सरकाघाट/मंडीः देश में महिलाओं के लिए शिक्षा की रोशनी जगाने वाली आधुनिक भारत की पहली महिला शिक्षिका सावित्रीबाई फुले की 189वीं जयंती के मौके पर उपमंडल सरकाघाट में एक साधारण सभा का आयोजन किया गया. यह आयोजन हिमाचल प्रदेश अनुसूचित जाति, जनजाति व पिछड़ा वर्ग जागरण मंच द्वारा किया गया. सभा में सावित्रीबाई फुले के जीवन और संघर्ष पर चर्चा की गई और उससे प्ररेणा लेते हुए समाज के लिए कार्य करने का प्रण भी लिया गया.
सभा के अध्यक्ष दीप कुमार संधू ने अपने संबोधन में कहा कि जब महिलाओं को पढ़ने का अधिकार नहीं था. ऐसे हालातों में सावित्रीबाई फुले ने अपने पति ज्योतिबा फूले से शिक्षा हासिल की और महिलाओं को पढ़ाने का कार्य शुरू किया. उन्होंने अपने पति महात्मा फुले के साथ मिल कर महाराष्ट्र के पुणे में बालिकाओं के लिए पहले स्कूल की स्थापना की और उस स्कूल की पहली अध्यापिका भी बनीं.
महिलाओं के लिए खोले थे शिक्षा के द्वार
दीप कुमार संधू ने कहा कि ये सब इतना आसान नहीं था. उस वक्त के रूढ़ीवादी लोगों ने सावित्री बाई फुले का जमकर विरोध किया था लेकिन सावित्री बाई फूले ने हिम्मत नहीं हारी और अपमान सहते हुए महिलाओं को पढ़ाया. उन्होंने महिलाओं के लिए शिक्षा के लिए विद्यालय खोलकर शिक्षा के द्वार खोल दिए और आज की महिलाएं पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढ़ रही हैं. उनके प्रयास का ही परिणाम है कि आज महिलाएं राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री जैसे पदों पर पहुंची हैं.
इस मौके पर दीप कुमार संधू, राजेंद्र सूर्यावंशी, बृज लाल सूर्यावंशी, कृष्ण चंद, रतन चंद, मेहर चंद, सरवण कुमार, बालम राम, राजेश कुमार, रमेश चंद, हरिदास आदि ने सावित्री बाई फूले को याद करते हुए अपने विचार रखे और सभी ने देश की पहली महिला शिक्षक सावित्री बाई फूले के विचारों पर चलने का संकल्प किया.
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