शिमला: कांग्रेस में इतनी तेजी से टूटफूट हो रही है कि इसको देखते हुए लगता है मानों सोनिया गांधी कांग्रेस के विघटन की अध्यक्षता कर रही हों. भाजपा नेता खुशीराम बालनाहटा ने कहा कि सभी वरिष्ठ नेता कांग्रेस (khushiram balnatah target congress) को छोड़कर जा रहे हैं. फिर चाहे गुलाम नबी आजाद हो या कई कांग्रेसियों को जेल जाने से बचाने वाले कपिल सिब्बल, आनंद शर्मा भी पार्टी के अंदर दरकिनार महसूस कर रहे हैं, यह बात वह अपनी प्रेस कांफ्रेंस में भी कह चुके हैं. भाजपा के वरिष्ठ नेता और चेयरमैन खुशीराम बालनाहटा ने कहा कांग्रेस का वजूद पूरे देश में मिट रहा है.
उन्होंने कहा कि देश की सबसे पुरानी पार्टी मानी जाने वाली कांग्रेस में आज ना अच्छे नेता हैं, ना नीति है और ना ही नीयत. परिवारवाद और भ्रष्टाचार की वजह से आज देश की जनता ने कांग्रेस को नकार दिया है. राष्ट्रीय राजनीति में तो कांग्रेस की दुर्गति जगजाहिर है ही. देश के कई राज्यों में तो कांग्रेस की हैसियत मुख्य विपक्षी दल की भी नहीं रह गई है और जहां एक दो जगहों पर कांग्रेस मुख्य विपक्षी पार्टी के रूप में मौजूद है, वहां की जनता ने भी उसे विपक्ष की भूमिका से भी सेवानिवृत्ति देने का मन बना लिया है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस अपने जहाज में सभी को कप्तान बनाकर खुश करना चाहती थी. अध्यक्ष के साथ साथ चार-चार वर्किंग प्रेजिडेंट बना दिए. लेकिन एक जहाज में जब हर कोई कप्तान होगा तो वो जहाज डूबने के अलावा और कहीं नहीं जा सकता.
आलम यह है कि जिन्होंने अपना सारा जीवन कांग्रेस को दिया आज डूबते जहाज से बाहर भाग रहे हैं. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर नेताओं की लंबी लिस्ट है. जो कांग्रेस को हाथ जोड़कर अलविदा कह रहे हैं. गुलाम नबी आजाद ही नहीं, हाल ही में कांग्रेस छोड़ने वाले सभी नेताओं ने राहुल गांधी को अक्षम और चापलूसों से घिरा रहने वाला नेता बताया है. आज गुलाम नबी आजाद जैसे वरिष्ठ नेताओं को कांग्रेस पार्टी छोड़नी पड़ रही है यह कांग्रेस पार्टी की दयनीय स्थिति को दर्शाता है. आजाद ने आरोप लगाए हैं कि पार्टी में सभी वरिष्ठ नेताओं को दरकिनार कर दिया गया है.
कांग्रेस से लोग टूट कर दूसरे दलों से अपना नाता जोड़ रहे हैं. हिमाचल प्रदेश में भी कांग्रेस का कुनबा बिखर रहा है. कुछ महीने पहले कांग्रेस ने कार्यकारिणी बनाई. कोई नेता बगावत न करे इसलिए सभी को बड़े-बड़े पद दे दिए गए. इसके बावजूद आपने देखा कि कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष और विधायक पवन काजल, विधायक लखविंदर राणा ने पार्टी छोड़ दी. हालात ऐसे हैं कि वरिष्ठ कांग्रेस नेता और जी-23 के लीडर रहे आनंद शर्मा ने भी संचालन समिति के अध्यक्ष पद को अलविदा कह दिया. अब वो भी खुलेआम बोल रहे हैं कि वो आत्मसम्मान से समझौता नहीं कर सकते. यह सब साफ दर्शाता है कि कांग्रेस पार्टी के अंदर वरिष्ठ नेताओं को दरकिनार किया जा रहा है.
भाजपा नेता खुशीराम बालनाहटा ने (khushiram balnatah target congress) कहा कि कांग्रेस पार्टी के अंदर एकजुटता कहीं नहीं दिख रही. अपने ही नेता पार्टी पर विश्वास नहीं जता पा रहे हैं. दिल्ली के समान ही हिमाचल में भी कांग्रेस पार्टी मां-बेटे के हाथ की कठपुतली बनकर रह गई है. यह सभी नेता परिवारवाद की राजनीति से परेशान हैं. हिमाचल कांग्रेस पार्टी में गुटबाजी चरम पर है. कांग्रेस का हर नेता अपने आप को अध्यक्ष मानता है और हर नेता अपने आप को मुख्यमंत्री के रूप में देखता है. अभी चुनाव हुए नहीं हैं और कांग्रेस का एक नहीं दर्जनों नेता मुख्यमंत्री बनने के मुंगेरी लाल के सपने देख रहे हैं. कांग्रेस पार्टी में गुटबाजी किस कदर हावी है इसका उदाहरण आपने एक दो दिन पहले देख ही लिया होगा.
भाजपा नेता खुशीराम बालनाहटा ने कहा कि कांग्रेस को अपनी सात ब्लॉक कार्यकारणी भंग करनी पड़ी हैं.जब इलेक्शन का दौर होता है तो पूरी पार्टी एकसाथ चलकर तैयारी करती है, लेकिन कांग्रेस का एक नेता पूर्व की ओर जा रहा है तो दूसरा पश्चिम की ओर. पार्टी के अंदर ही कांग्रेस के नेताओं के अलग-अलग दल बने हुए हैं. मुकेश अग्निहोत्री अलग दिशा में चले हुए हैं तो सुक्खू अलग दिशा में. पार्टी के अंदर कोई तारतम्य नहीं है. कोई कहता है कि हम ये मुफ्त दे देंगे, हम वो मुफ्त दे देंगे. जबकि इनकी पार्टी के दूसरे नेता कहते हैं कि चादर देखकर ही पांव पसारने चाहिए. जो मुफ्त देनी की बात कहते हैं वो 4 बार के विधायक हैं और जो कहते हैं फ्री की आदत अच्छी नहीं वो एक बार के विधायक हैं.
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