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ग्रेडिंग पैकिंग मशीनों से बागवानों को मिल रही है राहत, बेरोजगार युवाओं पा रहे रोजगार - Grading Packing Machine

शिमला के रोहड़ू, चिड़गांव और जुब्बल में सेब सीजन अपनी चरम सीमा पर पहुंच गया है. इसी बीच क्षेत्र में ग्रेडिंग पैकिंग की मशीनें लगने से बागवानों को राहत मिल रही है और स्थानीय युवाओं सहित दूसरे राज्यों के युवाओं को रोजगार मिल रहा है.

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Published : Aug 7, 2020, 5:14 PM IST

शिमला: जिला के रोहड़ू, चिड़गांव, जुब्बल व टिक्कर गांव में इन दिनों सेब सीजन अपनी चरम सीमा पर पहुंच गया है. भले ही इस बार बगीचों में सेब की फसल कम हो, लेकिन ग्रेडिंग पैकिंग का व्यापार धीरे-धीरे बढ़ने लगा है. जिससे बागवानों को सेब सीजन निपटाने में राहत मिल रही है और स्थानीय लोगों को भी रोजगार मिल रहा है.

बता दें कि सेब सीजन शुरू होते ही क्षेत्रों में सैकड़ों की संख्या में ग्रेडिंग पैकिंग मशीन लग गई हैं और इलाके के सैकड़ों बेरोजागर युवा इस व्यापार से जुड़ गए हैं. करीब तीन महिनें तक चलने वाला ग्रेडिंग पैकिंग का व्यवसाय युवाओं को जीवन यापन करने के लिए सक्षम बना रहा है. वहीं, इस कार्य को करने के लिए हजारों की संख्या में बाहरी राज्यों से मजदूर आ रहे हैं और रोजी-रोटी कमा रहे हैं.

वीडियो.

ग्रेडिंग पैकिंग मशीने लगने से बागवानों को काफी राहत मिली है, क्योंकि मशीनें लगने से बागवानों को मजदूरों की तलाश के लिए इधर-उधर नहीं भटकना पड़ता है और सारे काम एक ही जगह पर निपट जाते हैं. साथ ही ग्रेडिंग पैकिंग यूनिट के मालिक लेबर रखकर बागवानों के बगीचों से सेब तुड़ान भी उनसे करवाते हैं. ऐसे में हम कह सकते हैं कि मजदूरों की कमी ग्रेडिंग पैकिंग मशीन ने पूरी की है.

ग्रेडिंग पैकिंग यूनिट के मालिक प्रमोद सिंह ने बताया कि ग्रेडिंग पैकिंग मशीनें लगने से वो अपने सामने उत्पाद की पैकिंग करवा रहे हैं, ताकि किसानों को माल बेचने में परेशानी का सामना न करना पड़ा. उन्होंने कहा कि मशीनें लगने से स्थानीय और बाहरी राज्यों से आने वाले मजदूरों को रोजगार मिल रहा है.

ग्रेडिंग पैकिंग का काम करने वाले मजदूर ने बताया कि ग्रेडिंग पैकिंग का काम उनको पंसद आ रहा है और कोरोना संकट काल में वो 22 हजार रुपये प्रति माह कमा रहे हैं. उन्होंने कहा कि ग्रेडिंग पैकिंग का काम उनकी जीविका के लिए वरदान है.

ये भी पढ़ें: गुग्गा मंडली के साथ गए युवक ने मांगा पानी, लोगों ने पीट-पीट कर दिया अधमरा

शिमला: जिला के रोहड़ू, चिड़गांव, जुब्बल व टिक्कर गांव में इन दिनों सेब सीजन अपनी चरम सीमा पर पहुंच गया है. भले ही इस बार बगीचों में सेब की फसल कम हो, लेकिन ग्रेडिंग पैकिंग का व्यापार धीरे-धीरे बढ़ने लगा है. जिससे बागवानों को सेब सीजन निपटाने में राहत मिल रही है और स्थानीय लोगों को भी रोजगार मिल रहा है.

बता दें कि सेब सीजन शुरू होते ही क्षेत्रों में सैकड़ों की संख्या में ग्रेडिंग पैकिंग मशीन लग गई हैं और इलाके के सैकड़ों बेरोजागर युवा इस व्यापार से जुड़ गए हैं. करीब तीन महिनें तक चलने वाला ग्रेडिंग पैकिंग का व्यवसाय युवाओं को जीवन यापन करने के लिए सक्षम बना रहा है. वहीं, इस कार्य को करने के लिए हजारों की संख्या में बाहरी राज्यों से मजदूर आ रहे हैं और रोजी-रोटी कमा रहे हैं.

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ग्रेडिंग पैकिंग मशीने लगने से बागवानों को काफी राहत मिली है, क्योंकि मशीनें लगने से बागवानों को मजदूरों की तलाश के लिए इधर-उधर नहीं भटकना पड़ता है और सारे काम एक ही जगह पर निपट जाते हैं. साथ ही ग्रेडिंग पैकिंग यूनिट के मालिक लेबर रखकर बागवानों के बगीचों से सेब तुड़ान भी उनसे करवाते हैं. ऐसे में हम कह सकते हैं कि मजदूरों की कमी ग्रेडिंग पैकिंग मशीन ने पूरी की है.

ग्रेडिंग पैकिंग यूनिट के मालिक प्रमोद सिंह ने बताया कि ग्रेडिंग पैकिंग मशीनें लगने से वो अपने सामने उत्पाद की पैकिंग करवा रहे हैं, ताकि किसानों को माल बेचने में परेशानी का सामना न करना पड़ा. उन्होंने कहा कि मशीनें लगने से स्थानीय और बाहरी राज्यों से आने वाले मजदूरों को रोजगार मिल रहा है.

ग्रेडिंग पैकिंग का काम करने वाले मजदूर ने बताया कि ग्रेडिंग पैकिंग का काम उनको पंसद आ रहा है और कोरोना संकट काल में वो 22 हजार रुपये प्रति माह कमा रहे हैं. उन्होंने कहा कि ग्रेडिंग पैकिंग का काम उनकी जीविका के लिए वरदान है.

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