नाहन: हिमाचल प्रदेश के अब तक सबसे बड़े बहुचर्चित इंडियन टेक्नोमेक घोटाले में सीबीआई की एक टीम के पांवटा साहिब में दबिश देने की जानकारी मिली है. बताया जा रहा है कि सीबीआई की इस टीम में आधा दर्जन से अधिक सदस्य शामिल हैं.
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक सीबीआई की 7 सदस्य टीम ने बुधवार को पांवटा साहिब स्थित राज्य एवं कराधान विभाग के ईटीओ कार्यालय पहुंची थी. हालांकि जिला के अधिकारी नाम न छापने की शर्त पर टीम के पहुंचने की पुष्टि तो कर रहे हैं, लेकिन किसी भी तरह की जानकारी फिलहाल साझा नहीं कर रहे हैं.
सूत्रों की मानें तो इंडियन टेक्नोमेक घोटाले के संबंध में सीबीआई की टीम उद्योग परिसर में सर्च वारंटर के साथ पहुंची है. प्रदेश का अब तक का सबसे बड़ा इंडियन टेक्नोमेक का यह घोटाला वर्ष 2014 में सामने आया था. इस मामले की जांच में सीबीआई सहित 3 जांच एजेंसियों को शामिल किया गया है, जिसमें हिमाचल का राज्य कर एवं आबकारी विभाग भी शामिल है.
बता दें कि इंडियन टेक्नोमेक का यह घोटाला करीब 6 हजार करोड़ रुपये के आसपास का है, जिसमें हिमाचल की 2175 करोड़ रुपये की हिस्सेदारी बनती है. बता दें कि 2019 में इंटरपोल द्वारा भी इंडियन टेक्नोमेक उद्योग के मालिक राकेश शर्मा के खिलाफ राज्य सीआईडी की सिफारिश पर रेड कॉर्नर नोटिस भी जारी किया गया था.
इस घोटाले का मास्टर माइंड राकेश शर्मा अब भी फरार है, जिसकी लोकेशन कई बार विदेशों में पाई गई. उधर, पूछे जाने पर दक्षिणी क्षेत्र के संयुक्त आयुक्त जीडी ठाकुर ने सीबीआई के पहुंचने की पुष्टि करते हुए बताया कि बुधवार को सीबीआई की टीम पहुंची है, जिसे जांच में पूरा सहयोग दिया जाएगा. वहीं, सिरमौर के राज्य कर एवं कराधान आयुक्त प्रीत पाल सिंह ने भी सीबीआई के पहुंचने की पुष्टि की है.
बता दें कि सीबीआई ने दिल्ली स्थित निजी कंपनी एवं हिमाचल प्रदेश स्थित औद्योगिक इकाई और अन्य जिसमें इसके प्रोत्साहक एवं सीएमडी निदेशक ,गारंटीकर्ता एवं दो कारपोरेट गारंटीकर्ता अज्ञात लोक सेवक अन्य अज्ञात शामिल हैं, के विरुद्ध मामला दर्ज किया है.
आरोप है कि बैंकों के साथ धोखाधड़ी करने के लिए आरोपियों ने आपस में षड़यंत्र किया और बैंक ऑफ इण्डिया के नेतृत्व वाले 16 बैंकों के समूह को 1528.05 करोड़ रुपये की हानि पहुंचाई. बैंको के समूह में बैंक ऑफ इण्डिया, यूनियन बैंक ऑफ इण्डिया, आन्ध्र बैंक, पंजाब एण्ड सिन्ध बैंक, इण्डियन ओवरसीज बैंक, स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, कॉर्पोरेशन बैंक, एचडीएफसी बैंक लिमिटेड, ओरिएण्टल बैंक ऑफ़ कॉमर्स, सारस्वत को ऑपरेटिव बैंक, स्टेट बैंक ऑफ पटियाला, यूको बैंक, इलाहाबाद बैंकस्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक एवं डीबीएस शामिल है.
आरोप है कि निजी कंपनी लौह एवं अलौह धातु के विनिर्माण में संलग्न थी और वर्ष 2008 से 2013 के दौरान बैंक ऑफ इण्डिया के नेतृत्व वाले 16 राष्ट्रीयकृत/निजी बैंकों के समूह से साख सुविधाएं/ऋण आदि प्राप्त किया. आरोपियों ने ऋण खाते से धनराशि मे हेरफेर के माध्यम से बैंकों के साथ धोखाधड़ी के इरादे से षड़यंत्र किया और इस तरह से बैंक ऑफ इण्डिया के नेतृत्व वाले बैंकों के समूह को लगभग 1528.05 करोड़ की हानि पहुंचाई.
आईआरएसी के दिशा निर्देशों के अनुसार बकाया धनराशि के कारण 31.03.2014 से बैंक ऑफ इण्डिया में खाता, गैर निष्पादित सम्पत्ति (एनपीए) घोषित हुआ. मई, 2015 में आरबीआई की सलाह पर बैंक ऑफ इण्डिया ने खाता को संदिग्ध खाता घोषित किया और फरवरी, 2016 में धोखाधड़ी का पता चला. वहीं, कांगड़ा, पांवटा साहिब, सिरमौर में आरोपियों के विभिन्न परिसरों पर तलाशी की जा रही है.
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