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Meeting of MC Shimla: डीलिमिटेशन के विरोध में उतरे पार्षद, कहा- क्षेत्रों को मर्ज करने से पहले दी जाए अच्छी सुविधाएं

शिमला शहर के साथ लगते क्षेत्रों को नगर निगम में शामिल करने का विरोध शुरू हो गया है. पार्षदों ने सोमवार को हुए नगर निगम के विशेष हाउस में साफ कर दिया है कि जब तक शहर के वार्डों को सुविधाएं नहीं मिलती, तब तक शहर का विस्तार (Meeting of MC Shimla) नहीं करना चाहिए. वहीं, नगर निगम ने भी सरकार को पार्षदों की राय भेजी है और अब सरकार फैसला लेगी की किन क्षेत्रों को नगर निगम में शामिल किया जाना चाहिए या नहीं.

Meeting of MC Shimla
नगर निगम शिमला की बैठक
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Published : Jan 3, 2022, 7:34 PM IST

शिमला: शिमला शहर के साथ लगते क्षेत्रों को नगर निगम में शामिल करने का विरोध शुरू हो गया है. पार्षदों ने सोमवार को हुए नगर निगम के विशेष हाउस में साफ कर दिया है कि जब तक शहर के वार्डों को सुविधाएं नहीं मिलती, तब तक शहर का विस्तार नहीं करना चाहिए. पार्षदों का कहना है कि 2006 में जिन नए क्षेत्रों (Meeting of MC Shimla) को शामिल किया गया है, उन्हें अभी तक पूरी सुविधा नहीं दी गई है. इनमें कई क्षेत्र ऐसे हैं जहां पर लोगों के हजारों भवन अधर में लटके है.

पार्षदों का कहना है कि लोगों को बिजली पानी से लेकर अन्य सुविधाएं पूरी तरह से नहीं मिल रही है. इसलिए राज्य सरकार की ओर से इस प्रस्ताव को पार्षदों के विरोध के साथ वापस भेज (Proposal for expansion of MC Shimla area) दिया जाए. बता दें कि शहरी विकास विभाग की ओर से मिले पत्र को निगम प्रशासन की ओर से सदन में पार्षदों की राय जानने के लिए रखा गया था. इसमें चम्याणा, मल्याणा, वरमू, पुजारली, मेहली, झकडैल क्षेत्र को शामिल करने की तैयारी थी.

इस पर पार्षदों ने साफ कहा कि जब भी इस तरह का मर्जर किया जाता है, तब पूरी बातों का ध्यान नहीं रखा जाता. 2006 में जिन क्षेत्रों को शामिल किया गया था, वहां पर आज भी सरकारी (Special House of MC shimla) भूमि पंचायतों के पास है. ऐसे में यहां का विकास कराना मुश्किल हो रहा है. इसलिए जब भी किसी भी क्षेत्र को शामिल किया जाए, तो उसे पूरी तरह से शामिल किया जाए. टैक्स से लेकर सारी व्यवस्था पहले दिन से ही की जाए ताकि उस क्षेत्र का विकास हो सके.

नगर निगम के पार्षद विवेक शर्मा ने कहा कि ठीक तरह से मर्ज होने के कारण आज भी लोगों को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. इसलिए सही तरीके से इनका मर्जर किया जाए. उन्होंने कहा कि न्यू मर्ज एरिया के लोगों को आज तक पानी कमर्शियल दरों पर दिया जा रहा है. 2017 में बिना एनओसी के ऐसे भवन मालिकों को घरेलू दरों पर पानी देने की बात हुई थी, लेकिन आज तक इसमें कोई काम नहीं हो सका है.

वहीं, टुटू के पार्षद विवेक शर्मा ने कहा कि नगर निगम में पहले मर्ज किए गए एरिया की भूमि स्थानान्तरित नहीं की गई है. ऐसे में वहां कार्य करने में काफी मुश्किल आती है और पंचायतों से एनओसी लेनी पड़ती है. जबकि कसुम्पटी के पार्षद राकेश चौहान ने कहा कि नगर निगम में शामिल करने से पहले वहां के लोगों की राय लेना (Merge area of MC Shimla) जरूरी है और लोगों को जबरदस्ती ही नगर निगम में शामिल नहीं किया जाना चाहिए.

