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खंडहर में तब्दील हो गया वॉटर फिल्टर टैंक, 4 साल बाद भी IPH विभाग नहीं भर सका पानी - Mandi

मंडी जिला की गैहरी पंचायत के गंभरखड्ड गांव में आईपीएच विभाग की उदासीनता के चलते वॉटर फिल्टर प्लांट की शुरुआत नहीं हो सकी है. जिसकी वजह से लोगों को पानी के लिए प्राकृतिक जल स्रोतों का सहाला लेना पड़ रहा है.

Water filter tank could not start from four years in mandi
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Published : Jul 13, 2019, 5:52 PM IST

मंडी: जिला के बल्ह उपमंडल की कोठी गैहरी पंचायत के गंभरखड्ड गांव में आईपीएच विभाग की नाकामी का मामला सामने आया है. यहां गांव वालों को पानी की किल्लत से निजात दिलाने के लिए साल 2016 में पानी फिल्टर टैंक का निर्माण कराया गया था. जो विभागीय उदासीनता के चलते चार साल बीत जाने के बाद भी शुरू नहीं हो पाया है.

टैंक निर्माण के लिए गांव के परम देव ने अपनी पांच बिस्वा भूमि भी विभाग को दान दी थी. जमीन पर कंकरीट का ढांचा तो खड़ा कर दिया लेकिन अब यह खंडहर में तब्दील होता जा रहा है. आलम ये है कि टैंक में झाड़ियां और घास उग आई हैं, जिस कारण यह टैंक जर्जर होता जा रहा है.

वीडियो.

जमीन दान करने वाले परम देव की मानें तो उन्होंने टैंक को शुरू करवाने के लिए विधायक से लेकर आईपीएच मंत्री तक गुहार लगाई, लेकिन किसी ने कोई सुनवाई नहीं की. परम देव का कहना है अगर विभाग टैंक को शुरू नहीं कर सकता तो इसे तोड़कर जमीन वापस की जाए, ताकि जमीन का कृषि के लिए उपयोग किया जा सके. परम देव ने विभाग को भी एप्लिकेशन दे रखी है जिसके जवाब का इंतजार है.

वहीं, गंभरखड्ड गांव में पानी की बात की जाए तो यहां के बाशिंदे पानी की बूंद-बूंद के लिए तरस रहे हैं. ग्रामीण हिमा देवी और रि. सूबेदार गुरदेव शर्मा ने बताया कि गांव में सप्ताह में एक बार पानी की सप्लाई आ रही है. किसी को पानी मिल पाता है और कोई रह जाता है. प्राकृतिक जल स्रोतों से पानी ढोकर लाना पड़ रहा है. ग्रामीणों ने बताया कि टैंक के कारण इस गांव को ब्रिक्स की स्कीम से भी हाथ धोना पड़ा है.

इस बारे में आईपीएच विभाग बग्गी डिवीजन के एक्सईएन छबील चंद से बात की गई तो उन्होंने टैंक के शुरू न होने के लिए जमीन दानकर्ता को ही दोषी बताया. उन्होंने कहा कि जिसने जमीन दान दी है वही टैंक में पानी नहीं डालने दे रहा है. उन्होंने कहा कि जल्द ही इस मामले को सुलझाकर टैंक को शुरू कर दिया जाएगा.

मंडी: जिला के बल्ह उपमंडल की कोठी गैहरी पंचायत के गंभरखड्ड गांव में आईपीएच विभाग की नाकामी का मामला सामने आया है. यहां गांव वालों को पानी की किल्लत से निजात दिलाने के लिए साल 2016 में पानी फिल्टर टैंक का निर्माण कराया गया था. जो विभागीय उदासीनता के चलते चार साल बीत जाने के बाद भी शुरू नहीं हो पाया है.

टैंक निर्माण के लिए गांव के परम देव ने अपनी पांच बिस्वा भूमि भी विभाग को दान दी थी. जमीन पर कंकरीट का ढांचा तो खड़ा कर दिया लेकिन अब यह खंडहर में तब्दील होता जा रहा है. आलम ये है कि टैंक में झाड़ियां और घास उग आई हैं, जिस कारण यह टैंक जर्जर होता जा रहा है.

वीडियो.

