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साइबर ठगी का नया पैंतरा! प्रदेश की महत्वपूर्ण हस्तियों के नाम से भेजे जा रहे व्हाट्सएप संदेश

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Published : Apr 17, 2022, 12:41 PM IST

पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश में भी अब आए दिन साइबर अपराध के मामले सामने आ रहे हैं जो चिंता का विषय बने हुए (CYBER CRIME CASE IN HIMACHAL) है. ऐसे में डीजीपी संजय कुंडू ने सभी लोगों से सतर्क रहने की अपील की (SANJAY KUNDU ON CYBER CRIME) है. साइबर ठग किस तरह से लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं पढ़ें इस खबर में...

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हिमाचल प्रदेश में साइबर अपराध

शिमला: हिमाचल प्रदेश में साइबर अपराध तेजी से फैलता जा रहा (cyber crime case in himachal) है. साइबर ठग नए-नए हथकंडे अपना ठगी की वारदातों को अंजाम दे रहे हैं. अलग-अलग तरीके से साइबर अपराधी लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं. प्रदेश में साइबर ठगी के बढ़ते मामलों को देखते हुए डीजीपी संजय कुंडू ने लोगों से सतर्कता बरतने की अपील की है.

हिमाचल प्रदेश की महत्वपूर्ण हस्तियों समेत कुछ अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के नाम से फर्जी वॉट्सएप मैसेज आने की शिकायत मिलने के बाद पुलिस के साइबर सेल ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है. डीजीपी संजय कुंडू ने लोगों को आगाह करते हुए कहा कि अगर वॉट्सएप पर कोई अंजान नंबर से किसी भी तरह का लिंक आए तो उसे बिल्कुल ओपन ना करें. पुलिस ने अपील की है कि किसी भी अज्ञात व्यक्ति को अपने बैंक के खाते की जानकारी ना दें.

विश्लेषण से यह बात सामने आई है कि मुख्य रूप से मोबाइल सिम कार्ड, ई-केवाईसी, वैलिडेशन, नौकरी के लिए झांसा, लोन देने के नाम पर झांसा, डेबिट/क्रेडिट कार्ड फ्रॉड, ऑनलाइन शॉपिंग, होम डिलीवरी फ्रॉड, पावर बैंक ऐप फ्रॉड, ई-केवाईसी अपडेट फ्रॉड, फेसबुक फ्रॉड और वीडियो कॉल के माध्यम से ब्लैक मेलिंग के जरिए ठगा जा रहा है.

बैंक खाते से जुड़ी जानकारी शेयर ना करें- इन जानकारियों के जरिये कोई भी आपकी मेहनत की कमाई पर हाथ साफ कर सकता है. ये ठगी का सबसे कॉमन तरीका है. जिसमें ठग आपको फोन करते हैं और आपके बैंक खाते या डेबिट/क्रेडिट कार्ड को अपडेट करने या जानकारी ले ली जाती (cyber crime in himachal) है. ऐसे फोन कॉल से बचें और अपने बैंक खाते या डेबिट कार्ड से जुड़ी जरूरी जानकारियां जैसे ओटीपी, सीवीवी नंबर आदि किसी के साथ भी शेयर ना करें.

क्लोन एप से बचें- ये ठगों का नया हथियार है. दरअसल मौजूदा दौर में ऑनलाइन शॉपिंग और ई-कॉमर्स साइट का चलन बढ़ा है. ऐसे में ठगों द्वारा नामी वेबसाइट से मिलती जुलती साइट तैयार कर ली जाती है, जो देखने में बिल्कुल असली वेबसाइट जैसी नजर (SANJAY KUNDU ON CYBER CRIME) आएगी. ठग इन साइट्स को गूगल पर ट्रेंड करवाते हैं ताकि सर्च करने पर ये आपको ऊपर ही दिखाई दें. इन पर काफी कम कीमत पर सामान दिखाया जाता है, जिससे ज्यादा से ज्यादा खरीदारी के चक्कर में लोग ऑनलाइन पेमेंट करते हैं और ठगे जाते हैं.

लॉटरी, तोहफे, डबल स्कीम, डिस्काउंट से सावधान- ठग आपको मैसेज या फोन के जरिये आपकी लाखों की लॉटरी लगने, तोहफे मिलने, कम वक्त में पैसा डबल या किसी उत्पाद पर भारी डिस्काउंट देने के नाम पर संपर्क करते हैं. जिसके बाद उनके बैंक खाते से जुड़ी जानकारी ली जाती है और ठगी का शिकार हो जाते हैं.

नौकरी, बिजनेस सेटअप के नाम पर ठगी- इस तरह की ठगी को अंजाम देने के लिए ठगों द्वारा ऐसा जाल बिछाया जाता है जिसमें बेरोजगार युवाओं और बिजनेस सेटअप लगाने की सोच रहे लोगों को निशाना बनाया जाता है.

साइबर ठगी हो तो क्या करें?- साइबर ठगों का शिकार बनने पर सबसे पहले पुलिस को जानकारी दें. खासकर ऐसे मामलों में साइबर सेल को जानकारी देना उचित होगा. हिमाचल में इसके लिए साल 2016 में शिमला में साइबर सेल बना है जहां इस तरह के मामलों की जांच होती है. इसके अलावा ई-मेल और टोल फ्री नंबर पर भी साइबर क्राइम की शिकायत दी जा सकती है.

