शिमला: जिला में नशे के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय दिवस का आयोजन शुक्रवार को राज्य पुलिस मुख्यालय में किया गया. राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय और मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कार्यक्रम में भाग लिया. इस अवसर पर अपने संबोधन में मुख्यमंत्री ने कहा कि नशा व्यापारियों के खिलाफ बड़ी संख्या में मामले दर्ज किए गए हैं, लेकिन इनमें से अधिकतर लोग पड़ोसी राज्यों पंजाब और हरियाणा से संबंधित हैं. उन्होंने कहा कि इसलिए राज्य सरकार की पहली प्राथमिकता नशा व्यापारियों के बारे में पड़ोसी राज्यों से जानकारी साझा करना है.
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि उन्हीं की पहल पर हिमाचल के पड़ोसी राज्य जैसे पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, राज्यस्थान आदि राज्य इस सामाजिक बुराई जो हमारे समाज के अस्तित्व के लिए खतरा बन चुकी है, इसे रोकने के लिए साझा रणनीति बनाने पर सहमत हुए हैं. मुख्यमंत्री ने कहा कि इस विषय पर पड़ोसी राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ पहली बैठक पंचकुला में आयोजित की गई थी. उन्होंने कहा कि बैठक में यह निर्णय लिया गया था कि नशा तस्करी पर जानकारी सांझा करने और संयुक्त रूप से निगरानी करने के लिए पंचकुला में साझा सचिवालय स्थापित करने का निर्णय लिया गया है.
मादक पदार्थों का इस्तेमाल वैश्विक समस्या
जयराम ठाकुर ने कहा कि मादक पदार्थों का इस्तेमाल वैश्विक समस्या है. हमें अपने समाज के अस्तित्व को बचाने के लिए इसका पूरी ताकत से विरोध करना चाहिए. उन्होंने कहा कि मादक पदार्थों के तस्करों को पकड़ने के लिए अधिक सख्त कानून बनाने की आवश्यकता है. जय राम ठाकुर ने कहा कि जो लोग मादक पदार्थों की तस्करी में सम्मिलित पाए जाएंगे, उनकी संपत्ति जब्त की जाएगी. उन्होंने कहा कि भारी संख्या में युवाओं की ओर से सिंथैटिक ड्रग का प्रयोग करना चिंता का विषय है. जय राम ठाकुर ने कहा कि युवाओं को मादक पदार्थों के हमारे शरीर, दिमाग और समाज पर पड़ने वाले कुप्रभावों पर जागरूक करने के लिए विशेष प्रयास करने चाहिए.
हिमाचल प्रदेश में चरस का अधिक प्रयोग
मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में चरस का अधिक प्रयोग किया जाता रहा है, लेकिन अब सिंथेटिक ड्रग का सेवन एक बड़ी समस्या के रूप में उभरा है. उन्होंने कहा कि नशीले पदार्थों की आदत न केवल व्यक्ति बल्कि उससे संबंधित लोगों और पूरे समाज पर पड़ता है. उन्होंने कहा कि मादक पदार्थों के प्रयोग और तस्करी के कारण अपराध, बीमारी, सड़क हादसे, घरेलू हिंसा, गाली-गलौच, नौकरी छूटना तथा बेघर होना आदि समस्याओं का सामना करना पड़ता है.
अभियान की कामयाबी के लिए जन भागीदारी आवश्यक
जयराम ठाकुर ने कहा कि युवाओं को रचनात्मक कार्यों से जोड़ने के लिए लंबी अवधि की योजना बनाई जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि अभिभावकों को भी अपने बच्चों के असाधारण व्यवहार पर नजर रखनी चाहिए. उन्होंने कहा कि नशाखोरी के विरुद्ध अभियान को एक जन आंदोलन बनाया जाना चाहिए. किसी भी अभियान की कामयाबी के लिए जन भागीदारी आवश्यक है. उन्होंने कहा कि अपराधियों को जल्द पकड़ने और तस्करी पर जानकारी सांझा करने के लिए प्रभावी तंत्र विकसित किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि मादक पदार्थों की लत से व्यक्ति का शारीरिक तथा मानसिक विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है.
