शिमला: हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर भर्ती पर हुई धांधली को लेकर चल रहा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. वीरवार को फोरम अगेंस्ट करप्शन (FAC) ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान आरटीआई रिपोर्ट का हवाला देते हुए एचपी यूनिवर्सिटी में सहायक प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसर की 250 सीटों पर हुई भर्ती प्रकिया पर धांधली का आरोप लगाया है. एफएसी का (Forum Against Corruption) कहना है कि इस भर्ती प्रक्रिया में यूजीसी नियमों को दरकिनार करके यूनिवर्सिटी प्रशासन ने अपने चहेतों में सीटें बांट दी है.
फोरम अगेंस्ट करप्शन के कन्वीनर टिकेंद्र पंवर ने आरोप लगाया कि भर्ती प्रक्रिया के जो नियम और शर्तें हैं उसके (rigging in Professor Recruitment in HPU) मुताबिक उम्मीदवार को शोध कार्य किया होना चाहिए और यूजीसी द्वारा पत्रिकाओं में शोध पत्र या लेख प्रकाशित होने चाहिए. जबकि नियुक्त हुए कुछ कैंडिडेट इस शर्त के लिए योग्य नहीं हैं. एचपीयू में भर्ती के लिए उम्मीदवार को यूजीसी से राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा यानी नेट पास होना चाहिए. जिन लोगों के पास नेट योग्यता नहीं है, उन्हें 2009 में इस विचार के साथ छूट दी गई थी कि उनके पास पीएचडी होनी चाहिए.
इसके अलावा अनुभव प्रमाण पत्र का होना (FAC on Professor Recruitment in HPU) भी आवश्यक है, जबकि भर्ती किए गए बहुत से उम्मीदवार ऐसे हैं जो इस शर्त को भी पूरा नहीं कर पाए. इसके अलावा भी बहुत सी योग्यताएं होना जरूरी है जो भर्ती किए हुए उम्मीदवारों के पास नहीं है. फोरम अगेंस्ट करप्शन के कन्वीनर टिकेंद्र पंवर ने कहा कि यूनिवर्सिटी में EWS के तहत भर्ती प्रकिया की गई है, जो समझ से परे है.
उन्होंने कहा कि कोरोना टाइम में की गई इन भर्तियों में सुबह इंटरव्यू लिया गया और शाम तक ज्वॉइनिंग दी गई, तो कहा जा सकता है कि किस तरह का भ्रष्टचार हो रहा है. वाइस चांसलर समेत बहुत से अधिकारी इस घोटाले में शामिल हैं, जिसकी जांच होनी चाहिए. जब टीचिंग लाइन में इस तरह भर्ती की जा रही है तो शिक्षा का स्तर किस ओर जाएगा, अंदाजा लगाया जा सकता है. उन्होंने कहा कि यूनिवर्सिटी के हर डिपार्टमेंट की भर्तियों की न्यायिक जांच होनी चाहिए और नई भर्तियों पर तुरंत रोक लगानी चाहिए.
ये भी पढ़ें: जयराम कैबिनेट की बैठक आज, NTT पॉलिसी को मिल सकती मंजूरी, जल्द भरे जाएंगे 4700 पद