मंडीः हिमाचल में जंगलों को आग से बचाने के लिए चीड़ पत्तियों पर आधारित उद्योगों को स्थापित करने के लिए प्रदेश सरकार ने मुहिम की शुरुआत की है. इसमें उद्यमियों में कई तरह की शंकाएं होने के कारण यह मुहिम धरातल स्तर पर पूरी तरह से नहीं उतर पाई है.
मुहिम को धरातल पर सही तरीके से उतारने के लिए वन विभाग ने जोन स्तर पर मंडी मंडल की ओर से वर्कशॉप का आयोजन किया. जिसमें वन और उद्योग विभाग के अधिकारियों ने उद्यमियों की शंकाएं दूर की और ऐसे उद्योग स्थापित करने के लिए प्रेरित किया.
वन विभाग के पीसीसीएफ (हॉफ) अजय शर्मा ने बताया कि आईआईटी मंडी ने चीड़ पत्तियों के ब्रिकेटस बनाने के लिए एक मशीन ईजाद की है. साढ़े पांच लाख रूपये की लागत वाली इस मशीन को पंजाब की कंपनियां बना रही हैं. इसे स्थापित कर चीड़ पत्तियों पर आधारित उद्योग लगाए जा सकते हैं.
इस मशीन के जरिए पाइन नीडल डाले तो ब्रिकेटस बनते है. जो कि फयूल का काम करती है. उन्होंने बताया कि चीड़ पत्तियों पर आधारित उद्योग स्थापित करने के लिए वन विभाग की ओर से 50 प्रतिशत सब्सिडी दी जाती है. जोकि अधिकत्तम 25 लाख तक हो सकती है. हिमाचल में अभी तक कुल 27 आवेदन विभाग के पास पहुंचे हैं. जिन्हें इन प्रिंसीपल स्वीकृति दी गई है.
इन्हें उद्योग विभाग की सिंगल विंडो क्लीयरेंस जरूरी है. इन उद्यमियों को वर्कशॉप के जरिए कच्चा माल कैसे मिलेगा, उत्पादित माल कैसे बिकेगा, कैसे उद्योग लगेगा के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है. उन्होंने बताया कि कच्चा माल यानि चीड़ पत्तियां एक साल तक निशुल्क वन विभाग एकत्रित करके देगा. जबकि मार्केंटिंग के लिए भी सरकार पूरी मदद करेगी.
उन्होंने उद्यमियों को स्पष्ट किया कि पर्यावरण विभाग की ओर अधिसूचना जारी कर दी गई है कि सीमेंट व अन्य फ्यूल का उपयोग करने वाले उद्योगों को 0.1 प्रतिशत फॉरेस्ट बेस्ड रॉ मटीरियल के फ्यूल को उपयोग में लाना है. वहीं, मंडी डिवीजन में स्थापित एक फर्म ने उत्पादन शुरू कर दिया है.
फर्म का उत्पादित माल लेह की एक फर्म ने खरीद लिया है. 20 क्विंटल माल दस रूप्ये प्रति किलो के हिसाब से खरीदा गया है. जबकि फर्म की ओर से और अधिक मांग है. उद्यमी प्रेम सिंह ने बताया कि रोजाना तीन से चार क्विंटल माल उत्पादित किया जा सकता है. मशीन करीब एक घंटे में करीब 60 से 70 किलो ब्रिकेट तैयार करती है.
पालमपुर डिवीजन में चीड़ पत्तियों पर आधारित उद्योग स्थापित करने जा रहे उद्यमी सचिन गुप्ता का कहना है कि उन्हें इस बारे कई शंकाएं थी. जिन्हें वर्कशॉप में अधिकारियों द्वारा दूर किया गया है. उन्होंने बताया कि वन विभाग इस तरह का उद्योग स्थापित करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा है. उद्यमियों को विभाग की ओर से हर प्रकार की सहायता मिल रही है.
बता दें कि इस वर्कशॉप में मंडी, बिलासपुर, हमीरपुर, कांगड़ा से 12 उद्यमी मौजूद रहे. इस दौरान अरण्यपाल मंडी उपासना पटियाल, डीएफओ एसएस कश्यप समेत विभिन्न जिलों में वन अधिकारी मौजूद रहे.
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