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खबरां पहाड़ां री: ब्रह्मास्त्र फिल्मा री शूटिंगा खातर हिमाचल पहुंचे अमिताभ बच्चन - पहाड़ी खबरां

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revertamitabh bacchan arrived in Himachal for the shooting of Brahmastra movie
ब्रह्मास्त्र फिल्मा री शूटिंगा खातर हिमाचल पहुंचे अमिताभ बच्चन
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Published : Nov 27, 2019, 7:10 PM IST

खबरां पहाड़ां री: नशे रे खिलाफ प्रदेशा च चलादे अभियाना च कुल्लू पुलिस जो मिली कामयाबी...पुलिस आलेयां भुंतर च सैंज री इक महिला जो 949 ग्राम चरसा कन्ने किया गिरफ्तार...

खबरां पहाड़ां री

मल्टी स्टारर फिल्म ब्रह्मास्त्र री शूटिंग लेई मनाली जादे महानायक अमिताभ बच्चन रे रस्ते च खराब मौसम बनेया रुकावट... बिग बी जो बिलासपुर च करना पेया कुछ घंटे इंतजार...

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खबरां पहाड़ां री

मल्टी स्टारर फिल्म ब्रह्मास्त्र री शूटिंग लेई मनाली जादे महानायक अमिताभ बच्चन रे रस्ते च खराब मौसम बनेया रुकावट... बिग बी जो बिलासपुर च करना पेया कुछ घंटे इंतजार...

Intro:
जिला सिरमौर के पहाड़ी क्षेत्रों में बूढ़ी दिवाली आरंभ
चार-पांच दिन लगातार बूढ़ी दिवाली का आयोजन होता है पहाड़ी क्षेत्र में
कई प्रकार के पहाड़ी व्यंजन बनाकर रिश्तेदारों को खिलाए जाते हैं
भीम के घर वापस आने पर मनाई जाती है बूढ़ी दिवाली
पहाड़ी कल्चर विशेष रूप से यहां पर आयोजन किया जाता है
भीम के घर के वापस आने पर मनाई जाती है बड़ी दिवाली


Body:



ईटीवी से खास बातचीत करते हुए लोगों ने बताया कि बूढ़ी दिवाली भीम के घर वापस आने पर यह आयोजन किया जाता है भीम नई दिवाली के दौरान मृत्यु लोक में अपनी पत्नी हिडिम्बा के पास थे जब वह वापस अपने घर के लिए आए तो उन्हें पता चला कि श्री राम के घर आने पर दिवाली का आयोजन धूमधाम से किया गया है तो उन्होंने भी दोबारा आयोजन कराने के लिए कहा और उत्तराखंड व हिमाचल का पहाड़ी क्षेत्र मैं दोबारा से उनको खुश करने के लिए बूढ़ी दिवाली का आयोजन किया गया लोगों ने खुश करने के लिए कई प्रकार के पकवान बनाएं जैसे मीठी बिडोलिया नमकीन बिरोलिया मुढ़ा शाकुली चिल्डै पकवान बनाए गए ताकि उन्हें खाने में कोई कमी ना रहे उनके मनोरंजन के लिए थोड़ा नित्य रासे मशाल यात्रा का भी आयोजन किए गए वही लोगों ने यह भी बताया कि आयोजन 4 से 5 दिनों तक होता है पहले दिन अमावस्या की रात को मशाल यात्रा निकाली गई ताकि बुरी शक्तियां बाहर भागाई जाए और गांव में देवी देवताओं का गाव में वास किया जाए दूसरे दिन भिवरी का आयोजन किया गया बिना वाद्य यंत्रों के गीत गाए और गांव के सभी नौजवान बुजुर्ग इस आयोजन में शामिल होते हैं
तीसरे दिन थोड़ा नृत्य का कल्चर प्रोग्राम के आयोजन किए जाते हैं ताकि संगीत के माध्यम से भीम को प्रसन्न किया जाए समापन मैं भी रात से लगाकर महिलाएं व पुरुष पहाड़ी नृत्य करती है इस आयोजन में सभी गांव की बेटियां अपने घर वापस आती है जिन्हें लजीज व्यंजन परोसे जाते हैं इसके साथ मुडा शाकुली आदि खिलाया जाते हैं और जब बेटियां अपने ससुराल जाती है तो उन्हें मुडा शाकुली देकर विदा करते हैं बूढ़ी दिवाली एक भाईचारे को बढ़ावा भी देती है गांव के सभी नौजवान इकट्ठा होकर आपस में बातचीत करते हैं रिश्तेदार व दूरदराज के इलाकों के लोग भी आयोजन में पहुंचते हैं जिससे आपसी भाईचारा बढ़ता रहता है


Conclusion:
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