मंडी: जिला के बल्ह उपमंडल की कोठी गैहरी पंचायत के गंभरखड्ड गांव में आईपीएच विभाग की नाकामी का मामला सामने आया है. यहां गांव वालों को पानी की किल्लत से निजात दिलाने के लिए साल 2016 में पानी फिल्टर टैंक का निर्माण कराया गया था. जो विभागीय उदासीनता के चलते चार साल बीत जाने के बाद भी शुरू नहीं हो पाया है.
टैंक निर्माण के लिए गांव के परम देव ने अपनी पांच बिस्वा भूमि भी विभाग को दान दी थी. जमीन पर कंकरीट का ढांचा तो खड़ा कर दिया लेकिन अब यह खंडहर में तब्दील होता जा रहा है. आलम ये है कि टैंक में झाड़ियां और घास उग आई हैं, जिस कारण यह टैंक जर्जर होता जा रहा है.
जमीन दान करने वाले परम देव की मानें तो उन्होंने टैंक को शुरू करवाने के लिए विधायक से लेकर आईपीएच मंत्री तक गुहार लगाई, लेकिन किसी ने कोई सुनवाई नहीं की. परम देव का कहना है अगर विभाग टैंक को शुरू नहीं कर सकता तो इसे तोड़कर जमीन वापस की जाए, ताकि जमीन का कृषि के लिए उपयोग किया जा सके. परम देव ने विभाग को भी एप्लिकेशन दे रखी है जिसके जवाब का इंतजार है.
वहीं, गंभरखड्ड गांव में पानी की बात की जाए तो यहां के बाशिंदे पानी की बूंद-बूंद के लिए तरस रहे हैं. ग्रामीण हिमा देवी और रि. सूबेदार गुरदेव शर्मा ने बताया कि गांव में सप्ताह में एक बार पानी की सप्लाई आ रही है. किसी को पानी मिल पाता है और कोई रह जाता है. प्राकृतिक जल स्रोतों से पानी ढोकर लाना पड़ रहा है. ग्रामीणों ने बताया कि टैंक के कारण इस गांव को ब्रिक्स की स्कीम से भी हाथ धोना पड़ा है.
इस बारे में आईपीएच विभाग बग्गी डिवीजन के एक्सईएन छबील चंद से बात की गई तो उन्होंने टैंक के शुरू न होने के लिए जमीन दानकर्ता को ही दोषी बताया. उन्होंने कहा कि जिसने जमीन दान दी है वही टैंक में पानी नहीं डालने दे रहा है. उन्होंने कहा कि जल्द ही इस मामले को सुलझाकर टैंक को शुरू कर दिया जाएगा.