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फतेहपुर विधानसभा क्षेत्र के चुनावी मुद्दों का लंबे समय से नहीं निकला है कोई समाधान

पूर्व मंत्री और फतेहपुर से विधायक सुजान सिंह के निधन के बाद खाली हुई विधानसभा सीट स्थानीय मुद्दें पर लड़े जा रहे हैं. भवानी सिंह पठानिया और सहानुभूति लहर के सहारे कांग्रेस इस सीट को जीतने में लगी है. भाजपा ने इस बार टिकट बदल कर पिछली बार निर्दलीय चुनाव लड़े बलदेव ठाकुर को चुनाव मैदान में उतारा है. भाजपा की तरफ से चुनाव में जीत का जिम्मा वन मंत्री राकेश पठानिया और उद्योग मंत्री बिक्रम सिंह को दिया गया है. ऐसे में दोनों ही राजनीतिक दलों के लिए यह सीट प्रतिष्ठा का सवाल बनी हुई है.

हिमाचल उचुनाव
फतेहपुर विधानसभा क्षेत्र
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Published : Oct 29, 2021, 3:44 PM IST

शिमला: हिमाचल की राजनीति में कांगड़ा की भूमिका हमेशा ही महत्वपूर्ण रहती है. 16 विधानसभा सीटों वाले कांगड़ा जिले में हो रहा उपचुनाव आने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर खासा असर डाल सकते हैं. इसलिए भाजपा और कांग्रेस दोनों ही राजनीतिक दलों नें फतेहपुर सीट जीतने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है. कांग्रेस ने फतेहपुर विधानसभा सीट से पूर्व मंत्री स्व. सुजान सिंह पठानिया के पुत्र भवानी सिंह पठानिया को चुनाव मैदान में उतारा है. भवानी सिंह पठानिया और सहानुभूति लहर के सहारे कांग्रेस इस सीट को जीतने में लगी है. भाजपा ने इस बार टिकट बदल कर पिछली बार निर्दलीय चुनाव लड़े बलदेव ठाकुर को चुनाव मैदान में उतारा है.

भाजपा की तरफ से चुनाव में जीत का जिम्मा वन मंत्री राकेश पठानिया और उद्योग मंत्री बिक्रम सिंह को दिया गया है. ऐसे में दोनों ही राजनीतिक दलों के लिए यह सीट प्रतिष्ठा का सवाल बनी हुई है. फतेहपुर विधानसभा क्षेत्र के चुनावी मुद्दों पर नजर डालें तो इस विधानसभा क्षेत्र का पूरा इलाका ग्रामीण है. यहां के लोगों की सबसे बड़ी परेशानी सड़कों की खराब हालत है. क्षेत्र के अंदरूनी हिस्से में तो सड़कों की हालत बेहद दयनीय है. इसको लेकर कई बार ग्रामीण स्थानीय प्रशासन से शिकायत भी कर चुके हैं, लेकिन लंबे समय से सड़कों की हालत में सुधार नहीं हुआ है.

चुनाव प्रचार के दौरान भी ग्रामीण स्पष्ट रूप से सड़कों की खस्ता हालत को सरकार के समक्ष उठा चुके हैं. इसके अलावा यहां पौंग बांध विस्थापितों का मुद्दा भी लंबे समय से बना हुआ है. फतेहपुर विधानसभा क्षेत्र में 12000 के करीब पौंग बांध विस्थापित हैं. इन लोगों को ना तो स्थाई तौर पर जमीन के मुरब्बे आवंटित किए गए हैं और ना ही खेती के लिए उपयुक्त जमीन है. ये लोग पौंग बांध का किनारे खेती करते थे, लेकिन पिछले कुछ समय से प्रशासन की सख्ती और कोर्ट के आदेशों के बाद वहां खेती करने पर प्रतिबंध लगा दिया है. इसके अलावा पीने के पानी की दिक्कत भी क्षेत्र के लोगों को झेलनी पड़ रही है. प्राकृतिक पानी के स्रोतों की कमी के कारण विधानसभा का अधिकांश इलाका सप्लाई के पानी पर निर्भर रहता है.

