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हिमाचल हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: 2013 बैच के दो सिविल जजों की नियुक्ति खारिज - Himachal Pradesh Public Service Commission

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने दो सिविल जजों की नियुक्तियों को खारिज कर दिया है. न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान व न्यायाधीश संदीप शर्मा ने दोनों जजों की नियुक्तियों को चुनौती देने वाली याचिकाओं का निपटारा करते हुए सिविल जज विवेक कायथ व आकांक्षा डोगरा की नियुक्तियों को रद्द करने का फैसला सुनाया. दोनों जज वर्ष 2013 बैच के एचपीजेएस अधिकारी थे. हाईकोर्ट ने हिमाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग को भी चेताया कि भविष्य में ऐसी लापरवाही न करें.

Himachal Pradesh High Court rejects appointment of two civil judges
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Published : Sep 21, 2021, 7:49 PM IST

शिमला: प्रदेश हाईकोर्ट ने मंगलवार को एक एहम फैसले में दो सिविल जजों की नियुक्तियों को खारिज कर दिया. अदालत ने अपने फैसले में कहा कि नियमों के विपरीत पूरी की गई चयन प्रक्रिया अवैध है. इसलिए इन नियुक्तियों को रद्द किया जाता है. अदालत ने अपने निर्णय में आगे कहा कि न्याय प्रक्रिया में जनमानस के गूढ़ विश्वास के दृष्टिगत यह वांछित है कि इस प्रक्रिया से जुड़े लोगों का चयन पारदर्शी तरीके से हो. यदि लोगों के मामलों का निपटारा करने वाले अधिकारी की अपनी चयन प्रक्रिया नियमों के विपरीत हो तो इससे लोगों का न्याय पालिका से विश्वास उठ जायेगा.

प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा की गई गलती पर भी हाईकोर्ट ने आयोग को चेताया कि भविष्य में इस तरह की गलती न दोहराएं. न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान व न्यायाधीश संदीप शर्मा ने दोनों जजों की नियुक्तियों को चुनौती देने वाली याचिकाओं का निपटारा करते हुए सिविल जज विवेक कायथ व आकांक्षा डोगरा की नियुक्तियों को रद्द करने का फैसला सुनाया. दोनों जज वर्ष 2013 बैच के एचपीजेएस अधिकारी थे. मामलों का निपटारा करते हुए कोर्ट ने पाया कि दोनों जजों की नियुक्तियां उन पदों के खिलाफ की गई जिनका कोई विज्ञापन नहीं दिया गया. बिना विज्ञापन के इन पदों को भरने पर कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग को चेताया कि भविष्य में ऐसी लापरवाही न करें.

मामले के अनुसार 1 फरवरी 2013 को प्रदेश लोक सेवा आयोग ने सिविल जजों के 8 रिक्त पदों को भरने के लिए विज्ञापन के माध्यम से आवेदन आमंत्रित किए. इनमें 6 पद पहले से रिक्त थे और दो पद भविष्य में रिक्त होने थे. आयोग ने अंतिम परिणाम निकाल कर कुल 8 अभ्यर्थियों की नियुक्तियों की अनुशंसा सरकार से की व अन्य सफल अभ्यर्थियों की एक सिलेक्ट लिस्ट भी तैयार की. इस बीच प्रदेश में दो सिविल जजों के अतिरिक्त पद सृजित किए गए.

लोक सेवा आयोग ने इन दो पदों को सिलेक्ट लिस्ट से भरने की प्रक्रिया आरम्भ की और विवेक कायथ और आकांक्षा डोगरा को नियुक्ति देने की अनुशंसा की. सरकार ने इन्हें नियुक्तियां भी दे दी थी. कोर्ट ने दोनों की नियुक्तियों को रद्द करते हुए कहा कि इन नए सृजित पदों को कानूनन विज्ञापित किया जाना जरूरी था ताकि अन्य योग्यता रखने वाले अभ्यर्थियों को इन पदों के लिए प्रतिस्पर्धा का मौका भी मिलता. कोर्ट ने फैसले में स्पष्ट किया है कि इन जजों की नियुक्तियां रद्द होने से इन पदों को वर्ष 2021 की रिक्तियां माना जाए व इन्हें भरने की प्रक्रिया कानून के अनुसार की जाए.

