ETV Bharat / city

IIT मंडी ने विश्व के TOP 2 फीसदी वैज्ञानिकों की लिस्ट पर उठाये सवाल, कहा- सर्वे में खामी - Mandi's latest news

अमेरिका की स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी ने टॉप 2 प्रतिशत वैज्ञानिकों की सूची में IIT मंडी के चार फैकल्टी को शामिल किया था. IIT मंडी के ही पूर्व कर्मचारी एवं सामाजिक कार्यकर्ता सुजीत स्वामी ने कहा कि IIT मंडी की फैकल्टी का 'साइटेशन स्कोर और पब्लिश्ड पेपर' की संख्या बढ़ने के बजाय कम हो गई है. इस पूरे मामले को लेकर शिक्षा मंत्रालय के पास दिसंबर 2020 माह में ही शिकायत दर्ज करवाई, जिसे मंत्रालय ने IIT मंडी के रजिस्ट्रार के पास निस्तारण के लिए भेज दिया.

iit-mandi-raises-questions-on-the-list-of-top-2-percent-scientists-of-the-world
फोटो.
author img

By

Published : Jul 20, 2021, 3:25 PM IST

मंडी: गत वर्ष दिसंबर माह में विश्व की प्रतिष्ठित स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी ने पूरे विश्व के अपनी फील्ड में दक्षता हासिल करने वाले 10800 टॉप वैज्ञानिकों की सूची जारी की थी, जिसमें टॉप 2 फीसदी में IIT मंडी के तीन अन्य फैकल्टी के साथ तत्कालीन डीन भरत सिंह राजपुरोहित का भी नाम रहा. उन्हें विषय के अनुसार वर्ल्ड वाइड रैंकिंग में 3643 स्थान दिया गया. यूनिवर्सिटी द्वारा दी गयी सूची में इनका साइटेशन स्कोर 6647 और इनके द्वारा 134 पेपर पब्लिश्ड होना बताया गया था.

इसके अलावा यह दर्शाया गया कि पहला पेपर साल 1972 में पब्लिश्ड हुआ था. जब यह सूची जारी की गयी तो इसमें चौंकाने वाला खुलासा हुआ. जिन पेपर एवं साइटेशन स्कोर के जरिये इनको वर्ल्ड वाइड रैंकिंग में स्थान दिया गया और टॉप 2 प्रतिशत वैज्ञानिकों की सूचि में रखा गया उसमे बहुत बड़ी खामी देखने को मिली.

डॉ. भरत का जन्म IIT मंडी के रिकॉर्ड के अनुसार 1981 में हुआ था तो इनका पहला पेपर 1972 में कैसे पब्लिश्ड हो सकता था? जब यह मामला सामने आया तो भारत के प्रतिष्ठित संस्थानों में IIT मंडी की किरकिरी हो गयी. IIT मंडी के ही पूर्व कर्मचारी एवं सामाजिक कार्यकर्ता सुजीत स्वामी ने इस पूरे मामले को लेकर शिक्षा मंत्रालय के पास दिसंबर 2020 माह में ही शिकायत दर्ज करवाई, जिसे मंत्रालय ने IIT मंडी के रजिस्ट्रार के पास निस्तारण के लिए भेज दिया.

सात महीने बाद जुलाई 2021 में रजिस्ट्रार केके बाजरे, IIT मंडी ने उक्त शिकायत का निस्तारण स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी को ही कठघरे में खड़ा किया, बाजरे ने निस्तारण में लिखा कि ''डॉ. भरत सिंह राजपुरोहित की रैंकिंग के लिए जो डाटा स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के द्वारा लिए गया, उसमे त्रुटि रही. इंस्टीट्यूट या फैकल्टी ने यह डाटा नहीं दिया, इसलिए उस त्रुटि के लिए डॉ. भरत और संस्थान जिम्मेदार नहीं है. आगे रजिस्ट्रार लिखते है "डॉ भरत के द्वारा किये गए पब्लिकेशन पब्लिक पोर्टल पर उपलब्ध है.''

सुजीत स्वामी का कहना है कि रजिस्ट्रार का विश्व की प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी के सर्वे पर सवाल उठाना और खुद के फैकल्टी की गलती को यूनिवर्सिटी पर मढ़ देना किसी भी लिहाज से सही नहीं है. स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी ने जो लिस्ट जारी की, वो फैकल्टी की गूगल स्कॉलर पर मौजूदा जानकारी के हिसाब से की. अपने गूगल स्कॉलर में जानकारी सही और अपडेटेड हो इसकी पूर्ण जिम्मेदारी खुद फैकल्टी की होती है.