स्थानीय लोगों का कहना कि पानी के पानी की सप्लाई नियमित रूप से नहीं मिलने के कारण लोगों को दूर-दूर से पीने के लिए पानी लाना पड़ता है. किसानों को आवारा पशुओं की दिक्कत भी झेलनी पड़ रही है. इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में आवार पशु हैं, जिनके कारण अब अधिकांश किसानों ने खेतों में फसलें बीजना छोड़ दी है. कोई भी सरकार लोगों की इन समस्याओं का अभी तक स्थाई हल नहीं निकाल पाई.

ये भी पढ़ें : अर्की में भाजपा-कांग्रेस दोनों तरफ असंतुष्टों की बड़ी फौज, वोटरों की चुप्पी ने बढ़ाई उम्मीदवारों की बेचैनी

फतेहपुर से कांग्रेस हैट्रिक लगा चुकी है. पूर्व मंत्री स्व. सुजान सिंह पठानिया लगातार तीन बार यहां से चुनाव जीते हैं. लंबी बीमारी के चलते इस साल फरवरी में उनका निधन हो गया. अब उनके बेटे भवानी सिंह पठानिया कांग्रेस के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे हैं. हालांकि कांग्रेस के पास निशावर सिंह, चेतन चंबयाल, राघव सिंह पठानिया जैसे वरिष्ठ नेता भी टिकट चाह रहे थे. जिसके चलते उन्होंने शुरुआत में भवानी सिंह पठानिया को टिकट देने का विरोध भी किया था.

इसके अलावा भाजपा की तरफ से सांसद रह चुके और पार्टी के वरिष्ठ पदों पर जिम्मेदारी निभा चुके कृपाल परमार टिकट के दावेदारों में शामिल रहे, लेकिन भाजपा ने पिछली बार निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़े बलदेव ठाकुर को चुनावी मैदान में उतारा है. बलदेव ठाकुर इससे पहले भाजपा के कई पदों पर दायित्व निभा चुके हैं. फतेहपुर चुनावों में तीसरे उम्मीदवार निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ रहे राजन सुशांत हैं. राजन सुशांत भाजपा के ही पूर्व सांसद एवं धूमल सरकार में मंत्री रहे हैं.

भाजपा से बगावत करने के बाद उन्होंने ‘हमारी पार्टी हिमाचल पार्टी’ का गठन किया है. अगर, स्व. सुजान सिंह पठानिया की बात करें तो लंबी बीमारी के बाद इसी साल फरवरी में उनका देहांत हो गया था. पूर्व मंत्री सुजान सिंह पठानिया कांग्रेस के दिग्गज थे. वह 7 बार इस सीट से विधायक रहे. पठानिया साल 1977 में राज्य विधानसभा के लिए चुने गए थे और इसके बाद वह 1990, 1993, 2003, 2009 में ज्वाली विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव, 2012 और 2017 में फतेहपुर सीट से चुनाव जीते थे. साल 2007 में परिसीमन से पहले फतेहपुर विधानसभा क्षेत्र ज्वाली कहलाता था.

ये भी पढ़ें : जुब्बल-कोटखाई में एक बार भाजपा और एक बार कांग्रेस, लेकिन इस बार बदला-बदला है माहौल

कांगड़ा जिले की फतेहपुर विधानसभा सीट पर इस बार कुल 87 हजार 201 मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे. इनमें 44 हजार 646 पुरुष और 42 हजार 555 महिला मतदाता शामिल हैं. इसके अलावा 2069 मतदाताओं की उम्र 18 से 19 वर्ष के बीच है. फतेहपुर विधानसभा सीट पर मतदान के लिए 111 मतदान केंद्र बनाए गए हैं. चुनावों से निष्पक्ष ढंग से संचालन के लिए एक रिटर्निंग ऑफिसर और दो सहायक रिटर्निंग ऑफिसर तैनात किए हैं.

