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भूस्खलन निगरानी एवं पूर्व चेतावनी प्रणाली के लिए IIT मंडी का DDMA मंडी से करार - IIT Mandi ties up with DDMA Mandi

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मंडी ने जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) मंडी से 8 फरवरी 2022 को एक सहमति करार (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए. एमओयू का उद्देश्य कुछ खास जगहों पर भूस्खलन निगरानी एवं पूर्व चेतावनी प्रणाली लगाना है. 'लैंड स्लाइड मॉनिटरिंग एंड अर्ली वार्निंग सिस्टम डिवाइस' का विकास स्कूल ऑफ कंप्यूटिंग एंड इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. वरुण दत्त और स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग, आईआईटी मंडी के सहायक प्रोफेसर डॉ. केवी उदय ने किया है.

IIT Mandi ties up with DDMA Mandi
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Published : Feb 9, 2022, 5:05 PM IST

मंडी: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मंडी ने जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) मंडी से 8 फरवरी 2022 को एक सहमति करार (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए. एमओयू का उद्देश्य कुछ खास जगहों पर भूस्खलन निगरानी एवं पूर्व चेतावनी प्रणाली लगाना है. इससे पूर्व आईआईटी मंडी और डीडीएमए कांगड़ा के बीच सहमति करार पर हस्ताक्षर किए जा चुके हैं जिसके तहत 10 भूस्खलन निगरानी एवं पूर्व चेतावनी प्रणाली (ईडब्ल्यूएस) विकसित और स्थापित की जाएगी. साइटों के दौरे के बाद उनके विश्लेषण के आधार पर यह प्रणाली लगाई जाएगी. इसके लिए इनएसएआर-आधारित विश्लेषण किया जाएगा और जिला प्रशासन इसकी पुष्टि करेगा.

हाल में आईआईटी मंडी के निदेशक बने प्रोफेसर लक्ष्मीधर बेहरा ने सहमति करार पर डीडीएमए मंडी अरिंदम चौधरी उपायुक्त मंडी के साथ हस्ताक्षर किए. इस अवसर पर राजीव कुमार, अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट, मंडी, जतिन लाल, अतिरिक्त उपायुक्त, मंडी एवं राजीव कुमार, जिला संसाधन अधिकारी मौजूद थे. 'लैंड स्लाइड मॉनिटरिंग एंड अर्ली वार्निंग सिस्टम डिवाइस' का विकास स्कूल ऑफ कंप्यूटिंग एंड इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. वरुण दत्त और स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग, आईआईटी मंडी के सहायक प्रोफेसर डॉ. केवी उदय ने किया है.

ये भी पढ़ें- हिमाचल कैबिनेट की बैठक में ठेकेदारों को राहत देने का ऐलान, सरकार के फैसले का कुल्लू में विरोध

आईआईटी मंडी के निदेशक प्रो. लक्ष्मीधर बेहरा ने एमओयू के बारे में बुधवार को बताया कि आईआईटी मंडी को खुशी है कि राज्य सरकार से साझेदारी के तहत इस प्रोजेक्ट से महत्वपूर्ण स्थानों पर भूस्खलन निगरानी प्रणाली लगाकर लोगों को इस आपदा के नुकसान से सुरक्षित रखेगा. हाल ही में खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंडी दौरे पर इस प्रणाली की समीक्षा की.

प्रो. लक्ष्मीधर बेहरा ने यह भी बताया कि भूस्खलन पर हमारे पास डेटा विश्लेषण की मजबूत व्यवस्था है और यह किसी स्थिति में विफल नहीं होना चाहिए. वहीं, मंडी के उपायुक्त अरिंदम चौधरी ने भूस्खलन निगरानी एवं चेतावनी प्रणाली की सराहना की और उम्मीद जताई कि इस चेतावनी प्रणाली के माध्यम से प्रशासन लोगों को अधिक कुशलता से सुरक्षित निकालने में मदद करेगा.

