शिमलाः प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों नाहन, हमीरपुर और चम्बा में सीटी स्कैन मशीनों की मरम्मत पर करीब साढ़े 3 करोड़ रुपये खर्च होने बाद भी मशीनें खराब पड़ी हैं. विधानसभा में मामला उठने के बाद अब सरकार ने इनसे जवाब तलब किया है.
प्रदेश के विभिन्न मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में मशीन की कीमत से अधिक पैसा उसकी मरम्मत पर खर्च हो रहा है. राज्य के सबसे बड़े स्वास्थ्य संस्थान आईजीएमसी अस्पताल में सीटी (कंप्यूटराइज्ड टोमोग्राफी) स्कैन के मरम्मत पर 2.77 करोड़ रुपये से अधिक खर्च कर दिया.
एमआरआई मशीन पर 2.69 करोड़ रुपये खर्च
यही नहीं, आईजीएमसी में स्थापित एमआरआई (मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग) मशीन की कुल कीमत 70 लाख बताई गई है और उसकी मरम्मत पर अब तक 2.69 करोड़ रुपये की रकम खर्च कर दी गई.
डायग्नोस्टिक थाउजेंड एमए एक्सरे 30 लाख रुपये खर्च
ये खुलासा विधानसभा में कांग्रेस विधायक सुखविंद्र सिंह सुक्खू व आशीष बुटेल की तरफ से पूछे गए सवाल के जवाब में हुआ है. हैरत की बात यह है कि आईजीएमसी अस्पताल में एक डायग्नोस्टिक थाउजेंड एमए एक्सरे मशीन पांच लाख की खरीदी गई और उसकी मरम्मत पर ही 30 लाख रुपये से अधिक खर्च कर दिए गए.
मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में मशीनों का ये हाल
आईजीएमसी अस्पताल की सीटी स्कैन मशीन की मरम्मत पर कुल 2,76,73,350 (2.77 करोड़) और एमआरआई मशीन की मरम्मत पर 2,68,28,030 (2.69 करोड़) रुपये खर्च हुए हैं. सीटी स्कैन मशीन और एमआरआई मशीन, इन दोनों स्वास्थ्य उपकरणों पर 2013-14 से ये मरम्मत खर्च हो रहा है.
इसके लिए एएमसी व सीएमसी यानी सालाना मरम्मत अनुबंध व सतत मरम्मत अनुबंध होता है. इसके अलावा टांडा मेडिकल कॉलेज अस्पताल, हमीरपुर कॉलेज अस्पताल व अन्य मेडिकल कॉलेज अस्पतालों का भी यही हाल है.
करोड़ों खर्च करने के बाद भी मशीन खराब
सुखविंद्र सिंह सुक्खू व आशीष बुटेल के सवाल के लिखित जवाब में स्वास्थ्य मंत्री डॉ. राजीव सैजल की तरफ से बताया गया कि डॉ. राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल टांडा में भी 2008 में 4.80 करोड़ में स्थापित एमआरआई मशीन की मरम्मत पर 2,39,84,792 रुपये खर्च हो चुके हैं.
इसी तरह यहीं पर 2008 में स्थापित सीटी स्कैन मशीन की मरम्मत पर 2,61,56,592 रुपये खर्च किए जा चुके है. हालत ये है कि इतनी बड़ी रकम खर्च करने के बाद भी टांडा में ये मशीन खराब है.
नाहन मेडिकल कॉलेज में भी1.68 करोड़ खर्च करने के बाद भी मशीन खराब
वहीं, वर्ष 2008 में ही स्थापित कलर डॉप्लर की मरम्मत पर भी 20,86,324 रुपये खर्च किए जा चुके हैं. यहां तीन 500-एक्सरे मशीन में से एक ही चल रही है. इनकी मरम्मत पर 34,80,497 रुपये खर्च हुए. टांडा में ही 100-एमए एक्सरे मशीन की मरम्मत पर 8,18,347 खर्च कर दिए गए. नाहन मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में 2007 में स्थापित सीटी स्कैन मशीन की रिपेयर पर 1,67,64,000 (1.68 करोड़) खर्च हुए हैं और आजकल ये मशीन खराब है.
2016 से बंद पड़ी है मशीन
नाहन अस्पताल में ये मशीन 19 सितम्बर 2020 से खराब पड़ी है. हमीरपुर में 2006 में स्थापित सीटी स्कैन मशीन की मरम्मत पर 97,64,560 खर्च करने के बावजूद ये बीते साल से खराब है. चंबा में सीटी स्कैन मशीन की मरम्मत पर 82,74,000 रुपये खर्च करने के बावजूद वो 2016 से बंद पड़ी है.
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