जिस फैकल्टी की गूगल स्कॉलर प्रोफाइल मजबूत होती है. उसकी प्रतिष्ठा अधिक होती है. गूगल स्कॉलर एक तरह से फैकल्टी का बहीखाता होता है. कई बार अपनी प्रोफाइल को मजबूत दिखाने के लिए फैकल्टी गलत जानकारी को भी जानबूझकर ठीक नहीं करते. स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी ने डाटा फैकल्टी की गूगल स्कॉलर से ही लिया था, जिसमे बहुत बढ़चढ़ कर डॉ. भरत का प्रोफाइल दर्शा रखा था. इसी वजह से उनको टॉप 2 फीसदी वैज्ञानिकों की सूचि में रखा गया. यदि उनकी गूगल प्रोफाइल सही थी तो मेरी शिकायत के बाद अब उनकी प्रोफाइल में इतना बड़ा फेरबदल कैसे हो गया.

ये भी पढ़ें: करसोग बस स्टैंड पर खोला गया कोरोना टेस्ट सेंटर, SDM ने लोगों से की ये अपील

बता दें कि, डॉ. भरत ने गूगल स्कॉलर में अब सुधार कर लिया है. उनके अब के गूगल स्कॉलर के हिसाब से उनका पहला पेपर वर्ष 2006 में पब्लिश्ड हुआ. साथ ही, अब तक उनके 128 पेपर ही पब्लिश्ड हुए हैं. हैरान कर देने वाली बात है कि पहले उनका साइटेशन स्कोर उनके ही गूगल स्कॉलर पर 6647 था जो कि अब बढ़ने की बजाये घटकर लगभग 11% (745) ही रह गया. कहा जाता है कि साइटेशन स्कोर जिसका जितना ज्यादा होता है उसकी वैल्यू उतनी ज्यादा होती है.

सुजीत स्वामी का कहना है की IIT मंडी या डॉ. भरत को स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी को आधिकारिक तौर पर खुद की गलत प्रोफाइल की वजह से टॉप 2% वैज्ञानिकों की सूचि में शामिल करने पर आपत्ति दर्ज करवानी चाहिए. साथ ही, उस सूचि के रिकॉर्ड से खुद का नाम हटवाना चाहिए. इसके अलावा डॉ. भरत ने अब तक इस बड़ी हुई प्रोफाइल के जरिये जो भी फायदे लिए हैं उनसब का फिर से मूल्यांकन होना चाहिए. डॉ. भरत पहले IIT मंडी में डीन फैकल्टी के पद पर कार्यरत थे लेकिन अब वो डीन इंफ्रा के पद पर आसीन हैं.

ये भी पढ़ें: विश्व गुरु बन दुनिया भर का मार्गदर्शन करेगा भारत: संजय टंडन

मंडी: गत वर्ष दिसंबर माह में विश्व की प्रतिष्ठित स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी ने पूरे विश्व के अपनी फील्ड में दक्षता हासिल करने वाले 10800 टॉप वैज्ञानिकों की सूची जारी की थी, जिसमें टॉप 2 फीसदी में IIT मंडी के तीन अन्य फैकल्टी के साथ तत्कालीन डीन भरत सिंह राजपुरोहित का भी नाम रहा. उन्हें विषय के अनुसार वर्ल्ड वाइड रैंकिंग में 3643 स्थान दिया गया. यूनिवर्सिटी द्वारा दी गयी सूची में इनका साइटेशन स्कोर 6647 और इनके द्वारा 134 पेपर पब्लिश्ड होना बताया गया था.

इसके अलावा यह दर्शाया गया कि पहला पेपर साल 1972 में पब्लिश्ड हुआ था. जब यह सूची जारी की गयी तो इसमें चौंकाने वाला खुलासा हुआ. जिन पेपर एवं साइटेशन स्कोर के जरिये इनको वर्ल्ड वाइड रैंकिंग में स्थान दिया गया और टॉप 2 प्रतिशत वैज्ञानिकों की सूचि में रखा गया उसमे बहुत बड़ी खामी देखने को मिली.

डॉ. भरत का जन्म IIT मंडी के रिकॉर्ड के अनुसार 1981 में हुआ था तो इनका पहला पेपर 1972 में कैसे पब्लिश्ड हो सकता था? जब यह मामला सामने आया तो भारत के प्रतिष्ठित संस्थानों में IIT मंडी की किरकिरी हो गयी. IIT मंडी के ही पूर्व कर्मचारी एवं सामाजिक कार्यकर्ता सुजीत स्वामी ने इस पूरे मामले को लेकर शिक्षा मंत्रालय के पास दिसंबर 2020 माह में ही शिकायत दर्ज करवाई, जिसे मंत्रालय ने IIT मंडी के रजिस्ट्रार के पास निस्तारण के लिए भेज दिया.

