकर छोड़ रही है.

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Published : May 12, 2021, 4:20 PM IST

शिमलाः पूरा देश इन दिनों कोरोना महामारी से लड़ाई लड़ रहा है. हिमाचल में भी कोरोना को लेकर हालात काफी खराब हैं और रोजाना दर्जनों लोग इस महामारी के कारण मौत के शिकार हो रहे हैं. इस बीच कोविड-19 के बढ़ते संक्रमण ने हिमाचल पुलिस की कार्यशैली में भी बदलाव ला दिया है.

कल तक जो पुलिस हर एक अपराधी को सलाखों के पीछे पहुंचाने में विश्वास रखती थी. अब वही हिमाचल पुलिस कोरोना काल में अपराधियों को जेल भेजने से बच रही है. दरअसल, हिमाचल पुलिस इन दिनों कोरोना के कारण 7 साल के नीचे सजा के तहत आने वाले अपराध में शामिल अपराधियों को सिर्फ हिदायत और बॉन्ड भरवाकर थाने के स्तर पर ही छोड़ रही है.

फ्रंट लाइन पर काम कर रही हिमाचल पुलिस

साल 2020 के मार्च महीने से पूरे देश में कोरोना महामारी ने पैर पसारा है. तब से ही पुलिसकर्मी लगातार फ्रंट लाइन पर खड़े होकर काम कर रहे हैं. मेडिकल कर्मियों के बाद पुलिस संक्रमण की चेन तोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है, लेकिन कोरोना संकट के बीच पुलिस के लिए काम करना बिल्कुल भी आसान नहीं है. पुलिस को कोरोना से बचाने के लिए भी कड़ा संघर्ष करना पड़ रहा है.

वीडियो रिपोर्ट.

कोरोना के बीच भी काम से समझौता नहीं

शिमला पुलिस के एएसपी प्रवीर ठाकुर ने इस बारे में ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए बताया कि चाहे कोरोना ने सभी के मन-मस्तिष्क में डर बिठाया हो, लेकिन पुलिस ने कभी भी अपने काम से किसी प्रकार का कोई समझौता नहीं किया. जब भी अपराधी को गिरफ्तार किया जाता है, तो मेडिकल के साथ उसका कोरोना टेस्ट भी कराया जाता है ताकि पुलिस कर्मियों का बचाव किया जा सके. कोरोना के बीच मेडिकल के दौरान अपराधी का कोरोना टेस्ट अनिवार्य किया गया है. कोरोना टेस्ट कराने के बाद ही अपराधी को कोर्ट में पेश किया जा रहा है.

आम दिनों की तरह गिरफ्तार किए जा रहे अपराधी

कोरोना के बीच अपराधियों को गिरफ्तार करने में किसी प्रकार की कोई कमी नहीं है, लेकिन इस दौरान संक्रमण से बचाव के उपायों को अपनाया जा रहा है. छोटे अपराधों में पुलिस कानून के तहत अपराधी को नोटिस देती है और उसे गिरफ्तार नहीं किया जाता. गिरफ्तारी न करना सशर्त होती है. पुलिस के बुलाने पर अपराधी को थाने में हाजिर होना पड़ता है.

अपराधी पाया गया था कोरोना पॉजिटिव

कोरोना संक्रमण की पहली लहर के समय थाना बालूगंज में पुलिस ने अपराधी को गिरफ्तार किया. अपराधी के कोरोना टेस्ट के बाद उसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई. इसके बाद अपराधी को गिरफ्तार करने गए सभी पुलिसकर्मियों को तुरंत आइसोलेट किया गया और थाने को भी सैनिटाइज करवाया गया. इसके बाद पुलिसकर्मियों के भी कोरोना टेस्ट करवाए गए.

ड्यूटी के दौरान 260 जवान जवान संक्रमित

अपनी और अपनों की जान को जोखिम में डालकर पुलिस के जवान दिन-रात कानून व्यवस्था बनाए रखने में जुटे हुए हैं. हालांकि संक्रमण से बचाव के लिए पुलिस ऐतिहासिक कदम भी उठाती है. लेकिन बावजूद इसके अब तक कोरोना के दौरान ड्यूटी देते हुए शिमला पुलिस के कुल 260 जवान कोरोना की चपेट में आ चुके हैं. इनमें 207 जवान ठीक होकर ड्यूटी पर लौट चुके हैं, जबकि अन्य का फिलवक्त इलाज चल रहा है.

96 फीसदी का हुआ वैक्सीनेशन

संक्रमण के दौर में ड्यूटी कर रहे शिमला पुलिस के करीब 96 फीसदी जवानों को कोरोना वैक्सीन की पहली खुराक दी जा चुकी है. जल्द ही 4 से 6 हफ्ते का समय पूरा होने के बीच इन जवानों को वैक्सीन की दूसरी खुराक भी दे दी जाएगी. ऐसे में को कोरोना के दौरान ड्यूटी करने में इन जवानों पर से खतरा कुछ हद तक कम हो सकेगा. कुल मिलाकर कोरोना के इस दौर में पुलिस का काम जोखिम भरा हो गया है. कानून-व्यवस्था को बनाए रखने के साथ खुद की सुरक्षा भी पुलिस के लिए एक बड़ी चुनौती बन गई है.