ये भी पढ़ें: मनाली में नदी किनारे फोटो खींचने के दौरान दिल्ली की महिला और बेटे की मौत, पुलिस कर रही जांच

शिमला: प्रदेश हाईकोर्ट ने मंगलवार को एक एहम फैसले में दो सिविल जजों की नियुक्तियों को खारिज कर दिया. अदालत ने अपने फैसले में कहा कि नियमों के विपरीत पूरी की गई चयन प्रक्रिया अवैध है. इसलिए इन नियुक्तियों को रद्द किया जाता है. अदालत ने अपने निर्णय में आगे कहा कि न्याय प्रक्रिया में जनमानस के गूढ़ विश्वास के दृष्टिगत यह वांछित है कि इस प्रक्रिया से जुड़े लोगों का चयन पारदर्शी तरीके से हो. यदि लोगों के मामलों का निपटारा करने वाले अधिकारी की अपनी चयन प्रक्रिया नियमों के विपरीत हो तो इससे लोगों का न्याय पालिका से विश्वास उठ जायेगा.

प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा की गई गलती पर भी हाईकोर्ट ने आयोग को चेताया कि भविष्य में इस तरह की गलती न दोहराएं. न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान व न्यायाधीश संदीप शर्मा ने दोनों जजों की नियुक्तियों को चुनौती देने वाली याचिकाओं का निपटारा करते हुए सिविल जज विवेक कायथ व आकांक्षा डोगरा की नियुक्तियों को रद्द करने का फैसला सुनाया. दोनों जज वर्ष 2013 बैच के एचपीजेएस अधिकारी थे. मामलों का निपटारा करते हुए कोर्ट ने पाया कि दोनों जजों की नियुक्तियां उन पदों के खिलाफ की गई जिनका कोई विज्ञापन नहीं दिया गया. बिना विज्ञापन के इन पदों को भरने पर कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग को चेताया कि भविष्य में ऐसी लापरवाही न करें.

मामले के अनुसार 1 फरवरी 2013 को प्रदेश लोक सेवा आयोग ने सिविल जजों के 8 रिक्त पदों को भरने के लिए विज्ञापन के माध्यम से आवेदन आमंत्रित किए. इनमें 6 पद पहले से रिक्त थे और दो पद भविष्य में रिक्त होने थे. आयोग ने अंतिम परिणाम निकाल कर कुल 8 अभ्यर्थियों की नियुक्तियों की अनुशंसा सरकार से की व अन्य सफल अभ्यर्थियों की एक सिलेक्ट लिस्ट भी तैयार की. इस बीच प्रदेश में दो सिविल जजों के अतिरिक्त पद सृजित किए गए.

लोक सेवा आयोग ने इन दो पदों को सिलेक्ट लिस्ट से भरने की प्रक्रिया आरम्भ की और विवेक कायथ और आकांक्षा डोगरा को नियुक्ति देने की अनुशंसा की. सरकार ने इन्हें नियुक्तियां भी दे दी थी. कोर्ट ने दोनों की नियुक्तियों को रद्द करते हुए कहा कि इन नए सृजित पदों को कानूनन विज्ञापित किया जाना जरूरी था ताकि अन्य योग्यता रखने वाले अभ्यर्थियों को इन पदों के लिए प्रतिस्पर्धा का मौका भी मिलता. कोर्ट ने फैसले में स्पष्ट किया है कि इन जजों की नियुक्तियां रद्द होने से इन पदों को वर्ष 2021 की रिक्तियां माना जाए व इन्हें भरने की प्रक्रिया कानून के अनुसार की जाए.

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