शिमला: प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहन देने के लिए हिमाचल सरकार निरंतर प्रयास कर रही है. नेचुरल फार्मिंग में जुटे किसानों को अपने उत्पाद बेचने में दिक्कत न आए, इसके लिए सरकार ने मंडियों की व्यवस्था की (natural farming in himachal) है. हिमाचल में पौने दो लाख के करीब किसान प्राकृतिक खेती से जुड़े हैं. उनके द्वारा पैदा की जा रही फल और सब्जियां बेचने के लिए हिमाचल में 10 मंडियां चिन्हित की गई हैं.
उत्पाद बिक्री के लिए हिमाचल में 10 मंडियां चिन्हित: उत्पादों की बिक्री के लिए हिमाचल में 10 मंडियां चिन्हित की गई (10 mandis selected in himachal) हैं, जिनके माध्यम से किसान अपना उत्पाद बेच सकेंगे. इससे उनकी बाजार को लेकर आ रही समस्याएं भी हल होगी. प्राकृतिक खेती उत्पादों को बाजार में सही दाम दिलाने के लिए उनकी मार्केटिंग और ब्रांडिंग पर काम किया जा रहा है. प्रदेशभर में 1 लाख 71 हजार से ज्यादा किसान-बागवान सभी 4 कृषि जलवायु क्षेत्रों में फल व फसलों की इस विधि से खेती कर रहे हैं.
ऑनलाइन तरीके से उत्पादों को बेचने पर हो रहा विचार: विविध फसलों को मंडियों में स्थान उपलब्ध करवाने के अलावा राज्य सरकार ऑनलाइन तरीके से भी प्राकृतिक खेती के उत्पादों को बेचने पर विचार कर रही है. कई गैर-सरकारी संस्थाओं ने भी प्राकृतिक खेती से तैयार उत्पादों को खरीदने में रुचि दिखाई है. राज्य सचिवालय में गुरुवार को कृषि सचिव राकेश कंवर की अध्यक्षता में प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना की समीक्षा बैठक का आयोजन किया गया.
प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना की समीक्षा बैठक: गुरुवार को आयोजित प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना (Prakritik Kheti Khushhal Kisan Yojana in himachal) की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए कृषि सचिव ने कहा कि पर्यावरण-हितैषी प्राकृतिक खेती तेजी से प्रदेश में बढ़ रही है. राज्य सरकार ने भी इस योजना को अपना महत्वपूर्ण कार्यक्रम बनाया है और इस वित्त वर्ष के लिए नए लक्ष्य तय किए हैं. बैठक के दौरान कृषि सचिव ने सभी जिलों की प्रगति की समीक्षा की. उन्होंने सभी जिलों के अधिकारियों को तय समय सीमा के भीतर निर्धारित लक्ष्य प्राप्त करने के निर्देश दिए.
बैठक में ये लोग रहे मौजूद: इस दौरान परियोजना के कार्यकारी निदेशक प्रो. राजेश्वर सिंह चंदेल ने एक प्रेजेंटेशन के माध्यम से प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के विभिन्न पहलुओं को सामने रखा. बैठक में प्राकृतिक खेती में प्रमाणीकरण, ब्रांडिंग, मार्केटिंग और भविष्य की रणनीति के बारे में भी विस्तारपूर्वक चर्चा की (Khushhal Kisan Yojana review meeting) गई. इस बैठक में कृषि सचिव, कार्यकारी निदेशक, राज्य परियोजना कार्यान्वयन इकाई के अधिकारी एवं जिलों के परियोजना निदेशक सहित आत्मा प्रोजेक्ट के उप निदेशक मौजूद रहे.