शिमलाः प्रदेश में इन दिनों गेहूं और जौ की तैयार फसल को काटने के लिए मजदूर न मिलने से किसानों की चिंता बढ़ गई है. इसे लेकर प्रतिपक्ष नेता मुकेश अग्निहोत्री ने हिमाचल में फसल कटाई को मनरेगा के तहत लाने की मांग की है.
मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि प्रदेश के मैदानी इलाकों में गेहूं की फसल पूरी तरह से तैयार हो गई है. इसलिए इसे समय पर काटना जरूरी है. मौसम की बेरुखी और ओलावृष्टि से इन फसलों को नुकसान हो रहा है.
उन्होंने कहा कि प्रदेश भर के किसानों ने फोन पर उनके साथ अपनी परेशानी साझी की है. एक तरफ जहां उन्हें गेंहू कटाई के लिए मजदूर नहीं मिल रहे हैं तो दूसरी ओर प्रशासन कटाई के लिए थ्रेशर चलाने की अनुमति भी नही दे रहा है. प्रशासन किसी भी निर्णय के लिए सरकार के आदेशों का हवाला देते हुए अपना पल्ला झाड़ रहा है.
मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि लॉकडाउन से प्रदेश के किसानों व बागवानों की मुश्किलें सुलझाने में प्रदेश सरकार कोई रुचि नही ले रही है, जो बहुत चिंता का विषय है. उन्होंने कहा है कि एक तरफ प्रदेश मे कोरोना का असर दूसरी तरफ बेरोजगारी, किसानों, बागवानों की समस्याओं ने इन लोगों की चिंताओं को बढ़ा दिया है.
मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि हिमाचल में फसल की कटाई को मनरेगा के तहत लाया जाना चाहिए ताकि समय पर फसल कट सके और मनरेगा मजदूरों को भी काम मिल सके. उन्होंने कहा कि प्रदेश के सभी लोगों को पीडीएस के तहत एक समान मुफ्त राशन उपलब्ध करवाया जाना चाहिए. इसमें किसी भी प्रकार का कोई भी भेदभाव नहीं होना चाहिए.
साथ ही किसानों की फसलों को भी समर्थन मूल्य के अधीन लाया जाना चाहिए. उनका कहना है कि अन्य फलों की तरह सरकार को किसानों की फसल का भी कोई समर्थन मूल्य निर्धारित करते हुए उनकी हरसंभव आर्थिक मदद करनी चाहिए.
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि लॉकडाउन के समय के दौरान होटल, इंडस्ट्रीज या व्यावसायिक दुकानों के कमर्शियल रेट से घरेलू और सभी डोमेस्टिक लोगों के भवनों से बिजली, पानी और हाउस टैक्स को माफ किया जाना चाहिए.
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