ये भी पढ़ें: क्राइम से निपटने के लिए पुलिस लेगी इस संस्थान की मदद, IIIT और पुलिस ट्रेनिंग कॉलेज डरोह के बीच MOU साइन

शिमला: हिमाचल प्रदेश में साइबर अपराध तेजी से फैलता जा रहा (cyber crime case in himachal) है. साइबर ठग नए-नए हथकंडे अपना ठगी की वारदातों को अंजाम दे रहे हैं. अलग-अलग तरीके से साइबर अपराधी लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं. प्रदेश में साइबर ठगी के बढ़ते मामलों को देखते हुए डीजीपी संजय कुंडू ने लोगों से सतर्कता बरतने की अपील की है.

हिमाचल प्रदेश की महत्वपूर्ण हस्तियों समेत कुछ अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के नाम से फर्जी वॉट्सएप मैसेज आने की शिकायत मिलने के बाद पुलिस के साइबर सेल ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है. डीजीपी संजय कुंडू ने लोगों को आगाह करते हुए कहा कि अगर वॉट्सएप पर कोई अंजान नंबर से किसी भी तरह का लिंक आए तो उसे बिल्कुल ओपन ना करें. पुलिस ने अपील की है कि किसी भी अज्ञात व्यक्ति को अपने बैंक के खाते की जानकारी ना दें.

विश्लेषण से यह बात सामने आई है कि मुख्य रूप से मोबाइल सिम कार्ड, ई-केवाईसी, वैलिडेशन, नौकरी के लिए झांसा, लोन देने के नाम पर झांसा, डेबिट/क्रेडिट कार्ड फ्रॉड, ऑनलाइन शॉपिंग, होम डिलीवरी फ्रॉड, पावर बैंक ऐप फ्रॉड, ई-केवाईसी अपडेट फ्रॉड, फेसबुक फ्रॉड और वीडियो कॉल के माध्यम से ब्लैक मेलिंग के जरिए ठगा जा रहा है.

बैंक खाते से जुड़ी जानकारी शेयर ना करें- इन जानकारियों के जरिये कोई भी आपकी मेहनत की कमाई पर हाथ साफ कर सकता है. ये ठगी का सबसे कॉमन तरीका है. जिसमें ठग आपको फोन करते हैं और आपके बैंक खाते या डेबिट/क्रेडिट कार्ड को अपडेट करने या जानकारी ले ली जाती (cyber crime in himachal) है. ऐसे फोन कॉल से बचें और अपने बैंक खाते या डेबिट कार्ड से जुड़ी जरूरी जानकारियां जैसे ओटीपी, सीवीवी नंबर आदि किसी के साथ भी शेयर ना करें.

क्लोन एप से बचें- ये ठगों का नया हथियार है. दरअसल मौजूदा दौर में ऑनलाइन शॉपिंग और ई-कॉमर्स साइट का चलन बढ़ा है. ऐसे में ठगों द्वारा नामी वेबसाइट से मिलती जुलती साइट तैयार कर ली जाती है, जो देखने में बिल्कुल असली वेबसाइट जैसी नजर (SANJAY KUNDU ON CYBER CRIME) आएगी. ठग इन साइट्स को गूगल पर ट्रेंड करवाते हैं ताकि सर्च करने पर ये आपको ऊपर ही दिखाई दें. इन पर काफी कम कीमत पर सामान दिखाया जाता है, जिससे ज्यादा से ज्यादा खरीदारी के चक्कर में लोग ऑनलाइन पेमेंट करते हैं और ठगे जाते हैं.

लॉटरी, तोहफे, डबल स्कीम, डिस्काउंट से सावधान- ठग आपको मैसेज या फोन के जरिये आपकी लाखों की लॉटरी लगने, तोहफे मिलने, कम वक्त में पैसा डबल या किसी उत्पाद पर भारी डिस्काउंट देने के नाम पर संपर्क करते हैं. जिसके बाद उनके बैंक खाते से जुड़ी जानकारी ली जाती है और ठगी का शिकार हो जाते हैं.

नौकरी, बिजनेस सेटअप के नाम पर ठगी- इस तरह की ठगी को अंजाम देने के लिए ठगों द्वारा ऐसा जाल बिछाया जाता है जिसमें बेरोजगार युवाओं और बिजनेस सेटअप लगाने की सोच रहे लोगों को निशाना बनाया जाता है.

साइबर ठगी हो तो क्या करें?- साइबर ठगों का शिकार बनने पर सबसे पहले पुलिस को जानकारी दें. खासकर ऐसे मामलों में साइबर सेल को जानकारी देना उचित होगा. हिमाचल में इसके लिए साल 2016 में शिमला में साइबर सेल बना है जहां इस तरह के मामलों की जांच होती है. इसके अलावा ई-मेल और टोल फ्री नंबर पर भी साइबर क्राइम की शिकायत दी जा सकती है.

ये भी पढ़ें: क्राइम से निपटने के लिए पुलिस लेगी इस संस्थान की मदद, IIIT और पुलिस ट्रेनिंग कॉलेज डरोह के बीच MOU साइन

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