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Shimla Ice Skating Rink को खाली करने के आदेश पर हिमाचल हाईकोर्ट की रोक, खेल विभाग ने दिए थे आदेश - shimla news hindi

शिमला आइस स्केटिंग रिंक को खाली करने के आदेश पर (Shimla Ice Skating Rink) हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है. रिंक को खाली करने के लिए राज्य सरकार के युवा सेवाएं व खेल विभाग ने आदेश जारी किए थे. मामले की सुनवाई के बाद नगर निगम शिमला को निर्देश जारी किया गया है कि वो आइस स्केटिंग रिंक के भीतर रखी सामग्री को लेकर विस्तार से अदालत को सूचित करे.

Himachal High Court
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट
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Published : Sep 12, 2022, 9:57 PM IST

शिमला: ब्रिटिश हुकूमत के समय शिमला में स्थापित सौ साल से भी पुराने आइस स्केटिंग रिंक को (Shimla Ice Skating Rink) खाली करने के आदेश पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है. रिंक को खाली करने के लिए राज्य सरकार के युवा सेवाएं व खेल विभाग ने आदेश जारी किए थे. खेल विभाग के अधिकारी की तरफ से जारी आदेश में रिंक को 14 सितंबर को खाली करने के लिए कहा गया था. मामला हाईकोर्ट में पहुंचा और अदालत ने खेल विभाग के आदेश पर रोक लगा दी.

हाईकोर्ट (Himachal High Court ) के न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान व न्यायमूर्ति वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई के बाद नगर निगम शिमला को निर्देश जारी किया वो आइस स्केटिंग रिंक के भीतर रखी सामग्री को लेकर विस्तार से अदालत को सूचित करे. वहीं, मामले की सुनवाई के दौरान अदालत को बताया गया कि आइस स्केटिंग रिंक को सभी मौसमों के लिए विकसित करने को लेकर राज्य सरकार के पास प्रोजेक्ट रिपोर्ट भी सौंपी गई है. इस पर अदालत ने मामले में पर्यटन विभाग को भी पक्षकार बनाया.

खंडपीठ ने पर्यटन विभाग के निदेशक को इस मुद्दे पर अदालत की सहायता के लिए 14 सितंबर को सुनवाई के दौरान उपस्थित रहने का निर्देश दिया है. खंडपीठ ने अपने आदेश में यह भी स्पष्ट किया कि अब से शिमला आइस स्केटिंग रिंक के अंदर किसी भी तरह का कोई वाहन खड़ा नहीं किया जाएगा. अदालत ने ये आदेश शिमला आइस स्केटिंग क्लब की एक याचिका पर पारित किए. क्लब प्रशासन ने आरोप लगाया है कि 3 सितंबर को खेल विभाग ने क्लब के सचिव को 10 दिनों के भीतर परिसर खाली करने और कब्जे को सौंपने के लिए एक पत्र जारी किया है.

प्रार्थी के अनुसार यह क्लब के साथ हुए समझौते के नियमों व शर्तों का उल्लंघन है. याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि खेल प्राधिकरणों की तरफ से जारी निष्कासन आदेश अवैध और मनमाना है. क्लब की याचिका में यह भी कहा गया है कि रिंक की बेदखली कानून की उचित प्रक्रिया में ही की जा सकती है न की किसी अन्य तरीके से. क्लब ने इस तरह के बेदखली पत्र को अवैध बताया है. क्लब ने आरोप लगाया है कि खेल विभाग कार्यालयों को स्थानांतरित करने के लिए याचिकाकर्ता क्लब को बेदखल किया जा रहा है.

क्लब की तरफ से याचिका में कहा गया है कि शिमला आइस स्केटिंग रिंक क्लब की स्थापना वर्ष 1920 में ब्रिटिश हुकूमत के समय ब्लेसिंग्टन द्वारा की गई थी. वर्ष 1920 की सर्दियों के दौरान टेनिस कोर्ट को आइस स्केटिंग रिंक में बदल दिया गया था. यह क्लब पूरे दक्षिण एशिया में अपनी तरह का पहला क्लब है. वर्ष 1975 में हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल और क्लब के सचिव के साथ एक पट्टा समझौता किया गया था. याचिकाकर्ता अपनी खेल गतिविधियों से क्लब को सुचारू रूप से चला रहा है और खेल विभाग को वार्षिक लीज राशि का भुगतान कर रहा है. ऐसे में बेदखली के आदेश तर्कसंगत नहीं हैं.

