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प्रतिभा के पास कांग्रेस की कमान, 4 कार्यकारी अध्यक्षों से कितना फायदा -कितना नुकसान

विधानसभा चुनाव की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है. इस बीच चुनाव से पहले कांग्रेस ने संगठन में बड़े (himachal assembly election 2022 and congress) बदलाव किए हैं.सवाल है कि कांग्रेस का ये नई टीम बनाने का फैसला कितना कारगर साबित होगा ?

himachal congress
प्रतिभा सिंह
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Published : Apr 29, 2022, 3:06 PM IST

शिमला: प्रदेश में विधानसभा चुनाव की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है. इस बीच चुनाव से पहले कांग्रेस ने संगठन में बड़े (himachal assembly election 2022 and congress) बदलाव किए हैं. नए प्रदेश अध्यक्ष समेत एक बड़ी टीम को अलग-अलग जिम्मेदारियां सौंपी गई है. सवाल है कि कांग्रेस का ये नई टीम बनाने का फैसला कितना कारगर साबित होगा ? क्योंकि कांग्रेस के सामने चुनाव जीतने की चुनौती से बड़ी चुनौती एकजुट होकर चुनाव लड़ने की है.

पांच अध्यक्षों के साथ जीतने की तैयारी- कांग्रेस की बात की जाए तो पंजाब चुनाव से पहले कार्यकारी अध्यक्ष की रणनीति पर उसने फोकस किया,लेकिन कामायाबी हाथ नहीं लगी. हरियाणा में इसी दिशा में काम किया जा रहा, लेकिन हिमाचल की राजनीति में ऐसा पहली बार हो रहा कि कोई पार्टी पांच-अध्यक्षों के साथ चुनावी मैदान में होगी. कांग्रेस को लगता है कि चार कार्यकारी अध्यक्ष बनाकर वह प्रदेश के हर कोने में कम समय में अपनी बात लोगों तक पहुंचा पाएगी और यही उसकी नई रणनीति भाजपा को सत्ता से बेदखल करने में मील का पत्थर साबित होगी.

कितना फायदा कितना नुकसान: कांग्रेस को प्रतिभा सिंह को अध्यक्ष (pratibha singh new pcc chief) बनाने से कितना फायदा या नुकसान होगा. जानकारों की इस पर अलग-अलग राय है. कुछ जानकारों का कहना है कि चुनावी साल में गुटों में बंटी दिख रही कांग्रेसी 'रानी' यानी प्रतिभा सिंह के सामने आने के बाद एक कतार में एक साथ चलेंगे. कोई रानी का विरोध नहीं कर पाएगा. क्योंकि रानी का विरोध करना यानि स्वर्गीय वीरभ्रद सिंह का विरोध करना माना जाएगा. जो पिछले कई दशकों से हिमाचल में कांग्रेस का इकलौता चेहरा रहे हैं और हर गुट में इस नाम की तूती बोलती रही है. वहीं, दूसरी और कुछ जानकारों का मानना हैं कि कांग्रेस को ऐसा बहुत पहले कर देना चाहिए था. अगर पहले किया होता तो फायदा उठाया जा सकता था, लेकिन अब देर हो चुकी है. प्रतिभा सिंह को टीम बनाने में ही काफी समय लगेगा और जिन्हें हटाया जाएगा वहां विरोध के स्वर और मुखर होंगे.

प्रतिभा के पास कांग्रेस की कमान,
प्रतिभा के पास कांग्रेस की कमान,

एक राय बनाना मुश्किल - जानकारों का मानना है कि जहां एक ही पद पर समांतर ज्यादा लोगों को तवज्जों दी जाती है. वहां एक साथ टीम चलना मुश्किल होता है. प्रतिभा सिंह चारों कार्यकारी अध्यक्षों के साथ तालमेल बिठा पाएंगी, कांग्रेस की गुटबाजी और अंतर्कलह को देखते हुए ऐसा मुश्किल लगता है. प्रतिभा सिंह के पास वीरभद्र की बनाई हुई लंबी टीम है. ऐसे में अगर प्रतिभा सिंह उनको नजर अंदाज करती है तो भी मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा. वहीं, चार कार्यकारी अध्यक्षों को तवज्जों देकर उनको साथ लेकर चलना भी मजबूरी बन सकता है.