ये भी पढ़ें: ग्राउंड रिपोर्ट: हिमाचल में नर्सिंग स्टाफ की कमी, 50 मरीजों पर काम कर रही है एक नर्स

शिमलाः पूरा देश इन दिनों कोरोना महामारी से लड़ाई लड़ रहा है. हिमाचल में भी कोरोना को लेकर हालात काफी खराब हैं और रोजाना दर्जनों लोग इस महामारी के कारण मौत के शिकार हो रहे हैं. इस बीच कोविड-19 के बढ़ते संक्रमण ने हिमाचल पुलिस की कार्यशैली में भी बदलाव ला दिया है.

कल तक जो पुलिस हर एक अपराधी को सलाखों के पीछे पहुंचाने में विश्वास रखती थी. अब वही हिमाचल पुलिस कोरोना काल में अपराधियों को जेल भेजने से बच रही है. दरअसल, हिमाचल पुलिस इन दिनों कोरोना के कारण 7 साल के नीचे सजा के तहत आने वाले अपराध में शामिल अपराधियों को सिर्फ हिदायत और बॉन्ड भरवाकर थाने के स्तर पर ही छोड़ रही है.

फ्रंट लाइन पर काम कर रही हिमाचल पुलिस

साल 2020 के मार्च महीने से पूरे देश में कोरोना महामारी ने पैर पसारा है. तब से ही पुलिसकर्मी लगातार फ्रंट लाइन पर खड़े होकर काम कर रहे हैं. मेडिकल कर्मियों के बाद पुलिस संक्रमण की चेन तोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है, लेकिन कोरोना संकट के बीच पुलिस के लिए काम करना बिल्कुल भी आसान नहीं है. पुलिस को कोरोना से बचाने के लिए भी कड़ा संघर्ष करना पड़ रहा है.

वीडियो रिपोर्ट.

कोरोना के बीच भी काम से समझौता नहीं

शिमला पुलिस के एएसपी प्रवीर ठाकुर ने इस बारे में ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए बताया कि चाहे कोरोना ने सभी के मन-मस्तिष्क में डर बिठाया हो, लेकिन पुलिस ने कभी भी अपने काम से किसी प्रकार का कोई समझौता नहीं किया. जब भी अपराधी को गिरफ्तार किया जाता है, तो मेडिकल के साथ उसका कोरोना टेस्ट भी कराया जाता है ताकि पुलिस कर्मियों का बचाव किया जा सके. कोरोना के बीच मेडिकल के दौरान अपराधी का कोरोना टेस्ट अनिवार्य किया गया है. कोरोना टेस्ट कराने के बाद ही अपराधी को कोर्ट में पेश किया जा रहा है.

आम दिनों की तरह गिरफ्तार किए जा रहे अपराधी

कोरोना के बीच अपराधियों को गिरफ्तार करने में किसी प्रकार की कोई कमी नहीं है, लेकिन इस दौरान संक्रमण से बचाव के उपायों को अपनाया जा रहा है. छोटे अपराधों में पुलिस कानून के तहत अपराधी को नोटिस देती है और उसे गिरफ्तार नहीं किया जाता. गिरफ्तारी न करना सशर्त होती है. पुलिस के बुलाने पर अपराधी को थाने में हाजिर होना पड़ता है.

अपराधी पाया गया था कोरोना पॉजिटिव

कोरोना संक्रमण की पहली लहर के समय थाना बालूगंज में पुलिस ने अपराधी को गिरफ्तार किया. अपराधी के कोरोना टेस्ट के बाद उसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई. इसके बाद अपराधी को गिरफ्तार करने गए सभी पुलिसकर्मियों को तुरंत आइसोलेट किया गया और थाने को भी सैनिटाइज करवाया गया. इसके बाद पुलिसकर्मियों के भी कोरोना टेस्ट करवाए गए.

ड्यूटी के दौरान 260 जवान जवान संक्रमित

अपनी और अपनों की जान को जोखिम में डालकर पुलिस के जवान दिन-रात कानून व्यवस्था बनाए रखने में जुटे हुए हैं. हालांकि संक्रमण से बचाव के लिए पुलिस ऐतिहासिक कदम भी उठाती है. लेकिन बावजूद इसके अब तक कोरोना के दौरान ड्यूटी देते हुए शिमला पुलिस के कुल 260 जवान कोरोना की चपेट में आ चुके हैं. इनमें 207 जवान ठीक होकर ड्यूटी पर लौट चुके हैं, जबकि अन्य का फिलवक्त इलाज चल रहा है.

96 फीसदी का हुआ वैक्सीनेशन

संक्रमण के दौर में ड्यूटी कर रहे शिमला पुलिस के करीब 96 फीसदी जवानों को कोरोना वैक्सीन की पहली खुराक दी जा चुकी है. जल्द ही 4 से 6 हफ्ते का समय पूरा होने के बीच इन जवानों को वैक्सीन की दूसरी खुराक भी दे दी जाएगी. ऐसे में को कोरोना के दौरान ड्यूटी करने में इन जवानों पर से खतरा कुछ हद तक कम हो सकेगा. कुल मिलाकर कोरोना के इस दौर में पुलिस का काम जोखिम भरा हो गया है. कानून-व्यवस्था को बनाए रखने के साथ खुद की सुरक्षा भी पुलिस के लिए एक बड़ी चुनौती बन गई है.

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