ये भी पढ़ें: पदनाम बदलना, भर्ती, प्रमोशन नियमों में बदलाव सरकार का क्षेत्राधिकार: हाई कोर्ट

शिमला: ब्रिटिश हुकूमत के समय शिमला में स्थापित सौ साल से भी पुराने आइस स्केटिंग रिंक को (Shimla Ice Skating Rink) खाली करने के आदेश पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है. रिंक को खाली करने के लिए राज्य सरकार के युवा सेवाएं व खेल विभाग ने आदेश जारी किए थे. खेल विभाग के अधिकारी की तरफ से जारी आदेश में रिंक को 14 सितंबर को खाली करने के लिए कहा गया था. मामला हाईकोर्ट में पहुंचा और अदालत ने खेल विभाग के आदेश पर रोक लगा दी.

हाईकोर्ट (Himachal High Court ) के न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान व न्यायमूर्ति वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई के बाद नगर निगम शिमला को निर्देश जारी किया वो आइस स्केटिंग रिंक के भीतर रखी सामग्री को लेकर विस्तार से अदालत को सूचित करे. वहीं, मामले की सुनवाई के दौरान अदालत को बताया गया कि आइस स्केटिंग रिंक को सभी मौसमों के लिए विकसित करने को लेकर राज्य सरकार के पास प्रोजेक्ट रिपोर्ट भी सौंपी गई है. इस पर अदालत ने मामले में पर्यटन विभाग को भी पक्षकार बनाया.

खंडपीठ ने पर्यटन विभाग के निदेशक को इस मुद्दे पर अदालत की सहायता के लिए 14 सितंबर को सुनवाई के दौरान उपस्थित रहने का निर्देश दिया है. खंडपीठ ने अपने आदेश में यह भी स्पष्ट किया कि अब से शिमला आइस स्केटिंग रिंक के अंदर किसी भी तरह का कोई वाहन खड़ा नहीं किया जाएगा. अदालत ने ये आदेश शिमला आइस स्केटिंग क्लब की एक याचिका पर पारित किए. क्लब प्रशासन ने आरोप लगाया है कि 3 सितंबर को खेल विभाग ने क्लब के सचिव को 10 दिनों के भीतर परिसर खाली करने और कब्जे को सौंपने के लिए एक पत्र जारी किया है.

प्रार्थी के अनुसार यह क्लब के साथ हुए समझौते के नियमों व शर्तों का उल्लंघन है. याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि खेल प्राधिकरणों की तरफ से जारी निष्कासन आदेश अवैध और मनमाना है. क्लब की याचिका में यह भी कहा गया है कि रिंक की बेदखली कानून की उचित प्रक्रिया में ही की जा सकती है न की किसी अन्य तरीके से. क्लब ने इस तरह के बेदखली पत्र को अवैध बताया है. क्लब ने आरोप लगाया है कि खेल विभाग कार्यालयों को स्थानांतरित करने के लिए याचिकाकर्ता क्लब को बेदखल किया जा रहा है.

क्लब की तरफ से याचिका में कहा गया है कि शिमला आइस स्केटिंग रिंक क्लब की स्थापना वर्ष 1920 में ब्रिटिश हुकूमत के समय ब्लेसिंग्टन द्वारा की गई थी. वर्ष 1920 की सर्दियों के दौरान टेनिस कोर्ट को आइस स्केटिंग रिंक में बदल दिया गया था. यह क्लब पूरे दक्षिण एशिया में अपनी तरह का पहला क्लब है. वर्ष 1975 में हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल और क्लब के सचिव के साथ एक पट्टा समझौता किया गया था. याचिकाकर्ता अपनी खेल गतिविधियों से क्लब को सुचारू रूप से चला रहा है और खेल विभाग को वार्षिक लीज राशि का भुगतान कर रहा है. ऐसे में बेदखली के आदेश तर्कसंगत नहीं हैं.

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