भीतरघात की भी आशंका: वहीं, प्रतिभा सिंह के अध्यक्ष बनने के बाद कई कांग्रेसियों ने जीत और हार से पहले मुख्यमंत्री के कुर्सी का गणित लगा लिया होगा. कांग्रेस में कुर्सी की मारामारी भी इस फैसले के बाद सामने आ सकती है. जानकार मानते हैं कि प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी देने का मतलब है कि जीत के बाद सीएम पद के लिए सबसे मजबूत दावेदारी, जिसे भांपते हुए मुख्यमंत्री की कुर्सी का सपना देख रहे कई कांग्रेसियों को झटका जरूर लगा होगा. जानकार मानते हैं कि ऐसे में पार्टी में भीतरघात या पार्टी का हाथ छोड़ने वाले नेताओं की तादाद बढ़ सकती है.

प्रतिभा के पास कांग्रेस की कमान,
प्रतिभा के पास कांग्रेस की कमान,

बड़ी टीम का फायदा या नुकसान ? - एक अध्यक्ष, 4 कार्यकारी अध्यक्ष समेत भारी भरकम टीम का फायदा कितना होगा ये तो आने वाला वक्त बताएगा. लेकिन पार्टी आलाकमान ने एकजुटता का संदेश देकर सबको एक साथ लेने की कोशिश की है. पंजाब, हरियाणा जैसे कुछ और राज्यों में भी कांग्रेस इसी फॉर्मूले से साथ चल रही है. पंजाब में कोई फायदा नहीं हुआ और हरियाणा में चुनाव दूर है. हिमाचल में चुनाव इस साल के आखिर (himachal assembly election 2022) में होने हैं, जानकार मानते हैं कि इस फॉर्मूले का नुकसान और फायदा दोनों हो सकते हैं. लेकिन ये सब कांग्रेस की एकजुटता पर निर्भर करता है, क्योंकि इस रण में आम आदमी पार्टी भी उतर रही है जो कांग्रेस के कुनबे में सेंधमारी कर सकती है. कार्यकारी अध्यक्षों में राजेंद्र राणा,हर्ष महाजन,पवन काजल और विनय कुमार को शामिल किया गया है. वहीं, सुखविंदर सिंह सुक्खू को कैंपेन कमेटी का चेयरमैन बनाया गया है.

वीरभद्र के नाम तले कांग्रेस की टीम- हिमाचल कांग्रेस (Himachal Congress) कभी भी वीरभद्र सिंह के आगे नहीं सोच पाई. हिमाचल में वीरभद्र का कद कांग्रेस से भी बड़ा है, इसमें कोई दो राय नहीं है और इसी बात को पार्टी इस बार भुनाना चाहती है. यही वजह है कि प्रतिभा सिंह को पार्टी की कमान सौंपी गई है, जानकार मानते हैं कि मंडी उपचुनाव के दौरान वीरभद्र सिंह के नाम के सहारे ही कांग्रेस को जीत हासिल हुई थी और पार्टी ने वीरभद्र सिंह के नाम को भुनाने के लिए आगामी चुनावों के लिए ये रणनीति तैयार की है. गुटों में बंटी पार्टी में हर बड़े चेहरे को कोई ना कोई जिम्मेदारी देकर कलह को खत्म करने की कोशिश की गई है. वहीं कमान भले प्रतिभा सिंह के हाथ हो लेकिन चेहरा वीरभद्र सिंह का होगा.

भाजपा का तंज: भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सुरेश कश्यप ने वीरवार को नाहन में कांग्रेस की बड़ी टीम को लेकर तंज भी कसा. कश्यप ने कहा कि जिस परिवार में मुखिया ज्यादा हो जाते वह परिवार बिखर जाता है. उनका सोचना है कि जब एक फैसला लेने में पांच लोगों की राय ली जाएगी तो कांग्रेस की टीम में बिखराव होना तय है.

