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No If No But- हिमाचल विधानसभा चुनाव में वीरभद्र सिंह का नाम ही होगा कांग्रेस का नारा और सहारा

हिमाचल में चुनावी साल में (Himachal assembly elections 2022) वीरभद्र सिंह का नाम और काम ही कांग्रेस का नारा होगा. गुरुवार को जिस तरह प्रतिभा सिंह ने कार्यभार संभालने से पहले अपने सम्बोधन में वीरभद्र सिंह का स्मरण किया उस से (Role of Virbhadra Singh in elections) साफ संकेत हैं कि चुनाव में वीरभद्र सिंह के नाम का ही सिक्का चलेगा.

Role of Virbhadra Singh in elections
हिमाचल विधानसभा चुनाव में वीरभद्र सिंह का नाम
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Published : May 5, 2022, 8:38 PM IST

शिमला: हिमाचल में चुनावी साल में वीरभद्र सिंह का नाम और काम ही कांग्रेस का नारा होगा. गुरुवार को जिस तरह प्रतिभा सिंह ने कार्यभार संभालने से पहले अपने सम्बोधन में वीरभद्र सिंह का स्मरण किया उस से साफ संकेत हैं कि चुनाव में वीरभद्र सिंह के नाम का ही सिक्का चलेगा. जिस तरह (Himachal assembly elections 2022) अपने भाषण के शुरू में ही प्रतिभा सिंह ने सोनिया गांधी का नाम लेकर वीरभद्र सिंह की छवि का हवाला दिया, उससे कांग्रेस के नेताओं को भी इशारा मिल गया है कि राजनीति के राजा का डंका उनके संसार से जाने के बाद भी बज रहा है. प्रतिभा सिंह ने कहा कि वीरभद्र गुजरे नहीं हैं, जनता कि दिलों में रहते हैं. इस बात को कहने के बाद कांग्रेस की जनसभा में वीरभद्र सिंह के नारे गूंज गए.

यहां बता दें कि अध्यक्ष बनने के बाद (Pratibha Singh Himachal Congress) भी प्रतिभा सिंह ने शिमला में कहा था कि वीरभद्र सिंह का नाम और काम अभी भी प्रदेश की जनता के दिल में जिंदा है. खैर, ये निर्विवाद है कि वीरभद्र सिंह हिमाचल कांग्रेस के सबसे बड़े नेता थे. किसी राज्य का छह बार मुख्यमंत्री रहना आसान नहीं है. जब तक वीरभद्र सिंह मौजूद रहे, हर चुनाव उनकी अगुवाई में ही लड़ा जाता था. हर चुनाव में कांग्रेस का चेहरा भी वीरभद्र सिंह ही होते थे और चुनाव जीतने की स्थिति में सीएम पद पर भी उन्हें कोई चुनौती नहीं मिलती थी. ये बात अलग है कि पंडित सुखराम और विद्या स्टोक्स, कौल सिंह ठाकुर ने प्रयास जरूर किए, लेकिन वीरभद्र सिंह के कद के आगे उनकी एक न चली.


वीरभद्र सिंह जननेता थे और हिमाचल की जनता (Role of Virbhadra Singh in elections) की नब्ज को बखूबी पकड़ते थे. उन्होंने प्रदेश की जनता के साथ एक भावनात्मक रिश्ता कायम किया था. उनके देहावसान के बाद श्रद्धांजलि देने के लिए उमड़ी भीड़ ने साबित किया था कि जनता उन्हें कितना चाहती थी. कुछ समय पूर्व संपन्न हुए चार उपचुनाव में वीरभद्र सिंह की सहानुुभूति लहर ने कांग्रेस का काम आसान किया था. मंडी सीट को भाजपा से छीनना, ये वीरभद्र सिंह की सहानुभूति लहर का ही कमाल था. गुरुवार को प्रतिभा सिंह ने फिर से दोहराया कि मंडी की जीत वीरभद्र सिंह के नाम से ही मिली है.

सभी जानते हैं कि चुनावी साल में हिमाचल कांग्रेस (Himachal assembly elections 2022 ) में कई तरह की सुगबुगाहटें चली थीं. ऐसे में हाईकमान के पास राज्य के कांग्रेस नेताओं व कार्यकर्ताओं को एकजुट करने के लिए वीरभद्र सिंह का ही सहारा था. प्रतिभा सिंह को अध्यक्ष बनाकर हाईकमान ने एक बार फिर से पावर सेंटर होली लॉज शिफ्ट कर दिया है. प्रतिभा सिंह के नाम के साथ वीरभद्र सिंह का नाम जोड़कर कांग्रेस कार्यकर्ताओं व नेताओं को भी संकेत दे दिया है. हिमाचल प्रदेश में हर जिले में वीरभद्र सिंह के समर्थक मौजूद हैं. खासकर बुजुर्ग वोटर्स व महिला वोटर्स. ये वीरभद्र सिंह से बहुत करीब से जुड़े हैं और यही कारण है कि प्रतिभा सिंह को हाईकमान ने अध्यक्ष बनाया है.


वीरभद्र सिंह के बहुत करीब रहे कांग्रेस नेता हरीश जनारथा का कहना है कि प्रतिभा सिंह के अध्यक्ष बनने से पार्टी को बहुत लाभ होगा. कांग्रेस कार्यकर्ता और आम जनता के मन में अभी भी वीरभद्र सिंह के परिवार का सम्मान है. उधर, पहली ही सभा में प्रतिभा सिंह ने धाराप्रवाह भाषण देकर अपने तेवर दिखा दिए हैं. हालांकि पार्टी में सब कुछ ठीक है, ऐसा भी नहीं कहा जा सकता. अभिनंदन समारोह में कांग्रेस के दो बड़े चेहरे मंच से गायब नजर आए जिसमें कांगड़ा के सुधीर शर्मा जबकि चंबा से आशा कुमारी भी इस अभिनंदन समारोह से में शामिल नहीं हुई.

