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हिमाचल का केमिकल फ्री गांव, शुद्ध हवा पानी के बीच बिना रसायन के उगाते हैं फसल और सेब - हिमाचल में प्राकृतिक खेती

केमिकल युक्त चीजें और मिलावटी खाद्य वास्तुओं से आज देश ही नहीं बल्कि दुनिया भी परेशान है, लेकिन बाजारवाद के इस दौर में आज भी कुछ ऐसे गांव हैं जो पैसों से ज्यादा सेहत को तरजीह देते हैं. यही कारण है कि हिमाचल के किन्नौर जिले के शलखर गांव के लोगों ने रसायन मुक्त खेती करने का फैसला लिया है Chemical Free Village of Himachal. सबसे बड़ी बात यह है कि नियमों की अवहेलना पर 30 हजार रुपये के जुर्माने का प्रावधान है. पढ़ें, आखिर इस गांव के लोग कब से इस नियम का पालन कर रहे हैं.

Chemical Free farming in shalkhar village
किन्नौर का केमिकल फ्री गांव.
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Published : Aug 16, 2022, 5:50 PM IST

किन्नौर: देश भर में इन दिनों सरकार की ओर से लोगों को जागरूक करने के लिए प्राकृतिक खेती करने के अलावा रासायनिक दवाओं के खाद्य प्रदार्थों में छिड़काव को रोकने के लिए कई कार्यक्रम व जागरूकता अभियान (natural farming in himachal) चलाया जा रहा है. ऐसे में देश के कई ग्रामीण क्षेत्रों मे कुछेक ग्रामीणों ने प्राकृतिक खेती व खेतों में रसायन वाले दवाओं के छिड़काव बंद तो कर दिए हैं, लेकिन अभी भी हर कोई इस प्रक्रिया को अपनाने में सक्षम नहीं है. देश के अंदर आज भी रासायनिक खाद और दवाओं के माध्यम से फसल उगाए जा रहे हैं, जिससे एक ओर खाद्य प्रदार्थों की गुणवत्ता समाप्त हो रही है वहीं दूसरी ओर लोग आए दिन सैकड़ों बीमारियों कि गिरफ्त में आ रहे हैं.

आज हम आपको एक ऐसे गांव के बारे में बताने जा रहे हैं जहां समूचे गांव के अंदर रासायनिक दवाओं और खाद का प्रयोग करने पर पूर्ण प्रतिबंध है. इसके साथ ही नियम तोड़ने पर ग्रामीणों ने सख्त कानून भी बनाये हैं. किन्नौर जिले का चीन सीमांत गांव शलखर (China border region village of Kinnaur district) चीन के सीमाओं से सटा हुआ है जहां पर ग्रामीण लोगों की सेहत का भरपूर ध्यान रखते हैं और स्वयं भी गांव के अंदर रासायनिक खेती से दूर रहकर प्राकृतिक खेती और बागवानी से जुड़े हैं शलखर गांव हिमाचल प्रदेश व देश के बागवानों व किसानों के लिए संदेश देता हुआ एक ऐसी मिसाल पेश कर रहा है जिससे देश प्रदेश के बागवानो व किसानों को प्राकृतिक खेती के साथ बागवानी करने का मार्ग दिखाता है.

केमिकल फ्री गांव. (वीडियो)

साल 2018 में शलखर गांव में प्राकृतिक खेती: शलखर गांव के अंदर प्राकृतिक खेती (Natural farming in Shalakhar village) और बागवानी वर्ष 2018 से शुरू हुआ है जब इसी गांव के प्रख्यात बौद्ध धर्म गुरु लोचा रिंबोछे गांव के दौरे पर आये थे तो इस दौरान उन्होंने ग्रामीणों को एकत्रित कर गांव के अंदर रासायनिक दवाओं, खाद इत्यादि को खेतों में डालने से रोकने के निर्देश दिए और ग्रामीणों ने गुरु के आदेश को तुरंत प्रभाव से लागू किया और वर्ष 2018 के बाद इस गांव के अंदर रासायनिक दवाओं, खाद इत्यादि को बेचना व खेती के साथ बागवानी क्षेत्र में प्रयोग करने पर पंचायत द्वारा पूर्ण प्रतिबंध किया गया.

Chemical Free farming in shalkhar village
शलखर गांव में रसायन मुक्त खेती.

