शिमला: प्रदेश में एंबुलेंस की खस्ता हालत चिंता का विषय बनी हुई है. आए दिन मरीजों को ले जा रही एंबुलेंस सड़कों पर खराब हो रही है, जिसके कारण लोगों को जान से हाथ धोना पड़ रहा है. कठिन भोगौलिक परिस्थितियों वाले पहाड़ी राज्य हिमाचल में लोगों को पहले ही स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए दूर-दूर जाना पड़ता है और ऐसे में एंबुलेंस की खस्ता हालत से प्रदेशवासियों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
ऐसा ही एक मामला चंबा में सामने आया है जहां सोमवार को सर्पदंश से पीड़ित एक व्यक्ति को डलहौजी अस्पताल से चंबा के लिए रेफर किया गया. वहीं, व्यक्ति को चंबा अस्पताल ले जा रही 108 एंबुलेंस बनीखेत पहुंचने से पहले ही खराब हो गई. करीब एक घंटा इंतजार करने के बाद दूसरी एंबुलेंस के जरिए व्यक्ति को चंबा अस्पताल के लिए रवाना किया गया. व्यक्ति की हालत ज्यादा बिगड़ने पर सीएचसी बाथरी में जांच करवाने पर डॉक्टर्स ने उसे मृत घोषित कर दिया.
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इससे पहले हाल ही में चंबा में ही एक पांच दिन के नवजात की मौत का मामला सामने आया था. परिजनों का आरोप है कि एंबुलेंस सेवा के लिए संपर्क किया गया, लेकिन उन्हें सुविधा मुहैया नहीं करवाई गई और नवजात की मौत हो गई है. ऐसे ही कई मामले प्रदेश में सामने आए हैं जिसकी वजह एंबुलेंस की खस्ता हालत बनी है. दयनीय हालत में सड़कों पर दौड़ रही एंबुलेंस और समय पर सुविधा मुहैया न करवाने से लोगों में खासा रोष है.
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इस मामले पर स्वास्थ्य मंत्री विपिन सिंह परमार का कहना है पिछले 10 सालों में प्रदेश में काबिज हुई पूर्व सरकारों ने एंबुलेंस सुविधा को दुरूस्त करने में कोई खासे कदम नहीं उठाए हैं. उन्होंने कहा कि जयराम सरकार गंभीरता से इस पर काम कर रही है और 46 नई गाड़ियां प्रदेश में स्वीकृत की गई हैं और खस्ताहाल वाहनों को रिजेक्ट कर उनकी जगह नए वाहन चलाए जा रहे हैं.