बता दें कि वर्तमान में भूस्खलन की चेतावनी ईडब्ल्यूएस प्रणाली द्वारा 10 मिनट पूर्व दी जाती है. मिट्टी की गतिविधि में परिवर्तन के आधार पर यह चेतावनी दी जाती है. आईआईटी मंडी द्वारा विकसित भूस्खलन निगरानी प्रणाली मिट्टी की गतिविधि में परिवर्तन के आधार पर हूटर और ब्लिंकर (सड़के किनारे लगे) से चेतावनी देती है और इससे टेक्स्ट मैसेज भी भेजे जाते हैं. यह सिस्टम 5 मिमी से अधिक बारिश का पूर्वानुमान होने पर वर्षा की चेतावनी भी जारी करता है.

ये भी पढ़ें- भानुपल्ली-बिलासपुर-बैरी रेलवे लाइन: परियोजना की 10वीं सुरंग का शुभारंभ, जानिए कब तक पूरा होगा प्रोजेक्ट का काम

मंडी: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मंडी ने जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) मंडी से 8 फरवरी 2022 को एक सहमति करार (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए. एमओयू का उद्देश्य कुछ खास जगहों पर भूस्खलन निगरानी एवं पूर्व चेतावनी प्रणाली लगाना है. इससे पूर्व आईआईटी मंडी और डीडीएमए कांगड़ा के बीच सहमति करार पर हस्ताक्षर किए जा चुके हैं जिसके तहत 10 भूस्खलन निगरानी एवं पूर्व चेतावनी प्रणाली (ईडब्ल्यूएस) विकसित और स्थापित की जाएगी. साइटों के दौरे के बाद उनके विश्लेषण के आधार पर यह प्रणाली लगाई जाएगी. इसके लिए इनएसएआर-आधारित विश्लेषण किया जाएगा और जिला प्रशासन इसकी पुष्टि करेगा.

हाल में आईआईटी मंडी के निदेशक बने प्रोफेसर लक्ष्मीधर बेहरा ने सहमति करार पर डीडीएमए मंडी अरिंदम चौधरी उपायुक्त मंडी के साथ हस्ताक्षर किए. इस अवसर पर राजीव कुमार, अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट, मंडी, जतिन लाल, अतिरिक्त उपायुक्त, मंडी एवं राजीव कुमार, जिला संसाधन अधिकारी मौजूद थे. 'लैंड स्लाइड मॉनिटरिंग एंड अर्ली वार्निंग सिस्टम डिवाइस' का विकास स्कूल ऑफ कंप्यूटिंग एंड इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. वरुण दत्त और स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग, आईआईटी मंडी के सहायक प्रोफेसर डॉ. केवी उदय ने किया है.

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आईआईटी मंडी के निदेशक प्रो. लक्ष्मीधर बेहरा ने एमओयू के बारे में बुधवार को बताया कि आईआईटी मंडी को खुशी है कि राज्य सरकार से साझेदारी के तहत इस प्रोजेक्ट से महत्वपूर्ण स्थानों पर भूस्खलन निगरानी प्रणाली लगाकर लोगों को इस आपदा के नुकसान से सुरक्षित रखेगा. हाल ही में खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंडी दौरे पर इस प्रणाली की समीक्षा की.

प्रो. लक्ष्मीधर बेहरा ने यह भी बताया कि भूस्खलन पर हमारे पास डेटा विश्लेषण की मजबूत व्यवस्था है और यह किसी स्थिति में विफल नहीं होना चाहिए. वहीं, मंडी के उपायुक्त अरिंदम चौधरी ने भूस्खलन निगरानी एवं चेतावनी प्रणाली की सराहना की और उम्मीद जताई कि इस चेतावनी प्रणाली के माध्यम से प्रशासन लोगों को अधिक कुशलता से सुरक्षित निकालने में मदद करेगा.

बता दें कि वर्तमान में भूस्खलन की चेतावनी ईडब्ल्यूएस प्रणाली द्वारा 10 मिनट पूर्व दी जाती है. मिट्टी की गतिविधि में परिवर्तन के आधार पर यह चेतावनी दी जाती है. आईआईटी मंडी द्वारा विकसित भूस्खलन निगरानी प्रणाली मिट्टी की गतिविधि में परिवर्तन के आधार पर हूटर और ब्लिंकर (सड़के किनारे लगे) से चेतावनी देती है और इससे टेक्स्ट मैसेज भी भेजे जाते हैं. यह सिस्टम 5 मिमी से अधिक बारिश का पूर्वानुमान होने पर वर्षा की चेतावनी भी जारी करता है.

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