राजपत्रित अधिकारियों के लिए मेस निर्माण की घोषणा
मुख्यमंत्री ने अपराध का प्रभावी विश्लेषण करने के लिए फिंगर प्रिंट ब्यूरो को एफएसएल जुन्गा से वापस लेकर पुलिस विभाग के तहत सीआईडी विंग के नियंत्रण में लाने की घोषणा की. उन्होंने पुलिस विभाग के अधिकारियों की सुविधा के लिए पंथाघाटी के नजदीक राजपत्रित अधिकारियों के लिए मेस निर्माण की घोषणा की. उन्होंने कहा कि साइबर क्राइम प्रयोगशाला को पुलिस विभाग को वापस सौंपने की मांग पर सहानुभूतिपूर्वक विचार किया जाएगा.
जयराम ठाकुर ने कहा कि शिमला में पुलिस विभाग के गैर राजपत्रित कर्मचारियों के लिए मेस की मांग और पुलिस आरक्षी को अगले वेतनमान प्रदान करने के लिए आठ साल की सेवा शर्त को छूट देने की मांग को भी सरकार की ओर से जांचा जाएगा.
पड़ोसी राज्य संयुक्त रणनीति बनाने पर सहमत
इसी कड़ी में शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा कि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के नेतृत्व वाली राज्य सरकार की पहल पर ही नशीले पदार्थों की समस्या को हल करने के लिए पड़ोसी राज्य संयुक्त रणनीति बनाने पर सहमत हुए हैं. उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में स्कूली विद्यार्थियों का नशाखोरी में संलिप्त पाया जाना चिंता की बात है. उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि शिमला जिसे एक समय देश के शिक्षा हब के रूप में जाना जाता था, अब नशा तस्करों के लिए स्वर्ग बनता जा रहा है. उन्होंने कहा कि बच्चों को नशाखोरी के विरूद्ध प्रेरित करने के लिए अभिभावकों को अपने बच्चों की तरफ अधिक ध्यान देना चाहिए. उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों को खेलों और अन्य गतिविधियों में भाग लेने के लिए प्रेरित करना चाहिए.
नशाखोरी एक सामाजिक बुराई
अतिरिक्त मुख्य सचिव गृह मनोज कुमार ने कहा कि नशाखोरी एक सामाजिक बुराई है, जिस पर आम लोगों को जागरूक करने के लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि पुलिस को इन गतिविधियों में शामिल लोगों को पकड़ने और इनकी आपूर्ति श्रृंखला को तोड़ने के लिए अग्र सक्रियता दिखानी चाहिए.
समस्या से निपटने के लिए बहुआयामी रणनीति अपनाने की जरूरत
पुलिस महानिदेशक संजय कुंडू ने राज्यपाल और मुख्यमंत्री का स्वागत करते हुए कहा कि नशाखोरी और नशा तस्करी के मामले बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं. साथ ही समाज को बचाने के लिए उन्हें रोकने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि इस समस्या से प्रभावी रूप निपटने के लिए बहुआयामी रणनीति अपनाई जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि फिंगर प्रिंट ब्यूरो को राज्य पुलिस के तहत लाया जाना चाहिए, चूंकि ऐसा करने से जांच में तेजी आएगी. उन्होंने कहा कि साइबर अपराध प्रयोगशाला को पुलिस बल के अधीन वापस लाया जाना चाहिए. उन्होंने मुख्यमंत्री से शिमला में पुलिस मैस बनाने और राज्य की राजधानी शिमला में विभागीय कार्य से आने वाले जवानों को सहायता प्रदान कर रही गैर सरकारी संस्थाओं के लिए मैस बनाने का भी आह्वान किया.
कांगड़ा के पुलिस अधीक्षक विमुक्त रंजन ने इस अवसर पर कांगड़ा जिला में नशा तस्करी के मामलों पर प्रस्तुति दी. सिरमौर जिला के पुलिस अधीक्षक एके शर्मा ने जिला सिरमौर में नशा तस्करी पर अपने विचार सांझा किए. कुल्लू जिला के पुलिस अधीक्षक गौरव ने भी नशा तस्करी विशेषकर कुल्लू जिला में सिंथैटिक दवाओं के इस्तेमाल पर अपने विचार साझा किए.
महापौर सत्या कौंडल, उप महापौर शैलेंद्र चौहान, प्रधान सचिव ओंकार शर्मा, अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक होमगार्ड और सिविल डिफेंस एसबी नेगी, अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक राज्य सतर्कता और एंटी करप्शन ब्यूरो अनुराग गर्ग, अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक सीआईडी अशोक तिवारी, अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक सशस्त्र पुलिस और प्रशिक्षण/कानून और व्यवस्था एन वेणुगोपाल भी इस अवसर पर उपस्थित थे.