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HC ने तलब किया टेक्नोमैक की संपत्ति का ब्योरा, प्रवर्तन विभाग और CID को बनाया प्रतिवादी - shimla high court

जगतपुर पांवटा साहिब स्तिथ टेक्नोमैक कंपनी घोटाला मामले में शुक्रवार को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. हाईकोर्ट ने कंपनी की संपत्ति का ब्योरा मांगा है. राज्य सरकार का लगभग 21 सौ करोड़ रुपये टैक्स न अदा करने पर फैक्ट्री को आबकारी एवं कराधान विभाग ने सीज किया है.

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Published : Jun 14, 2019, 11:38 PM IST

शिमला: इंडियन टेक्नोमैक कंपनी में हुए करोड़ों के घोटाले के मामले में प्रदेश हाईकोर्ट ने प्रवर्तन विभाग और सीआईडी को प्रतिवादी बनाया है. हाईकोर्ट ने शुक्रवार को उन्हें आदेश दिया है कि वह शपथपत्र के माध्यम से अदालत को कंपनी की संपत्ति का ब्योरा सौंपे.

इंडियन टेक्नोमैक कंपनी लिमिटेड जगतपुर पांवटा साहिब द्वारा राज्य सरकार का लगभग 21 सौ करोड़ रुपये टैक्स न अदा करने पर फैक्ट्री को आबकारी एवं कराधान विभाग ने सीज किया है. कंपनी द्वारा जारी दस्तावेजों को तैयार करके व अधिक उत्पादन दिखाकर केवल मात्र विभिन्न बैंकों से ऋण लेने के लिए षडयंत्र रचा गया, जिससे हिमाचल सरकार को भारी कर नुकसान हुआ है.

इसके अतिरिक्त इंडियन टैक्नॉमैक कंपनी के प्रबंधन ने पांवटा साहिब स्थित आबकारी एवं कराधान विभाग व अन्य विभागों से मिलीभगत करके इस कंपनी के सीज होने के बाद भी कंपनी के अंदर रखे हुए सामान व स्क्रेब इत्यादि को चोरी छिपे बाहर निकाला है. एक स्क्रेब ट्रक को पुलिस द्वारा बरामद भी किया गया.

कंपनी की संपत्ति को अटैच करने के उपरांत इस तरह कंपनी प्रबंधन द्वारा स्क्रेब बेचना कानूनन सही नहीं है. जो कि तत्कालीन कंपनी प्रबंधन व आबकारी विभाग के कर्मचारियों द्वारा सुनियोजित तरीके से किया गया है.

सीआईडी इस बड़े घोटाले को लेकर पुलिस स्टेशन भराड़ी में भारतीय दंड संहिता की धारा 420, 468, 471, 201, 217, 218, 120 बी व भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धारा 13(2)डी व 5 तथा 7 के तहतपिछले दो सालो से जांच कर रही है.

शिमला: इंडियन टेक्नोमैक कंपनी में हुए करोड़ों के घोटाले के मामले में प्रदेश हाईकोर्ट ने प्रवर्तन विभाग और सीआईडी को प्रतिवादी बनाया है. हाईकोर्ट ने शुक्रवार को उन्हें आदेश दिया है कि वह शपथपत्र के माध्यम से अदालत को कंपनी की संपत्ति का ब्योरा सौंपे.

इंडियन टेक्नोमैक कंपनी लिमिटेड जगतपुर पांवटा साहिब द्वारा राज्य सरकार का लगभग 21 सौ करोड़ रुपये टैक्स न अदा करने पर फैक्ट्री को आबकारी एवं कराधान विभाग ने सीज किया है. कंपनी द्वारा जारी दस्तावेजों को तैयार करके व अधिक उत्पादन दिखाकर केवल मात्र विभिन्न बैंकों से ऋण लेने के लिए षडयंत्र रचा गया, जिससे हिमाचल सरकार को भारी कर नुकसान हुआ है.

इसके अतिरिक्त इंडियन टैक्नॉमैक कंपनी के प्रबंधन ने पांवटा साहिब स्थित आबकारी एवं कराधान विभाग व अन्य विभागों से मिलीभगत करके इस कंपनी के सीज होने के बाद भी कंपनी के अंदर रखे हुए सामान व स्क्रेब इत्यादि को चोरी छिपे बाहर निकाला है. एक स्क्रेब ट्रक को पुलिस द्वारा बरामद भी किया गया.

कंपनी की संपत्ति को अटैच करने के उपरांत इस तरह कंपनी प्रबंधन द्वारा स्क्रेब बेचना कानूनन सही नहीं है. जो कि तत्कालीन कंपनी प्रबंधन व आबकारी विभाग के कर्मचारियों द्वारा सुनियोजित तरीके से किया गया है.

सीआईडी इस बड़े घोटाले को लेकर पुलिस स्टेशन भराड़ी में भारतीय दंड संहिता की धारा 420, 468, 471, 201, 217, 218, 120 बी व भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धारा 13(2)डी व 5 तथा 7 के तहतपिछले दो सालो से जांच कर रही है.

इंडियन टेक्नॉमैक कंपनी में हुए करोड़ों के घोटाले के मामले में प्रदेश हाई कोर्ट ने परवर्तन विभाग और सीआईडी को प्रतिवादी बनाते हुए उन्हें आदेश दिए है कि वह शपथपत्र के माध्यम से अदालत को इंडियन टेक्नॉमैक कंपनी की सम्पति का ब्यौरा सौंपे/   सीआईडी ने  इंडियन टेक्नॉमिक कंपनी लिमिटेड जगतपुर पाँवटा साहिब द्वारा राज्य सरकार का लगभग 21 सौ करोड रूपया टैक्स न अदा करने पर फैक्ट्री को आबकारी एवं कराधान विभाग ने सीज किया है। कंपनी द्वारा जारी दस्तावेजों को तैयार करके व अधिक उत्पादन दर्शा कर केवल मात्र विभिन्न बैंकों से ऋण लेने के लिए षडयंत्र रचा गया। जिससे हिमाचल सरकार को भारी कर नुकसान हुआ है। इसके अतिरिक्त इंडियन टैक्नॉमिक कंपनी के प्रबंधन ने पाँवटा साहिब स्थित आबकारी एवं कराधान विभाग व अन्य विभागों से मिलीभगत करके इस कंपनी के बीच होने के बाद भी कंपनी के अंदर रखे हुए सामान व स्क्रैब इत्यादि को चोरी छिपे बाहर निकाला है। एक स्क्रेब ट्रक को पुलिस द्वारा बरामद किया गया। कंपनी की संपत्ति को अटैच करने के उपरांत इस तरह कंपनी प्रबंधन द्वारा  स्क्रेब बेचना कानूनन सही नहीं है। जो कि तत्कालीन कंपनी प्रबंधन व आबकारी विभाग के कर्मचारियों द्वारा सुनियोजित तरीके से किया गया है ।

 सीआईडी इस बड़े घोटाले को लेकर पुलिस स्टेशन भराड़ी में भारतीय दंड संहिता की धारा 420, 468, 471, 201, 217, 218, 120 बी व भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धारा 13(2)डी व तथा के तहतपिछले दो सालो से जाँच कर रही है/

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