करीब 3 वर्षों तक गांव के अंदर बागवानों और किसानों ने केमिकल का इस्तेमाल नहीं किया. हालांकि शुरुआती दिनों में फसलें काफी खराब हुई, लेकिन ग्रामीणों ने रिंबोछे के आदेश पर शहन शक्ति का प्रमाण देते हुए करीब 3 वर्षों तक नुकसान भी सहा. ऐसे में चौथे वर्ष के बाद सेब के पेड़, खेतों की अन्य फसल धीरे-धीरे सुधार के साथ उगने लगी. इस तरह से ग्रामीणों ने रासायनिक खेती को अलविदा (Chemical Free farming in shalkhar village ) कहा दिया. इसके बाद से आज तक इस गांव में न तो रासायनिक दवाओं का प्रयोग होता है न ही खाद इत्यादि का प्रयोग किसान व बागवान कर सकते हैं.

नियम तोड़ने पर 30 हजार का जुर्माना: शलखर गांव के पंचायत ने रिंबोछे के आदेश के बाद एक नियम भी बनाया. इस नियम के अनुसार जो भी ग्रामीण गांव के अंदर सेब बगीचे और खेतों में उगने वाली फसल में खाद व रासायनिक छिड़काव करते हैं, ऐसे लोगों पर 30 हजार का जुर्माना रखा है. लेकिन इस गांव में ग्रामीण बौद्ध धर्म गुरु लोचा रिंबोछे के आदेश को सर आंखों पर रखकर आज तक प्राकृतिक खेती के मार्ग पर चल रहे हैं.

Chemical Free farming in shalkhar village
किन्नौर के शलखर गांव में रसायन मुक्त खेती.

हिमाचल का सबसे शुद्ध गांव!: शलखर गांव हिमाचल का पहला ऐसा गांव है जहां की आब-ओ-हवा और धरती बिल्कुल केमिकल फ्री (chemical free village of himachal) है. ग्रामीणों का कहना है कि इस गांव के सेब व अन्य नकदी फसल बिल्कुल प्राकृतिक हैं. ग्रामीणों की सरकार से मांग है कि यहां के प्राकृतिक फसल और सेब के लिए अलग से मंडी तैयार करे, ताकि उन्हें फसलों को अच्छे दाम मिल सके. साथ ही साथ आने वाले समय में दूसरे पंचायत के लोग भी इससे प्रभावित होकर प्राकृतिक खेती को अपना सकें.

Chemical Free farming in shalkhar village
किन्नौर का केमिकल फ्री गांव

शलखर गांव की जनसंख्या: बता दें कि शलखर गांव की जनसंख्या करीब 590 है. यह गांव 30 किलोमीटर से अधिक के क्षेत्र में बसा हुआ है. यहां लोग अधिकतर सेब और मटर की खेती करते हैं. ग्रामीणों का कहना है कि यहां फल, सब्जियां, दालें, यहां तक की जमीन में उगने वाली हर चीज प्राकृतिक रूप से उगाई जाती है. इस गांव के किसान और बागवान बिना खर्चो के लाखों कमा रहे हैं. रसायन मुक्त खेती और बागवानी के बाद इस क्षेत्र के लोग काफी स्वस्थ हैं.

ये भी पढ़ें: Himachal Seat Scan द्रंग विधानसभा सीट पर रहा है कौल सिंह ठाकुर का दबदबा, जानिए इस साल चुनावी समीकरण

किन्नौर: देश भर में इन दिनों सरकार की ओर से लोगों को जागरूक करने के लिए प्राकृतिक खेती करने के अलावा रासायनिक दवाओं के खाद्य प्रदार्थों में छिड़काव को रोकने के लिए कई कार्यक्रम व जागरूकता अभियान (natural farming in himachal) चलाया जा रहा है. ऐसे में देश के कई ग्रामीण क्षेत्रों मे कुछेक ग्रामीणों ने प्राकृतिक खेती व खेतों में रसायन वाले दवाओं के छिड़काव बंद तो कर दिए हैं, लेकिन अभी भी हर कोई इस प्रक्रिया को अपनाने में सक्षम नहीं है. देश के अंदर आज भी रासायनिक खाद और दवाओं के माध्यम से फसल उगाए जा रहे हैं, जिससे एक ओर खाद्य प्रदार्थों की गुणवत्ता समाप्त हो रही है वहीं दूसरी ओर लोग आए दिन सैकड़ों बीमारियों कि गिरफ्त में आ रहे हैं.

आज हम आपको एक ऐसे गांव के बारे में बताने जा रहे हैं जहां समूचे गांव के अंदर रासायनिक दवाओं और खाद का प्रयोग करने पर पूर्ण प्रतिबंध है. इसके साथ ही नियम तोड़ने पर ग्रामीणों ने सख्त कानून भी बनाये हैं. किन्नौर जिले का चीन सीमांत गांव शलखर (China border region village of Kinnaur district) चीन के सीमाओं से सटा हुआ है जहां पर ग्रामीण लोगों की सेहत का भरपूर ध्यान रखते हैं और स्वयं भी गांव के अंदर रासायनिक खेती से दूर रहकर प्राकृतिक खेती और बागवानी से जुड़े हैं शलखर गांव हिमाचल प्रदेश व देश के बागवानों व किसानों के लिए संदेश देता हुआ एक ऐसी मिसाल पेश कर रहा है जिससे देश प्रदेश के बागवानो व किसानों को प्राकृतिक खेती के साथ बागवानी करने का मार्ग दिखाता है.

