शिमला: हिमाचल के पूर्ण राज्यत्व दिवस के स्वर्ण जयंती समारोह में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने सोमवार को शिमला में स्मृतियों का पिटारा खोला. उन्होंने हिमाचल के पचास साल के सफर की कई रोचक यादों को साझा किया. नड्डा ने 25 जनवरी 1971 का समय याद किया. नड्डा उस समय 11 साल की आयु के थे और छुट्टियों में बिलासपुर आए थे. उस समय को याद करते हुए नड्डा ने बताया कि तब दिन में एक बजे अखबार बिलासपुर पहुंचता था.
सभी को अपने अतीत को याद रखना चाहिए
नड्डा ने कहा कि ट्रिब्यून अखबार पहुंचा तो मैंने उसमें हिमाचल के स्टेटहुड डे सेरेमनी की खबर पढ़ी. मैंने अपने मामाजी से पूछा कि ये स्टेटहुड क्या होता है तो उन्होंने बताया कि हिमाचल अब पूर्ण राज्य बन गया है. हिमाचल 25 जनवरी 1971 को देश का 18वां राज्य बना. नड्डा ने कहा कि सभी को अपने अतीत को याद रखना चाहिए. ऐसे अवसर इतिहास में दर्ज होते हैं.
नड्डा ने भावुक पलों को याद किया
अब हिमाचल का स्टेटहुड पचास साल का हो गया है. नई पीढ़ी आगे चलकर ये याद करेगी कि कैसे स्वर्ण जयंती समारोह में वे शामिल हुए थे. साथ ही उनसे भी बच्चे पूछेंगे कि स्वर्ण जयंती का क्या महत्व है. नड्डा ने भावुक पलों को याद किया और कहा कि कैसे कंदरौर पुल के उद्घाटन की स्मृतियां उनके अंतर्मन में बसी है. एशिया के सबसे ऊंचे पुल का उद्घाटन उन्हें अभी भी याद है.
हिमाचल निर्माता डॉ. वाईएस परमार की सादगी को नमन
जेपी नड्डा ने अपने भाषण में हिमाचल के सभी मुख्यमंत्रियों को याद किया. उन्होंने हिमाचल निर्माता डॉ. वाईएस परमार की सादगी को नमन किया और कहा कि लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने के बाद जब वे राजनीति से हटे तो शिमला से अपने गृह जिला साधारण सरकारी बस में गए.
पूर्व सीएम के कार्यों को भी सराहा
नड्डा ने वीरभद्र सिंह, शांता कुमार व प्रेम कुमार धूमल के कार्यों को भी जमकर सराहा. उन्होंने जयराम ठाकुर के नेतृत्व की भी सराहना की और कहा कि उनके कार्यकाल में हिमाचल में कई नायाब काम हुए. उन्होंने हिमकेयर, उज्जवला योजना का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि पचास साल पहले हिमाचल ने शुरुआत की थी और अब विकसित राज्यों की कतार में खड़ा है. उन्होंने शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में हुए विकास को याद किया.
हिमाचल का सादापन यहां की ताकत
नड्डा ने कहा कि विकास की ये यात्रा एक रेस है, जिसमें हम बैटन अगले दौड़ाक को देते हैं. हमें ये बैटन अपने से आगे की पीढ़ी को देना है. उन्होंने कहा कि हिमाचल का सादापन यहां की ताकत है. अगर हम चालाक होते तो हमें देवभूमि के वासी क्यों कहा जाता. उन्होंने कहा कि प्रदेश के वासियों को इस सादगी को बचाए रखना होगा, क्योंकि यही हमारी पहचान और ताकत है.
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