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मानसून सत्र: बंजार विधायक सुरेंद्र शौरी ने सदन में उठाया सैंज घाटी के विस्थापितों का मुद्दा - सैंज घाटी के विस्थापितों का मुद्दा

बंजार विधायक सुरेंद्र शौरी ने विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान सैंज घाटी के विस्थापितों का मुद्दा उठाया. बंजार के विधायक ने सदन में को संबोधित करते हुए सैंज में पार्वती जल विद्युत परियोजना से प्रभावित और विस्थापित हुए परिवारों की समस्या से अवगत कराया और इस समस्या के स्थाई समाधान की मांग रखी.

बीजेपी विधायक सुरेंद्र शौरी
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Published : Sep 18, 2020, 12:18 PM IST

शिमला: विधायक सुरेंद्र शौरी ने ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर विधानसभा में सैंज घाटी के विस्थापितों के मामले पर सदन का ध्यान आकर्षित किया. विधायक ने सदन को संबोधित करते हुए सैंज में पार्वती जल विद्युत परियोजना से प्रभावित और विस्थापित हुए परिवारों की समस्या से अवगत कराया और इस समस्या के स्थाई समाधान की मांग रखी. शौरी ने सरकार व पार्वती परियोजना प्रबंधन के बीच हुए विभिन्न समझौतों के क्रियान्वयन पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि नेशनल हाइड्रो पावर कारपोरेशन ने समझौते के अनुसार परियोजना प्रभावितों को स्थाई रोजगार नहीं दिया है और ना ही भूमि और मुआवजा संबंधी विवादों का सही तरीके से निपटारा किया गया है.

शौरी ने प्रभावितों को मुआवजा बढ़ाने और रोजगार दिलाने का मामला उठाते हुए सरकार से इस समस्या के समाधान की मांग रखी. उन्होंने कहा कि यदि ऊर्जा मंत्री एनएचपीसी की बीओडी में इस बात को उठाते हैं तो समस्या का समाधान हो जाएगा. उन्होंने कहा कि राष्ट्र के निर्माण में सहयोग के लिए इस परियोजना में लोगों ने सहयोग किया तो लेकिन बदले में उन्हें कुछ नहीं मिला. शौरी ने सदन का ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि जिन लोगों के पास 5 बीघा से कम जमीन बचती है उन लोगों को स्थाई रोजगार दिया जाएगा.

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यह समझौता उस वक्त हुआ था, जब इस परियोजना की आधारशिला रखी गई थी, लेकिन इसके विपरीत आज तक सिर्फ 33 लोगों को ही रोजगार दिया गया और शेष 66 परिवारों की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया गया. इस पर एनएचपीसी हमेशा आनाकानी करता रहा और यह जवाब आया कि जब पद रिक्त होंगे तो बचे परिवारों को भी रोजगार दिया जाएगा, लेकिन इसकी उम्मीद नहीं है क्योंकि जल विद्युत परियोजना में अधिकतर पद आउट सोर्स आधार पर भरे जा रहे हैं. ऐसे में पद रिक्त होने का तो सवाल ही खड़ा नहीं होता इसके अलावा मुआवजा राशि भी नियमों के तहत नहीं दी जा रही है. एनएचपीसी स्टेज दो और 3 में ठेकेदार के माध्यम से 800 लोगों को रोजगार दिया गया है. इस प्रकार एनएचपीसी ना तो प्रभावितों को सही मुआवजा राशि दे रही है और ना ही रोजगार.

सुरेंद्र शौरी ने मामले की वन टाइम सेटलमेंट की मांग रखी, जिससे प्रभावित सड़कों पर आकर आंदोलन न करें. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री खुद समस्या को समझे और प्रत्येक परिवार को 15 से 20 लाख रुपये एकमुश्त मुआवजा राशि मिल सके. चर्चा का जवाब देते हुए ऊर्जा मंत्री सुखराम चौधरी ने कहा कि पार्वती परियोजना के दूसरे चरण के बारे में स्थानीय विधायक ने जो चिंता व्यक्त की है, उसके बारे में वह अवगत हैं.

सुखराम चौधरी ने कहा कि प्रभावितों में से 71 लोगों ने ढाई लाख की एकमुश्त राशि ले ली है. सितंबर में जिलाधीश कुल्लू की अध्यक्षता में एक बैठक हुई है, जिसके बाद इस श्रेणी में 30 लोगों ने आवेदन किए हैं. उनको भी जल्द मुआवजा प्रदान कर दिया जाएगा. स्थाई रोजगार 60 साल तक देना है. जिनकी उम्र इससे अधिक हो गई है. उनके परिवार के अन्य सदस्यों को रोजगार दिया जाएगा. स्थानीय लोगों की मांग है कि बढ़ा हुआ मुआवजा ढाई लाख से ज्यादा मिले. ऊर्जा मंत्री ने कहा कि सुरेंद्र शौरी ने सदन में जो चिंता व्यक्त की है, उसे एनएचपीसी के साथ बीओडी की बैठक में उठाया जाएगा.