इसके अलावा भराड़ी वार्ड की पार्षद तनुजा चौधरी सहित रीटा ठाकुर ने बैठक में साफ कहा कि जब लोग ही शामिल नहीं होना चाहते हैं, तो उन्हें शामिल करने की क्या जरूरत है. उन्होंने कहा कि निगम के पास जितना क्षेत्र है, उसी में बेहतर सुविधाएं देने पर काम किया जाना चाहिए. वहीं, नगर निगम ने भी सरकार को पार्षदों की राय भेजी है और अब सरकार फैसला लेगी की किन क्षेत्रों को नगर निगम में शामिल किया जाना चाहिए या नहीं.

ये भी पढ़ें: नशे के खिलाफ सिरमौर पुलिस की कार्रवाई, राजगढ़ में 120 लीटर अवैध शराब बरामद

शिमला: शिमला शहर के साथ लगते क्षेत्रों को नगर निगम में शामिल करने का विरोध शुरू हो गया है. पार्षदों ने सोमवार को हुए नगर निगम के विशेष हाउस में साफ कर दिया है कि जब तक शहर के वार्डों को सुविधाएं नहीं मिलती, तब तक शहर का विस्तार नहीं करना चाहिए. पार्षदों का कहना है कि 2006 में जिन नए क्षेत्रों (Meeting of MC Shimla) को शामिल किया गया है, उन्हें अभी तक पूरी सुविधा नहीं दी गई है. इनमें कई क्षेत्र ऐसे हैं जहां पर लोगों के हजारों भवन अधर में लटके है.

पार्षदों का कहना है कि लोगों को बिजली पानी से लेकर अन्य सुविधाएं पूरी तरह से नहीं मिल रही है. इसलिए राज्य सरकार की ओर से इस प्रस्ताव को पार्षदों के विरोध के साथ वापस भेज (Proposal for expansion of MC Shimla area) दिया जाए. बता दें कि शहरी विकास विभाग की ओर से मिले पत्र को निगम प्रशासन की ओर से सदन में पार्षदों की राय जानने के लिए रखा गया था. इसमें चम्याणा, मल्याणा, वरमू, पुजारली, मेहली, झकडैल क्षेत्र को शामिल करने की तैयारी थी.

इस पर पार्षदों ने साफ कहा कि जब भी इस तरह का मर्जर किया जाता है, तब पूरी बातों का ध्यान नहीं रखा जाता. 2006 में जिन क्षेत्रों को शामिल किया गया था, वहां पर आज भी सरकारी (Special House of MC shimla) भूमि पंचायतों के पास है. ऐसे में यहां का विकास कराना मुश्किल हो रहा है. इसलिए जब भी किसी भी क्षेत्र को शामिल किया जाए, तो उसे पूरी तरह से शामिल किया जाए. टैक्स से लेकर सारी व्यवस्था पहले दिन से ही की जाए ताकि उस क्षेत्र का विकास हो सके.

नगर निगम के पार्षद विवेक शर्मा ने कहा कि ठीक तरह से मर्ज होने के कारण आज भी लोगों को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. इसलिए सही तरीके से इनका मर्जर किया जाए. उन्होंने कहा कि न्यू मर्ज एरिया के लोगों को आज तक पानी कमर्शियल दरों पर दिया जा रहा है. 2017 में बिना एनओसी के ऐसे भवन मालिकों को घरेलू दरों पर पानी देने की बात हुई थी, लेकिन आज तक इसमें कोई काम नहीं हो सका है.

वहीं, टुटू के पार्षद विवेक शर्मा ने कहा कि नगर निगम में पहले मर्ज किए गए एरिया की भूमि स्थानान्तरित नहीं की गई है. ऐसे में वहां कार्य करने में काफी मुश्किल आती है और पंचायतों से एनओसी लेनी पड़ती है. जबकि कसुम्पटी के पार्षद राकेश चौहान ने कहा कि नगर निगम में शामिल करने से पहले वहां के लोगों की राय लेना (Merge area of MC Shimla) जरूरी है और लोगों को जबरदस्ती ही नगर निगम में शामिल नहीं किया जाना चाहिए.

इसके अलावा भराड़ी वार्ड की पार्षद तनुजा चौधरी सहित रीटा ठाकुर ने बैठक में साफ कहा कि जब लोग ही शामिल नहीं होना चाहते हैं, तो उन्हें शामिल करने की क्या जरूरत है. उन्होंने कहा कि निगम के पास जितना क्षेत्र है, उसी में बेहतर सुविधाएं देने पर काम किया जाना चाहिए. वहीं, नगर निगम ने भी सरकार को पार्षदों की राय भेजी है और अब सरकार फैसला लेगी की किन क्षेत्रों को नगर निगम में शामिल किया जाना चाहिए या नहीं.

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