शिमला: हिमाचल को देवभूमि कहा जाता है और देश के अन्य राज्यों के मुकाबले यहां के राजनेता शालीन माने जाते हैं. इधर, चुनावी साल में हिमाचल में शीर्ष नेताओं के बीच जुबानी जंग जोरों पर है. बहुधा नेता एक-दूसरे के खिलाफ टिप्पणी करते हुए भावावेश में तीखे शब्दों का प्रयोग (Himachal leaders controversial statements) कर रहे हैं. इससे सियासी संस्कार तार-तार हो रहे हैं. नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री इन दिनों सीएम जयराम ठाकुर के खिलाफ (Mukesh Agnihotri on CM Jairam) तीखे बयान दे रहे हैं. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर भी पलटवार कर रहे हैं. ऐसे में भाषा के संस्कार और मर्यादाएं भी टूट रही हैं.
हाल ही में नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने सीएम जयराम ठाकुर (CM Jairam on Mukesh Agnihotri) के लिए कहा कि चार साल हो गए, अब उन्हें भी घर जाना चाहिए. मुकेश अग्निहोत्री ने सीएम पर टिप्पणी करते हुए तू-तड़ाक की शब्दावली प्रयोग की. उसके बाद मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि सीएम को ओक ओवर से अपना सामान समेट लेना चाहिए, चाहे तो वे हेलीकॉप्टर में ही अपना सामान मंडी छोड़ आएं. वहीं, सीएम जयराम ठाकुर ने भी मुकेश अग्निहोत्री का नाम लिए बिना कहा कि एक नेता को मानों दौरा पड़ गया है. मालूम ही नहीं कि क्या कहना है.
इस पर मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री को अपने दिमाग का इलाज करवाना चाहिए. उन्होंने कहा कि जयराम ठाकुर हालात के नेता हैं, वे अपनी हैसियत से नेता नहीं बने हैं. इससे पहले मुकेश अग्निहोत्री ने ये भी कहा था कि दिल्ली से कोई भी घोषणा होती है, जयराम ठाकुर सबसे पहले उस योजना के फायदे गिनाते हैं. अग्निपथ योजना की घोषणा हुई, तो जयराम ठाकुर सबसे पहले बोले कि चार साल की नौकरी सबसे बढ़िया है. उसके बाद मुकेष अग्निहोत्री तू-तड़ाक पर उतर आए और कहने लगे-भई तेरी हो गई चार साल की, तू छोड़ के जा अब यहां से.
वहीं, पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह के विधायक बेटे विक्रमादित्य सिंह भी तीखे बयान देते रहते हैं. एक हफ्ता पहले उन्होंने सीएम जयराम ठाकुर पर वार करते हुए विक्रमादित्य सिंह (Vikramaditya Singh on CM Jairam) ने कहा था कि सीएम को नागपुर से जितनी चाबी लगती है, उनकी गाड़ी उतनी ही चलती है. उससे पहले सीएम जयराम ठाकुर ने कांग्रेस पर तंज कसा था कि दिल्ली से लेकर हिमाचल तक कांग्रेस पार्टी में मां-बेटे ही पार्टी चला रहे हैं. ऐसे में देखा जाए तो उकसावे वाले बयान देने में कोई भी नेता पीछे नहीं रहना चाहता.
वहीं, मुकेश अग्निहोत्री के सियासी अग्निबाणों पर भाजपा अध्यक्ष सुरेश कश्यप का कहना है कि सत्ता की भूख कांग्रेस के सिर चढ़कर बोल रही है. नेता प्रतिपक्ष भाषा की मर्यादा भूल रहे हैं. वरिष्ठ मीडिया कर्मी धनंजय शर्मा का कहना है कि हिमाचल की पहचान ही मर्यादा और संस्कारों से हैं. यहां की राजनीति देश के अन्य राज्यों से अलग रही है और प्रदेश में नेता शब्दों की मर्यादा रखते आए हैं. अब ये मर्यादाएं टूट रही हैं. प्रदेश में आने वाले समय के लिए ये कोई अच्छे संकेत नहीं हैं. हालांकि कांग्रेस और भाजपा के शीर्ष नेताओं के बीच तल्ख बयानबाजी नई सरकार के 2017 में सत्ता संभालते ही शुरू हो गई थी.
पहले राज्य सरकार कांग्रेस को नेता प्रतिपक्ष का पद नहीं दे रही थी. कारण ये था कि कांग्रेस के पास पर्याप्त संख्याबल नहीं थी. उसके बाद जब नेता प्रतिपक्ष को लेकर चर्चाएं चलीं, तो मुकेश अग्निहोत्री ने कहा था कि उन्हें इस पद की न तो जरूरत है और न ही लालसा. उसके लिए कांग्रेस भीख नहीं मांगेगी. सदन के भीतर और बाहर ये तल्खियां राजनीति का हिस्सा रही हैं. ओपीएस आंदोलन के समय जब कर्मचारियों ने जोइया मामा मनदा नईं (Joiya mama manda ne) का नारा बुलंद किया, तो सदन में इस पर भी भारी हंगामा हुआ था. अब चुनावी साल (Himachal assembly election 2022) में ये बयानबाजी मर्यादा की सीमा लांघ रही है.
पूर्व में वीरभद्र सिंह और प्रेम कुमार धूमल के बीच भी तीखी बयानबाजी होती रही है, लेकिन उस दौरान शब्दों की मर्यादा बरकरार रहती थी. अब जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव का समय आएगा, ये तीखे बयान और अधिक सुनने को मिलेंगे. शीर्ष नेताओं के अलावा पार्टियों के पदाधिकारी भी तीखे बयान देने से परहेज नहीं करते हैं. हिमाचल की राजनीति को गहराई से परखने वाले मीडिया कर्मी उदय पठानिया का कहना है कि हिमाचल में सियासी संस्कार बड़े मजबूत रहे हैं. उनका कहना है कि नेताओं के बयानों में शब्दों की मर्यादा बनी रहनी चाहिए.
ये भी पढ़ें: हमीरपुर NIT के मंच पर केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को क्यों याद आया 'काचा बदाम' ?