शिमला: सरकारी आवास के आवंटन में भाई भतीजावाद को लेकर हिमाचल हाईकोर्ट ने सख्त टिप्पणी की है. यही नहीं, अदालत ने मुख्य सचिव की सिफारिश पर आवंटित सरकारी आवास को रद्द कर दिया है. हाईकोर्ट के न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान व न्यायाधीश संदीप शर्मा की खंडपीठ ने सुमित शर्मा की याचिका को स्वीकार करते हुए उक्त निर्णय सुनाया.
अदालत ने राज्य सरकार के जीएडी विभाग के सचिव व निदेशक एस्टेट को (Govt accommodation allotment case in Shimla) आदेश दिए कि वह निजी प्रतिवादी को आवंटित किए गए आवास को 2 अगस्त से पहले-पहले खाली करवाएं और सारी मूलभूत सुविधाओं के साथ 16 अगस्त तक प्रार्थी को आवंटित करें. अदालत ने अपने आदेशों की अनुपालना रिपोर्ट 18 अगस्त के लिए तलब की है. हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिए कि वह सरकारी कर्मचारियों को आवास आवंटन पारदर्शिता के साथ किया जाए. सरकारी आवास आवंटन नियमानुसार किया जाए. हाईकोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा किए सभी आवास आवंटन का रिकॉर्ड वेबसाइट पर अपलोड किए जाने के आदेश भी दिए हैं.
याचिका में दिए तथ्यों के अनुसार प्रार्थी हाईकोर्ट में ड्राइवर के पद पर कार्यरत हैं. उसे नाभा में सरकारी आवास आवंटित किया गया था. 22 मार्च 2021 को प्रार्थी ने अपने सरकारी आवास के तबादले के लिए आवेदन किया था लेकिन उसे यह बताया गया कि 30 अप्रैल 2022 से पहले यह आवास आवंटित नहीं किया जा सकता. उसके बाद प्रार्थी को 11 अगस्त 2021 को अवगत कराया गया कि जैसे ही पहले वाला आवास खाली कर दिया जाएगा, उसके आवेदन को स्वीकार कर लिया जाएगा.
लेकिन प्रार्थी को आवास आवंटित करने की बजाय सचिवालय में कार्यरत चालक को आवंटित कर दिया. जिसने प्रार्थी के बाद आवास के लिए आवेदन किया था. हाईकोर्ट ने मामले (Himachal High Court) के रिकॉर्ड का अवलोकन करने के पश्चात पाया कि मुख्य सचिव की सिफारिश पर प्रतिवादी चमन लाल को आवास आवंटित किया गया था जो कि भाई भतीजावाद का साफ-साफ (Govt accommodation recommendation) उदाहरण है.
ये भी पढ़ें: हिमाचल में PG और टिफिन सर्विस संचालकों का विभागीय पंजीकरण अनिवार्य, लाइसेंस न होने पर लगेगा 5 लाख जुर्माना