शिमला: विधायक सुरेंद्र शौरी ने ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर विधानसभा में सैंज घाटी के विस्थापितों के मामले पर सदन का ध्यान आकर्षित किया. विधायक ने सदन को संबोधित करते हुए सैंज में पार्वती जल विद्युत परियोजना से प्रभावित और विस्थापित हुए परिवारों की समस्या से अवगत कराया और इस समस्या के स्थाई समाधान की मांग रखी. शौरी ने सरकार व पार्वती परियोजना प्रबंधन के बीच हुए विभिन्न समझौतों के क्रियान्वयन पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि नेशनल हाइड्रो पावर कारपोरेशन ने समझौते के अनुसार परियोजना प्रभावितों को स्थाई रोजगार नहीं दिया है और ना ही भूमि और मुआवजा संबंधी विवादों का सही तरीके से निपटारा किया गया है.

शौरी ने प्रभावितों को मुआवजा बढ़ाने और रोजगार दिलाने का मामला उठाते हुए सरकार से इस समस्या के समाधान की मांग रखी. उन्होंने कहा कि यदि ऊर्जा मंत्री एनएचपीसी की बीओडी में इस बात को उठाते हैं तो समस्या का समाधान हो जाएगा. उन्होंने कहा कि राष्ट्र के निर्माण में सहयोग के लिए इस परियोजना में लोगों ने सहयोग किया तो लेकिन बदले में उन्हें कुछ नहीं मिला. शौरी ने सदन का ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि जिन लोगों के पास 5 बीघा से कम जमीन बचती है उन लोगों को स्थाई रोजगार दिया जाएगा.

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यह समझौता उस वक्त हुआ था, जब इस परियोजना की आधारशिला रखी गई थी, लेकिन इसके विपरीत आज तक सिर्फ 33 लोगों को ही रोजगार दिया गया और शेष 66 परिवारों की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया गया. इस पर एनएचपीसी हमेशा आनाकानी करता रहा और यह जवाब आया कि जब पद रिक्त होंगे तो बचे परिवारों को भी रोजगार दिया जाएगा, लेकिन इसकी उम्मीद नहीं है क्योंकि जल विद्युत परियोजना में अधिकतर पद आउट सोर्स आधार पर भरे जा रहे हैं. ऐसे में पद रिक्त होने का तो सवाल ही खड़ा नहीं होता इसके अलावा मुआवजा राशि भी नियमों के तहत नहीं दी जा रही है. एनएचपीसी स्टेज दो और 3 में ठेकेदार के माध्यम से 800 लोगों को रोजगार दिया गया है. इस प्रकार एनएचपीसी ना तो प्रभावितों को सही मुआवजा राशि दे रही है और ना ही रोजगार.

सुरेंद्र शौरी ने मामले की वन टाइम सेटलमेंट की मांग रखी, जिससे प्रभावित सड़कों पर आकर आंदोलन न करें. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री खुद समस्या को समझे और प्रत्येक परिवार को 15 से 20 लाख रुपये एकमुश्त मुआवजा राशि मिल सके. चर्चा का जवाब देते हुए ऊर्जा मंत्री सुखराम चौधरी ने कहा कि पार्वती परियोजना के दूसरे चरण के बारे में स्थानीय विधायक ने जो चिंता व्यक्त की है, उसके बारे में वह अवगत हैं.

सुखराम चौधरी ने कहा कि प्रभावितों में से 71 लोगों ने ढाई लाख की एकमुश्त राशि ले ली है. सितंबर में जिलाधीश कुल्लू की अध्यक्षता में एक बैठक हुई है, जिसके बाद इस श्रेणी में 30 लोगों ने आवेदन किए हैं. उनको भी जल्द मुआवजा प्रदान कर दिया जाएगा. स्थाई रोजगार 60 साल तक देना है. जिनकी उम्र इससे अधिक हो गई है. उनके परिवार के अन्य सदस्यों को रोजगार दिया जाएगा. स्थानीय लोगों की मांग है कि बढ़ा हुआ मुआवजा ढाई लाख से ज्यादा मिले. ऊर्जा मंत्री ने कहा कि सुरेंद्र शौरी ने सदन में जो चिंता व्यक्त की है, उसे एनएचपीसी के साथ बीओडी की बैठक में उठाया जाएगा.

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