शिमला: प्रदेश के जनजातीय और दूर दराज के स्कूलों में रिक्त पड़े शिक्षकों के पदों को एसएमसी के तहत भरने की प्रक्रिया उलझ गई हैं. इस प्रक्रिया को लेकर शिक्षा विभाग हाईकोर्ट के फैसले ओर सरकार के निर्देशों के बीच ही घिर कर रहा गया है.
हाईकोर्ट जहां एमएमसी की नियुक्तियों की जगह नियमित नियुक्तियां करने के आदेश जारी कर रहा है वहीं, प्रदेश सरकार शिक्षा विभाग को स्कूलों में रिक्त पड़े पदों को एसएमसी के तहत भरने के निर्देश जारी कर रहा है.
ऐसे में अब इस स्थिति से बाहर निकलने के लिए प्रारंभिक शिक्षा विभाग कोर्ट के आदेशों पर आधारित एमएमसी शिक्षकों के स्थान पर नियमित शिक्षकों की नियुक्ति का प्रस्ताव सरकार को भेजने की तैयारी कर रहा है.
प्रदेश के स्कूलों में नियुक्त एसएमसी शिक्षकों स्टॉप गेप अरेंजमेंट के तहत 3 से 6 माह के लिए रखा जाता है जिसके बीच में इन पदों पर नियमित नियुक्तियां की जा सके, लेकिन प्रदेश के स्कूलों में तो कई वर्षों से यह एसएमसी शिक्षक सेवाए दे रहे हैं और अब स्थाई नीति की भी मांग कर रहे हैं.
इसी बात का हवाला हाईकोर्ट की ओर से भी शिक्षा विभाग को दिया गया है कि जब स्टॉप गेप अरेंजमेंट के तहत एसएमसी शिक्षकों की नियुक्तियां की जा रही हैं तो इनके स्थान पर रेगुलर शिक्षकों को नियुक्त की जाए.
अब कोर्ट के आदेशों के बाद प्रारंभिक शिक्षा निदेशक रोहित जम्वाल का कहना है कि एसएमसी की जगह स्कूलों में रेगुलर शिक्षकों की नियुक्ति की आदेश कोर्ट ने जारी किए हैं.
ऐसे में पहले से ही जो एसएमसी शिक्षक स्कूलों में तैनात हैं उनकी जगह और जो पद रिक्त हैं उन्हें भी नियमित भर्तियां करके ही भरना होगा. इसके लिए प्रस्ताव सरकार को भेजा जा रहा है.
अब जब स्कूलों में एसएमसी के तहत शिक्षकों की नियुक्तियां नहीं होंगी ओर जो 3 हजार के करीब एसएमसी शिक्षक स्कूलों में पहले से नियुक्त है उनकी जगह पर भी नियमित शिक्षक भर्ती किए जाएंगे. नियमित शिक्षकों की भर्तियों पर हजारों एमएमसी शिक्षकों को स्कूल छोड़ना पड़ेगा.
वर्षों से प्रदेश के स्कूलों में सेवाएं दे रहे एसएमसी शिक्षकों के लिए यह फैसला एक बड़ा झटका होगा. वहीं, प्रदेश के प्राथमिक और मिडल स्कूलों में रिक्त 4 हजार के करीब रिक्त पड़े पदों को बैचवाइज या कमीशन किस आधार पर भरा जाएगा इसका फैसला भी सरकार को करना होगा.
कितने समय के अंदर यह रेगुलर नियुक्तियां स्कूलों में होंगी यह भी सरकार को तय करना होगा. इसके साथ ही जो एसएमसी शिक्षक वर्षों से स्कूलों में अपनी सेवाएं दे रहे है ओर एक अपने लिए एक स्थायी नीति की मांग कर रहे है उनका विरोध झेलने के लिए भी सरकार को तैयार रहना होगा.