केमिकल फ्री गांव. (वीडियो)

साल 2018 में शलखर गांव में प्राकृतिक खेती: शलखर गांव के अंदर प्राकृतिक खेती (Natural farming in Shalakhar village) और बागवानी वर्ष 2018 से शुरू हुआ है जब इसी गांव के प्रख्यात बौद्ध धर्म गुरु लोचा रिंबोछे गांव के दौरे पर आये थे तो इस दौरान उन्होंने ग्रामीणों को एकत्रित कर गांव के अंदर रासायनिक दवाओं, खाद इत्यादि को खेतों में डालने से रोकने के निर्देश दिए और ग्रामीणों ने गुरु के आदेश को तुरंत प्रभाव से लागू किया और वर्ष 2018 के बाद इस गांव के अंदर रासायनिक दवाओं, खाद इत्यादि को बेचना व खेती के साथ बागवानी क्षेत्र में प्रयोग करने पर पंचायत द्वारा पूर्ण प्रतिबंध किया गया.

Chemical Free farming in shalkhar village
शलखर गांव में रसायन मुक्त खेती.

करीब 3 वर्षों तक गांव के अंदर बागवानों और किसानों ने केमिकल का इस्तेमाल नहीं किया. हालांकि शुरुआती दिनों में फसलें काफी खराब हुई, लेकिन ग्रामीणों ने रिंबोछे के आदेश पर शहन शक्ति का प्रमाण देते हुए करीब 3 वर्षों तक नुकसान भी सहा. ऐसे में चौथे वर्ष के बाद सेब के पेड़, खेतों की अन्य फसल धीरे-धीरे सुधार के साथ उगने लगी. इस तरह से ग्रामीणों ने रासायनिक खेती को अलविदा (Chemical Free farming in shalkhar village ) कहा दिया. इसके बाद से आज तक इस गांव में न तो रासायनिक दवाओं का प्रयोग होता है न ही खाद इत्यादि का प्रयोग किसान व बागवान कर सकते हैं.

नियम तोड़ने पर 30 हजार का जुर्माना: शलखर गांव के पंचायत ने रिंबोछे के आदेश के बाद एक नियम भी बनाया. इस नियम के अनुसार जो भी ग्रामीण गांव के अंदर सेब बगीचे और खेतों में उगने वाली फसल में खाद व रासायनिक छिड़काव करते हैं, ऐसे लोगों पर 30 हजार का जुर्माना रखा है. लेकिन इस गांव में ग्रामीण बौद्ध धर्म गुरु लोचा रिंबोछे के आदेश को सर आंखों पर रखकर आज तक प्राकृतिक खेती के मार्ग पर चल रहे हैं.

Chemical Free farming in shalkhar village
किन्नौर के शलखर गांव में रसायन मुक्त खेती.

हिमाचल का सबसे शुद्ध गांव!: शलखर गांव हिमाचल का पहला ऐसा गांव है जहां की आब-ओ-हवा और धरती बिल्कुल केमिकल फ्री (chemical free village of himachal) है. ग्रामीणों का कहना है कि इस गांव के सेब व अन्य नकदी फसल बिल्कुल प्राकृतिक हैं. ग्रामीणों की सरकार से मांग है कि यहां के प्राकृतिक फसल और सेब के लिए अलग से मंडी तैयार करे, ताकि उन्हें फसलों को अच्छे दाम मिल सके. साथ ही साथ आने वाले समय में दूसरे पंचायत के लोग भी इससे प्रभावित होकर प्राकृतिक खेती को अपना सकें.

Chemical Free farming in shalkhar village
किन्नौर का केमिकल फ्री गांव

शलखर गांव की जनसंख्या: बता दें कि शलखर गांव की जनसंख्या करीब 590 है. यह गांव 30 किलोमीटर से अधिक के क्षेत्र में बसा हुआ है. यहां लोग अधिकतर सेब और मटर की खेती करते हैं. ग्रामीणों का कहना है कि यहां फल, सब्जियां, दालें, यहां तक की जमीन में उगने वाली हर चीज प्राकृतिक रूप से उगाई जाती है. इस गांव के किसान और बागवान बिना खर्चो के लाखों कमा रहे हैं. रसायन मुक्त खेती और बागवानी के बाद इस क्षेत्र के लोग काफी स्वस्थ हैं.

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