ठियोग/शिमला: हिमाचल प्रदेश में इन दिनों सेब का सीजन जोरों पर है, लेकिन अब सीजन के बीच बड़ी कंपनियों ने सेब के रेट तय किए हैं. जिसका किसानों और बागवानों ने विरोध किया है. यही नहीं बागवानों ने इसके खिलाफ धरना प्रदर्शन भी शुरू कर दिए हैं और निजी कंपनियों के ऊपर कोई नियंत्रण न रखने के आरोप सरकार पर जड़े (HIMACHAL FARMERS AND GROWERS ON BJP ) हैं. ऐसे में सरकार ने बागवान संगठनों के लगातार विरोध के बाद एक कमेटी का गठन किया है और शनिवार को निजी कंपनियों को बैठक के लिए बुलाया जिसमें कई कंपनियों ने हिस्सा नहीं लिया.
सरकार की ओर से गठित कमेटी ने सीए स्टोर के मालिकों को 2 सितंबर को अपने कागजात सहित एक बार फिर से बैठक में बुलाया है और कंपनियों को लताड़ भी लगाई है. शनिवार को आयोजिक बैठक के दौरान सरकार द्वारा गठित कमेटी ने अडानी स्टोर का दौरा भी किया और किसानों बागवानों सहित स्टोर मैनेजमेंट से बातचीत कर उनके नियमों के बारे में (growers meeting in theog shimla) जाना.
बैठक के दौरान ठियोग में संयुक्त किसान मंच और किसान सभा (Himachal Kisan Sabha) के सदस्यों ने टीम के सामने अपनी राय रखी और मंडियों में बागवानों के साथ हो रही लूट और एपीएमसी एक्ट लागू न करने पर आपत्ति जताई. साथ ही कहा कि अडानी ने अपनी मर्जी से बैठक कर सेब के रेट 2 रुपये कम कर (APPLE PRICE DECREASE IN HIMACHAL) दिए. जिससे साबित होता है कि सरकार इनके सामने कुछ भी नहीं. उन्होंने कहा की अगर निजी कंपनियों के ऊपर सरकार कोई नियंत्रण नहीं रखती है तो किसान बागवान इन कंपनियों के खिलाफ बड़ा आंदोलन करेगा जिसमें सरकार भी कुछ नहीं कर पाएगी.
वहीं, संयुक्त किसान मंच (Himachal Sanyukt Kisan Manch) के अध्यक्ष हरीश चौहान ने कहा कि सरकार की ओर से गठित कमेटी के बाद बड़ी कंपनियों के स्टोर का दौरा किया जा रहा है. उन्होंने कहा की सेब के रेट कमेटी और सरकार के निर्णय के बिना तय कर दिए गए हैं और इन कंपनियों के ऊपर सरकार का भी कोई नियंत्रण नहीं है, जबकि इनको सरकार ने करोड़ों रुपये की सब्सिडी प्रदान की है और अब ये मनमानी कर बागवानों को लूट (apple growers allegations on bjp government) रहे हैं. सरकार की ओर से गठित की गई कमेटी के अध्यक्ष नरेश ठाकुर का कहना है कि अभी कमेटी कंपनियों का डाटा ले रही है और सेब के रेट तय करने की प्रक्रिया जान रही है. जिसके बाद 2 सितंबर की मीटिंग रखी गयी है. मीटिंग में सभी मुद्दों पर चर्चा होगी. जिसके बाद सरकार निर्णय लेगी.
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