जमीन दान करने वाले परम देव की मानें तो उन्होंने टैंक को शुरू करवाने के लिए विधायक से लेकर आईपीएच मंत्री तक गुहार लगाई, लेकिन किसी ने कोई सुनवाई नहीं की. परम देव का कहना है अगर विभाग टैंक को शुरू नहीं कर सकता तो इसे तोड़कर जमीन वापस की जाए, ताकि जमीन का कृषि के लिए उपयोग किया जा सके. परम देव ने विभाग को भी एप्लिकेशन दे रखी है जिसके जवाब का इंतजार है.

वहीं, गंभरखड्ड गांव में पानी की बात की जाए तो यहां के बाशिंदे पानी की बूंद-बूंद के लिए तरस रहे हैं. ग्रामीण हिमा देवी और रि. सूबेदार गुरदेव शर्मा ने बताया कि गांव में सप्ताह में एक बार पानी की सप्लाई आ रही है. किसी को पानी मिल पाता है और कोई रह जाता है. प्राकृतिक जल स्रोतों से पानी ढोकर लाना पड़ रहा है. ग्रामीणों ने बताया कि टैंक के कारण इस गांव को ब्रिक्स की स्कीम से भी हाथ धोना पड़ा है.

इस बारे में आईपीएच विभाग बग्गी डिवीजन के एक्सईएन छबील चंद से बात की गई तो उन्होंने टैंक के शुरू न होने के लिए जमीन दानकर्ता को ही दोषी बताया. उन्होंने कहा कि जिसने जमीन दान दी है वही टैंक में पानी नहीं डालने दे रहा है. उन्होंने कहा कि जल्द ही इस मामले को सुलझाकर टैंक को शुरू कर दिया जाएगा.

Intro:मंडी। जिला के बल्ह उपमंडल की कोठीगैहरी पंचायत के गंभरखड्ड गांव में आईपीएच विभाग की नाकामी का मामला सामने आया है। यहां विभाग ने वर्ष 2016 में लाखों रुपए खर्च करके पानी के फिल्टर टैंक का निर्माण करवाया, ताकि गांव में चल रही पानी की किल्लत को दूर किया जा सके। लेकिन 4 वर्ष बीत जाने के बाद भी इस टैंक को विभाग शुरू नहीं कर पाया है।


Body:टैंक निर्माण के लिए गांव के परम देव ने अपनी 5 बिस्वा भूमि भी विभाग को दान दी। जमीन पर कंकरीट का ढांचा तो खड़ा कर दिया लेकिन अब यह खंडहर बनता जा रहा है। आलम यह हो गया है कि टैंक में झाडि़यां और घास उग आई है, जिस कारण यह टैंक जर्जर होता जा रहा है। जमीन दान करने वाले परम देव की मानें तो उन्होंने टैंक को शुरू करवाने के लिए विधायक से लेकर आईपीएच मंत्री तक गुहार लगाई, लेकिन किसी ने कोई सुनवाई नहीं की। परम देव का कहना है अगर विभाग टैंक को शुरू नहीं कर सकता तो इसे तोड़कर जमीन वापिस की जाए, ताकि जमीन का कृषि के लिए उपयोग किया जा सके। परम देव ने विभाग को भी एप्लिकेशन दे रखी है जिसके जबाव का इंतजार है।

बाइट - परम देव, जमीन दान करने वाला

वहीं गंभरखड्ड गांव में पानी की बात की जाए तो यहां के बाशिंदे पानी की बूंद बूंद के लिए तरस रहे हैं। ग्रामीण हिमा देवी और रि. सूबेदार गुरदेव शर्मा ने बताया कि गांव में सप्ताह में एक बार पानी की सप्लाई आ रही है। किस को पानी मिल जाता है और कोई रह जाता है। प्राकृतिक जल स्त्रोतों से पानी ढोकर लाना पड़ रहा है। ग्रामीणों ने बताया कि टैंक के कारण इस गांव को ब्रिक्स की स्कीम से भी हाथ धोना पड़ा है। इन्होंने सरकार से गांव में ब्रिक्स की स्कीम के तहत काम करने की गुहार लगाई है।




Conclusion:वहीं जब इस बारे में आईपीएच विभाग बग्गी डिवीजन के एक्सईएन छबील चंद से बात की गई तो उन्होंने टैंक के शुरू न होने के लिए जमीन दानकर्ता को ही दोषी बताया। उन्होंने कहा कि जिसने जमीन दान दी है वही टैंक में पानी नहीं डालने दे रहा है। उन्होंने कहा कि जल्द ही इस मामले को सुलझाकर टैंक को सुचारू कर दिया जाएगा।

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