ये भी पढ़ें :शुक्रवार को दिल्ली जाएंगी हिमाचल कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह, वापस लौटने पर शिमला में होगी विशाल रैली

शिमला: प्रदेश में विधानसभा चुनाव की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है. इस बीच चुनाव से पहले कांग्रेस ने संगठन में बड़े (himachal assembly election 2022 and congress) बदलाव किए हैं. नए प्रदेश अध्यक्ष समेत एक बड़ी टीम को अलग-अलग जिम्मेदारियां सौंपी गई है. सवाल है कि कांग्रेस का ये नई टीम बनाने का फैसला कितना कारगर साबित होगा ? क्योंकि कांग्रेस के सामने चुनाव जीतने की चुनौती से बड़ी चुनौती एकजुट होकर चुनाव लड़ने की है.

पांच अध्यक्षों के साथ जीतने की तैयारी- कांग्रेस की बात की जाए तो पंजाब चुनाव से पहले कार्यकारी अध्यक्ष की रणनीति पर उसने फोकस किया,लेकिन कामायाबी हाथ नहीं लगी. हरियाणा में इसी दिशा में काम किया जा रहा, लेकिन हिमाचल की राजनीति में ऐसा पहली बार हो रहा कि कोई पार्टी पांच-अध्यक्षों के साथ चुनावी मैदान में होगी. कांग्रेस को लगता है कि चार कार्यकारी अध्यक्ष बनाकर वह प्रदेश के हर कोने में कम समय में अपनी बात लोगों तक पहुंचा पाएगी और यही उसकी नई रणनीति भाजपा को सत्ता से बेदखल करने में मील का पत्थर साबित होगी.

कितना फायदा कितना नुकसान: कांग्रेस को प्रतिभा सिंह को अध्यक्ष (pratibha singh new pcc chief) बनाने से कितना फायदा या नुकसान होगा. जानकारों की इस पर अलग-अलग राय है. कुछ जानकारों का कहना है कि चुनावी साल में गुटों में बंटी दिख रही कांग्रेसी 'रानी' यानी प्रतिभा सिंह के सामने आने के बाद एक कतार में एक साथ चलेंगे. कोई रानी का विरोध नहीं कर पाएगा. क्योंकि रानी का विरोध करना यानि स्वर्गीय वीरभ्रद सिंह का विरोध करना माना जाएगा. जो पिछले कई दशकों से हिमाचल में कांग्रेस का इकलौता चेहरा रहे हैं और हर गुट में इस नाम की तूती बोलती रही है. वहीं, दूसरी और कुछ जानकारों का मानना हैं कि कांग्रेस को ऐसा बहुत पहले कर देना चाहिए था. अगर पहले किया होता तो फायदा उठाया जा सकता था, लेकिन अब देर हो चुकी है. प्रतिभा सिंह को टीम बनाने में ही काफी समय लगेगा और जिन्हें हटाया जाएगा वहां विरोध के स्वर और मुखर होंगे.

प्रतिभा के पास कांग्रेस की कमान,
प्रतिभा के पास कांग्रेस की कमान,

एक राय बनाना मुश्किल - जानकारों का मानना है कि जहां एक ही पद पर समांतर ज्यादा लोगों को तवज्जों दी जाती है. वहां एक साथ टीम चलना मुश्किल होता है. प्रतिभा सिंह चारों कार्यकारी अध्यक्षों के साथ तालमेल बिठा पाएंगी, कांग्रेस की गुटबाजी और अंतर्कलह को देखते हुए ऐसा मुश्किल लगता है. प्रतिभा सिंह के पास वीरभद्र की बनाई हुई लंबी टीम है. ऐसे में अगर प्रतिभा सिंह उनको नजर अंदाज करती है तो भी मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा. वहीं, चार कार्यकारी अध्यक्षों को तवज्जों देकर उनको साथ लेकर चलना भी मजबूरी बन सकता है.