फतेहपुर के राजनीति समीकरणों पर एक नजर...
वर्ष सदस्य का नाम पार्टी
1982-85राजन सुशांत बीजेपी
1985-90 राजन सुशांत बीजेपी
1990-92 सुजान सिंह पठानिया कांग्रेस
1993-98 सुजान सिंह पठानिया कांग्रेस
1998-2003राजन सुशांत बीजेपी
2003-2007सुजान सिंह पठानिया कांग्रेस
2007-2012सुजान सिंह पठानिया कांग्रेस
2012-17 सुजान सिंह पठानिया कांग्रेस
2017-2021सुजान सिंह पठानिया कांग्रेस

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शिमला: हिमाचल की राजनीति में कांगड़ा की भूमिका हमेशा ही महत्वपूर्ण रहती है. 16 विधानसभा सीटों वाले कांगड़ा जिले में हो रहा उपचुनाव आने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर खासा असर डाल सकते हैं. इसलिए भाजपा और कांग्रेस दोनों ही राजनीतिक दलों नें फतेहपुर सीट जीतने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है. कांग्रेस ने फतेहपुर विधानसभा सीट से पूर्व मंत्री स्व. सुजान सिंह पठानिया के पुत्र भवानी सिंह पठानिया को चुनाव मैदान में उतारा है. भवानी सिंह पठानिया और सहानुभूति लहर के सहारे कांग्रेस इस सीट को जीतने में लगी है. भाजपा ने इस बार टिकट बदल कर पिछली बार निर्दलीय चुनाव लड़े बलदेव ठाकुर को चुनाव मैदान में उतारा है.

भाजपा की तरफ से चुनाव में जीत का जिम्मा वन मंत्री राकेश पठानिया और उद्योग मंत्री बिक्रम सिंह को दिया गया है. ऐसे में दोनों ही राजनीतिक दलों के लिए यह सीट प्रतिष्ठा का सवाल बनी हुई है. फतेहपुर विधानसभा क्षेत्र के चुनावी मुद्दों पर नजर डालें तो इस विधानसभा क्षेत्र का पूरा इलाका ग्रामीण है. यहां के लोगों की सबसे बड़ी परेशानी सड़कों की खराब हालत है. क्षेत्र के अंदरूनी हिस्से में तो सड़कों की हालत बेहद दयनीय है. इसको लेकर कई बार ग्रामीण स्थानीय प्रशासन से शिकायत भी कर चुके हैं, लेकिन लंबे समय से सड़कों की हालत में सुधार नहीं हुआ है.

चुनाव प्रचार के दौरान भी ग्रामीण स्पष्ट रूप से सड़कों की खस्ता हालत को सरकार के समक्ष उठा चुके हैं. इसके अलावा यहां पौंग बांध विस्थापितों का मुद्दा भी लंबे समय से बना हुआ है. फतेहपुर विधानसभा क्षेत्र में 12000 के करीब पौंग बांध विस्थापित हैं. इन लोगों को ना तो स्थाई तौर पर जमीन के मुरब्बे आवंटित किए गए हैं और ना ही खेती के लिए उपयुक्त जमीन है. ये लोग पौंग बांध का किनारे खेती करते थे, लेकिन पिछले कुछ समय से प्रशासन की सख्ती और कोर्ट के आदेशों के बाद वहां खेती करने पर प्रतिबंध लगा दिया है. इसके अलावा पीने के पानी की दिक्कत भी क्षेत्र के लोगों को झेलनी पड़ रही है. प्राकृतिक पानी के स्रोतों की कमी के कारण विधानसभा का अधिकांश इलाका सप्लाई के पानी पर निर्भर रहता है.

स्थानीय लोगों का कहना कि पानी के पानी की सप्लाई नियमित रूप से नहीं मिलने के कारण लोगों को दूर-दूर से पीने के लिए पानी लाना पड़ता है. किसानों को आवारा पशुओं की दिक्कत भी झेलनी पड़ रही है. इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में आवार पशु हैं, जिनके कारण अब अधिकांश किसानों ने खेतों में फसलें बीजना छोड़ दी है. कोई भी सरकार लोगों की इन समस्याओं का अभी तक स्थाई हल नहीं निकाल पाई.

