शिमला: आखिरकार हिमाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग (Himachal Pradesh Public Service Commission) के अध्यक्ष पद का विवाद नई नियुक्ति के साथ थम गया है. जयराम सरकार ने आयोग के चेयरमैन के रूप में सीनियर आईपीएस अफसर रामेश्वर सिंह ठाकुर (HP Public Service Commission chairman) के नाम पर मुहर लगाई. इससे पहले राज्य सरकार ने आयोग की वरिष्ठतम सदस्या रचना गुप्ता को चेयरपर्सन के रूप में नियुक्त करने की अधिसूचना जारी की थी. यही नहीं, शपथ ग्रहण समारोह भी तय हो गया था, लेकिन राजभवन ने बाद में समारोह को रद्द कर दिया था.
प्रदेश भर में जयराम सरकार के इस फैसले को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं शुरू हो गई थीं. विपक्ष की तरफ से भी सवाल उठाए गए. कांग्रेस प्रवक्ता नरेश चौहान सहित नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री (Leader of Opposition Mukesh Agnihotri), प्रचार कमेटी के प्रमुख सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने भी सरकार से सवाल किया कि आखिर शपथ ग्रहण समारोह स्थगित क्यों किया गया. सीएम जयराम ठाकुर ने भी मीडिया के सवाल पर जवाब दिया था कि सरकार कांग्रेस से पूछ कर नियुक्तियां नहीं करेगी.
वहीं, सोशल मीडिया पर भी राज्य सरकार के फैसले की काफी आलोचना हुई थी. इन सब के बीच सरकार ने गुरुवार को सीनियर आईपीएस अफसर रामेश्वर सिंह ठाकुर (IG Intelligence IPS Rameshwar Thakur) को आयोग का नया चेयरमैन नियुक्त करने संबंधी अधिसूचना जारी की. हालांकि रामेश्वर सिंह ठाकुर के नाम पर बुधवार देर शाम को ही मुहर लग गई थी, लेकिन अधिसूचना 25 अगस्त को जारी की गई.
सुप्रीम कोर्ट ने दिए हैं चयन प्रक्रिया के निर्देश: सुप्रीम कोर्ट ने एक केस में ऐसे पदों के लिए गाइड लाइंज का प्रावधान करने के निर्देश दिए थे. इसके अनुसार आयोग के चेयरमैन अथवा चेयरपर्सन के लिए आवेदन मंगवाए जाने चाहिए. साथ ही चयन कमेटी का भी गठन होना चाहिए, लेकिन हिमाचल में ऐसी किसी प्रक्रिया का पालन नहीं हुआ है.
उल्लेखनीय है कि 9 साल पहले पंजाब सरकार बनाम सलिल मामले में सुप्रीम कोर्ट ने वहां की सरकार को निर्देश दिए थे कि नियुक्ति का प्रोसीजर तय किया जाए. सुप्रीम कोर्ट ने तब यानी वर्ष 2013 में पंजाब लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष की नियुक्ति को गलत भी ठहराया था. उसके बाद हिमाचल प्रदेश में वर्ष 2020 में भी प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य वर्सिज हेमराज मामले में सरकार को नियुक्ति के लिए प्रोसीजर तय करने के निर्देश दिए थे. सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट के निर्देश के बावजूद राज्य की सरकार ने किसी तरह की चयन प्रक्रिया तैयार नहीं की है.
ऐसे हुई जयराम सरकार की किरकिरी: हिमाचल में राज्य लोक सेवा आयोग के चेयरमैन आईएफएस अफसर अजय कुमार छह अगस्त को सेवानिवृत्त हो गए थे. उसके बाद राज्य सरकार ने चेयरपर्सन के तौर पर 17 अगस्त की रात को रचना गुप्ता के नाम की अधिसूचना जारी की. आनन-फानन में गुरुवार 18 अगस्त की सुबह साढ़े आठ बजे शपथ ग्रहण समारोह भी तय हो गया. चेयरपर्सन के साथ तीन सदस्यों के नाम की अधिसूचना भी की गई. सभी सदस्यों को 18 अगस्त की सुबह शपथ लेनी थी, लेकिन 17 अगस्त की रात को ही हलचल हुई और अचानक से शपथ ग्रहण समारोह रद्द कर दिया गया. बताया गया कि खुद रचना गुप्ता ने ये पद स्वीकार करने में किन्हीं कारणों से असमर्थता जताई थी. रचना गुप्ता चार साल से आयोग में सदस्य के तौर पर सेवारत हैं.
कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता अलका लांबा ने भी ट्वीट कर चहेतों को रेवड़ियां बांटने का आरोप लगाया था. इस प्रकरण के बाद जयराम सरकार की सोशल मीडिया पर खूब किरकिरी हुई थी. फिलहाल, अब डीआईजी रैंक के अफसर रामेश्वर ठाकुर की नियुक्ति के बाद ये विवाद थम तो गया है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट के निर्देश का पालन अभी भी नहीं हुआ है. यहां गौरतलब है कि रामेश्वर सिंह ठाकुर सात साल प्रधानमंत्री की सुरक्षा में एसपीजी में रहे हैं और राष्ट्रपति पुलिस मेडल से भी सम्मानित हैं. वे एक काबिल अफसर माने जाते हैं.
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