भीतरघात की भी आशंका: वहीं, प्रतिभा सिंह के अध्यक्ष बनने के बाद कई कांग्रेसियों ने जीत और हार से पहले मुख्यमंत्री के कुर्सी का गणित लगा लिया होगा. कांग्रेस में कुर्सी की मारामारी भी इस फैसले के बाद सामने आ सकती है. जानकार मानते हैं कि प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी देने का मतलब है कि जीत के बाद सीएम पद के लिए सबसे मजबूत दावेदारी, जिसे भांपते हुए मुख्यमंत्री की कुर्सी का सपना देख रहे कई कांग्रेसियों को झटका जरूर लगा होगा. जानकार मानते हैं कि ऐसे में पार्टी में भीतरघात या पार्टी का हाथ छोड़ने वाले नेताओं की तादाद बढ़ सकती है.

प्रतिभा के पास कांग्रेस की कमान,
प्रतिभा के पास कांग्रेस की कमान,

बड़ी टीम का फायदा या नुकसान ? - एक अध्यक्ष, 4 कार्यकारी अध्यक्ष समेत भारी भरकम टीम का फायदा कितना होगा ये तो आने वाला वक्त बताएगा. लेकिन पार्टी आलाकमान ने एकजुटता का संदेश देकर सबको एक साथ लेने की कोशिश की है. पंजाब, हरियाणा जैसे कुछ और राज्यों में भी कांग्रेस इसी फॉर्मूले से साथ चल रही है. पंजाब में कोई फायदा नहीं हुआ और हरियाणा में चुनाव दूर है. हिमाचल में चुनाव इस साल के आखिर (himachal assembly election 2022) में होने हैं, जानकार मानते हैं कि इस फॉर्मूले का नुकसान और फायदा दोनों हो सकते हैं. लेकिन ये सब कांग्रेस की एकजुटता पर निर्भर करता है, क्योंकि इस रण में आम आदमी पार्टी भी उतर रही है जो कांग्रेस के कुनबे में सेंधमारी कर सकती है. कार्यकारी अध्यक्षों में राजेंद्र राणा,हर्ष महाजन,पवन काजल और विनय कुमार को शामिल किया गया है. वहीं, सुखविंदर सिंह सुक्खू को कैंपेन कमेटी का चेयरमैन बनाया गया है.

वीरभद्र के नाम तले कांग्रेस की टीम- हिमाचल कांग्रेस (Himachal Congress) कभी भी वीरभद्र सिंह के आगे नहीं सोच पाई. हिमाचल में वीरभद्र का कद कांग्रेस से भी बड़ा है, इसमें कोई दो राय नहीं है और इसी बात को पार्टी इस बार भुनाना चाहती है. यही वजह है कि प्रतिभा सिंह को पार्टी की कमान सौंपी गई है, जानकार मानते हैं कि मंडी उपचुनाव के दौरान वीरभद्र सिंह के नाम के सहारे ही कांग्रेस को जीत हासिल हुई थी और पार्टी ने वीरभद्र सिंह के नाम को भुनाने के लिए आगामी चुनावों के लिए ये रणनीति तैयार की है. गुटों में बंटी पार्टी में हर बड़े चेहरे को कोई ना कोई जिम्मेदारी देकर कलह को खत्म करने की कोशिश की गई है. वहीं कमान भले प्रतिभा सिंह के हाथ हो लेकिन चेहरा वीरभद्र सिंह का होगा.

भाजपा का तंज: भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सुरेश कश्यप ने वीरवार को नाहन में कांग्रेस की बड़ी टीम को लेकर तंज भी कसा. कश्यप ने कहा कि जिस परिवार में मुखिया ज्यादा हो जाते वह परिवार बिखर जाता है. उनका सोचना है कि जब एक फैसला लेने में पांच लोगों की राय ली जाएगी तो कांग्रेस की टीम में बिखराव होना तय है.

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