ये भी पढ़ें : अर्की में भाजपा-कांग्रेस दोनों तरफ असंतुष्टों की बड़ी फौज, वोटरों की चुप्पी ने बढ़ाई उम्मीदवारों की बेचैनी

फतेहपुर से कांग्रेस हैट्रिक लगा चुकी है. पूर्व मंत्री स्व. सुजान सिंह पठानिया लगातार तीन बार यहां से चुनाव जीते हैं. लंबी बीमारी के चलते इस साल फरवरी में उनका निधन हो गया. अब उनके बेटे भवानी सिंह पठानिया कांग्रेस के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे हैं. हालांकि कांग्रेस के पास निशावर सिंह, चेतन चंबयाल, राघव सिंह पठानिया जैसे वरिष्ठ नेता भी टिकट चाह रहे थे. जिसके चलते उन्होंने शुरुआत में भवानी सिंह पठानिया को टिकट देने का विरोध भी किया था.

इसके अलावा भाजपा की तरफ से सांसद रह चुके और पार्टी के वरिष्ठ पदों पर जिम्मेदारी निभा चुके कृपाल परमार टिकट के दावेदारों में शामिल रहे, लेकिन भाजपा ने पिछली बार निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़े बलदेव ठाकुर को चुनावी मैदान में उतारा है. बलदेव ठाकुर इससे पहले भाजपा के कई पदों पर दायित्व निभा चुके हैं. फतेहपुर चुनावों में तीसरे उम्मीदवार निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ रहे राजन सुशांत हैं. राजन सुशांत भाजपा के ही पूर्व सांसद एवं धूमल सरकार में मंत्री रहे हैं.

भाजपा से बगावत करने के बाद उन्होंने ‘हमारी पार्टी हिमाचल पार्टी’ का गठन किया है. अगर, स्व. सुजान सिंह पठानिया की बात करें तो लंबी बीमारी के बाद इसी साल फरवरी में उनका देहांत हो गया था. पूर्व मंत्री सुजान सिंह पठानिया कांग्रेस के दिग्गज थे. वह 7 बार इस सीट से विधायक रहे. पठानिया साल 1977 में राज्य विधानसभा के लिए चुने गए थे और इसके बाद वह 1990, 1993, 2003, 2009 में ज्वाली विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव, 2012 और 2017 में फतेहपुर सीट से चुनाव जीते थे. साल 2007 में परिसीमन से पहले फतेहपुर विधानसभा क्षेत्र ज्वाली कहलाता था.

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कांगड़ा जिले की फतेहपुर विधानसभा सीट पर इस बार कुल 87 हजार 201 मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे. इनमें 44 हजार 646 पुरुष और 42 हजार 555 महिला मतदाता शामिल हैं. इसके अलावा 2069 मतदाताओं की उम्र 18 से 19 वर्ष के बीच है. फतेहपुर विधानसभा सीट पर मतदान के लिए 111 मतदान केंद्र बनाए गए हैं. चुनावों से निष्पक्ष ढंग से संचालन के लिए एक रिटर्निंग ऑफिसर और दो सहायक रिटर्निंग ऑफिसर तैनात किए हैं.

फतेहपुर के राजनीति समीकरणों पर एक नजर...
वर्ष सदस्य का नाम पार्टी
1982-85राजन सुशांत बीजेपी
1985-90 राजन सुशांत बीजेपी
1990-92 सुजान सिंह पठानिया कांग्रेस
1993-98 सुजान सिंह पठानिया कांग्रेस
1998-2003राजन सुशांत बीजेपी
2003-2007सुजान सिंह पठानिया कांग्रेस
2007-2012सुजान सिंह पठानिया कांग्रेस
2012-17 सुजान सिंह पठानिया कांग्रेस
2017-2021सुजान सिंह पठानिया कांग्रेस

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