सात महीने बाद जुलाई 2021 में रजिस्ट्रार केके बाजरे, IIT मंडी ने उक्त शिकायत का निस्तारण स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी को ही कठघरे में खड़ा किया, बाजरे ने निस्तारण में लिखा कि ''डॉ. भरत सिंह राजपुरोहित की रैंकिंग के लिए जो डाटा स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के द्वारा लिए गया, उसमे त्रुटि रही. इंस्टीट्यूट या फैकल्टी ने यह डाटा नहीं दिया, इसलिए उस त्रुटि के लिए डॉ. भरत और संस्थान जिम्मेदार नहीं है. आगे रजिस्ट्रार लिखते है "डॉ भरत के द्वारा किये गए पब्लिकेशन पब्लिक पोर्टल पर उपलब्ध है.''

सुजीत स्वामी का कहना है कि रजिस्ट्रार का विश्व की प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी के सर्वे पर सवाल उठाना और खुद के फैकल्टी की गलती को यूनिवर्सिटी पर मढ़ देना किसी भी लिहाज से सही नहीं है. स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी ने जो लिस्ट जारी की, वो फैकल्टी की गूगल स्कॉलर पर मौजूदा जानकारी के हिसाब से की. अपने गूगल स्कॉलर में जानकारी सही और अपडेटेड हो इसकी पूर्ण जिम्मेदारी खुद फैकल्टी की होती है.

जिस फैकल्टी की गूगल स्कॉलर प्रोफाइल मजबूत होती है. उसकी प्रतिष्ठा अधिक होती है. गूगल स्कॉलर एक तरह से फैकल्टी का बहीखाता होता है. कई बार अपनी प्रोफाइल को मजबूत दिखाने के लिए फैकल्टी गलत जानकारी को भी जानबूझकर ठीक नहीं करते. स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी ने डाटा फैकल्टी की गूगल स्कॉलर से ही लिया था, जिसमे बहुत बढ़चढ़ कर डॉ. भरत का प्रोफाइल दर्शा रखा था. इसी वजह से उनको टॉप 2 फीसदी वैज्ञानिकों की सूचि में रखा गया. यदि उनकी गूगल प्रोफाइल सही थी तो मेरी शिकायत के बाद अब उनकी प्रोफाइल में इतना बड़ा फेरबदल कैसे हो गया.

ये भी पढ़ें: करसोग बस स्टैंड पर खोला गया कोरोना टेस्ट सेंटर, SDM ने लोगों से की ये अपील

बता दें कि, डॉ. भरत ने गूगल स्कॉलर में अब सुधार कर लिया है. उनके अब के गूगल स्कॉलर के हिसाब से उनका पहला पेपर वर्ष 2006 में पब्लिश्ड हुआ. साथ ही, अब तक उनके 128 पेपर ही पब्लिश्ड हुए हैं. हैरान कर देने वाली बात है कि पहले उनका साइटेशन स्कोर उनके ही गूगल स्कॉलर पर 6647 था जो कि अब बढ़ने की बजाये घटकर लगभग 11% (745) ही रह गया. कहा जाता है कि साइटेशन स्कोर जिसका जितना ज्यादा होता है उसकी वैल्यू उतनी ज्यादा होती है.

सुजीत स्वामी का कहना है की IIT मंडी या डॉ. भरत को स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी को आधिकारिक तौर पर खुद की गलत प्रोफाइल की वजह से टॉप 2% वैज्ञानिकों की सूचि में शामिल करने पर आपत्ति दर्ज करवानी चाहिए. साथ ही, उस सूचि के रिकॉर्ड से खुद का नाम हटवाना चाहिए. इसके अलावा डॉ. भरत ने अब तक इस बड़ी हुई प्रोफाइल के जरिये जो भी फायदे लिए हैं उनसब का फिर से मूल्यांकन होना चाहिए. डॉ. भरत पहले IIT मंडी में डीन फैकल्टी के पद पर कार्यरत थे लेकिन अब वो डीन इंफ्रा के पद पर आसीन हैं.

ये भी पढ़ें: विश्व गुरु बन दुनिया भर का मार्गदर्शन करेगा भारत: संजय टंडन

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.