ये भी पढ़ें: कांग्रेस में गुटबाजी, अभिनंदन समारोह से कई नेताओं ने बनाई दूरियां

शिमला: हिमाचल में चुनावी साल में वीरभद्र सिंह का नाम और काम ही कांग्रेस का नारा होगा. गुरुवार को जिस तरह प्रतिभा सिंह ने कार्यभार संभालने से पहले अपने सम्बोधन में वीरभद्र सिंह का स्मरण किया उस से साफ संकेत हैं कि चुनाव में वीरभद्र सिंह के नाम का ही सिक्का चलेगा. जिस तरह (Himachal assembly elections 2022) अपने भाषण के शुरू में ही प्रतिभा सिंह ने सोनिया गांधी का नाम लेकर वीरभद्र सिंह की छवि का हवाला दिया, उससे कांग्रेस के नेताओं को भी इशारा मिल गया है कि राजनीति के राजा का डंका उनके संसार से जाने के बाद भी बज रहा है. प्रतिभा सिंह ने कहा कि वीरभद्र गुजरे नहीं हैं, जनता कि दिलों में रहते हैं. इस बात को कहने के बाद कांग्रेस की जनसभा में वीरभद्र सिंह के नारे गूंज गए.

यहां बता दें कि अध्यक्ष बनने के बाद (Pratibha Singh Himachal Congress) भी प्रतिभा सिंह ने शिमला में कहा था कि वीरभद्र सिंह का नाम और काम अभी भी प्रदेश की जनता के दिल में जिंदा है. खैर, ये निर्विवाद है कि वीरभद्र सिंह हिमाचल कांग्रेस के सबसे बड़े नेता थे. किसी राज्य का छह बार मुख्यमंत्री रहना आसान नहीं है. जब तक वीरभद्र सिंह मौजूद रहे, हर चुनाव उनकी अगुवाई में ही लड़ा जाता था. हर चुनाव में कांग्रेस का चेहरा भी वीरभद्र सिंह ही होते थे और चुनाव जीतने की स्थिति में सीएम पद पर भी उन्हें कोई चुनौती नहीं मिलती थी. ये बात अलग है कि पंडित सुखराम और विद्या स्टोक्स, कौल सिंह ठाकुर ने प्रयास जरूर किए, लेकिन वीरभद्र सिंह के कद के आगे उनकी एक न चली.


वीरभद्र सिंह जननेता थे और हिमाचल की जनता (Role of Virbhadra Singh in elections) की नब्ज को बखूबी पकड़ते थे. उन्होंने प्रदेश की जनता के साथ एक भावनात्मक रिश्ता कायम किया था. उनके देहावसान के बाद श्रद्धांजलि देने के लिए उमड़ी भीड़ ने साबित किया था कि जनता उन्हें कितना चाहती थी. कुछ समय पूर्व संपन्न हुए चार उपचुनाव में वीरभद्र सिंह की सहानुुभूति लहर ने कांग्रेस का काम आसान किया था. मंडी सीट को भाजपा से छीनना, ये वीरभद्र सिंह की सहानुभूति लहर का ही कमाल था. गुरुवार को प्रतिभा सिंह ने फिर से दोहराया कि मंडी की जीत वीरभद्र सिंह के नाम से ही मिली है.

सभी जानते हैं कि चुनावी साल में हिमाचल कांग्रेस (Himachal assembly elections 2022 ) में कई तरह की सुगबुगाहटें चली थीं. ऐसे में हाईकमान के पास राज्य के कांग्रेस नेताओं व कार्यकर्ताओं को एकजुट करने के लिए वीरभद्र सिंह का ही सहारा था. प्रतिभा सिंह को अध्यक्ष बनाकर हाईकमान ने एक बार फिर से पावर सेंटर होली लॉज शिफ्ट कर दिया है. प्रतिभा सिंह के नाम के साथ वीरभद्र सिंह का नाम जोड़कर कांग्रेस कार्यकर्ताओं व नेताओं को भी संकेत दे दिया है. हिमाचल प्रदेश में हर जिले में वीरभद्र सिंह के समर्थक मौजूद हैं. खासकर बुजुर्ग वोटर्स व महिला वोटर्स. ये वीरभद्र सिंह से बहुत करीब से जुड़े हैं और यही कारण है कि प्रतिभा सिंह को हाईकमान ने अध्यक्ष बनाया है.


वीरभद्र सिंह के बहुत करीब रहे कांग्रेस नेता हरीश जनारथा का कहना है कि प्रतिभा सिंह के अध्यक्ष बनने से पार्टी को बहुत लाभ होगा. कांग्रेस कार्यकर्ता और आम जनता के मन में अभी भी वीरभद्र सिंह के परिवार का सम्मान है. उधर, पहली ही सभा में प्रतिभा सिंह ने धाराप्रवाह भाषण देकर अपने तेवर दिखा दिए हैं. हालांकि पार्टी में सब कुछ ठीक है, ऐसा भी नहीं कहा जा सकता. अभिनंदन समारोह में कांग्रेस के दो बड़े चेहरे मंच से गायब नजर आए जिसमें कांगड़ा के सुधीर शर्मा जबकि चंबा से आशा कुमारी भी इस अभिनंदन समारोह से में शामिल नहीं हुई.

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