शिमला: प्रतिबंध मार्ग पर वकीलों के वाहनों के रोके जाने के खिलाफ वकीलों ने प्रदेश हाई कोर्ट परिसर में जमकर नारेबाजी की. हाई कोर्ट के निर्देश के अनुसार वकीलों की गाड़ियां रोकने से शिमला के वकील खासे गुस्से में हैं और मामले को लेकर पिछले चार दिनों से काम काज छोड़ कर सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं.
वकीलों का गुस्सा गुरुवार को हिमाचल हाई कोर्ट के परिसर में देखने को मिला जहां शिमला बार एसोसिएशन के वकीलों ने प्रतिबंधित मार्गों पर उनकी गाड़ियां रोकने वाले जज के खिलाफ ही मोर्चा खोल दिया. हिमाचल के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ कि वकीलों ने हाई कोर्ट परिसर में ही नारेबाजी कर अपना विरोध जताया हो.
वकीलों के प्रदर्शन के दौरान मुख्य न्यायाधीश ने बातचीत का न्यौता दिया. दो घंटे से अधिक समय तक चली बातचीत के बाद जिला शिमला वार एसोसिएशन के अध्यक्ष राजीव सरकैक ने बताया कि मुख्य न्यायाधीश से सकारात्मक बातचीत हुई है, जिसमें वकीलों की मांगों को एक सप्ताह के भीतर पूरा करने का आश्वासन दिया गया है.
वकीलों के ऊपर हुई एफआईआर पर भी सहानुभूति पूर्ण विचार करने की बात कही गई है. अब वार एसोसिएशन 26 जुलाई को आम सभा बुलाकर आगे की रणनीति तैयार करेगी. उन्होंने बताया कि सील्ड रोड वकीलों के साथ-साथ आम जनता के लिए भी खुलने चाहिए.
शिमला में करीब 14 प्रतिबंधित मार्ग हैं. जिनमें से 6 रोड सील्ड तो 8 रोड रिस्ट्रिक्टेड हैं. जिनको 'शिमला रोड यूजर एंड पडेस्टीरियन एक्ट 2007' के तहत पब्लिक सेफ्टी के लिहाज से प्रतिबंधित रखा गया है लेकिन इन सड़कों पर या तो विशेष वीआईपी या आपातकाल की गाड़ियों ले जाने की इजाजत है.
जबकि अन्य लोगों की गाड़ियों को ले जाने के लिए गृह विभाग की विशेष अनुमति लेनी पड़ती है. इन मार्गों पर वकीलों को जाने की पहले इजात थी लेकिन ताजा आदेशों के बाद वकीलों को भी इन मार्गों पर जाने से रोका जा रहा है. इसी को लेकर वकील अपना काम धंधा छोड़कर सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर हुए हैं.