मंडीः विश्व मानवाधिकार दिवस के अवसर पर हिमाचल ज्ञान-विज्ञान समिति की मंडी जिला इकाई ने महिलाओं के खिलाफ बढ़े रही हिंसा के विरोध में मार्च किया. मार्च में महिलाओं के साथ बढ़ रहे अत्याचार, दुष्कर्म और शोषण की घटनाओं पर रोक लगाए जाने की मांग की.
मार्च के समापन पर महिलाओं की ओर से जिला पुलिस अधीक्षक के माध्यम से सरकार को ज्ञापन भी भेजा गया. महिलाओं ने सरकार से मांग करते हुए कहा कि दुष्कर्म के आरोपियों को सख्त सजा के प्रावधान होने चाहिए और साथ ही महिला हिंसा से जुड़े मामलों को फास्ट ट्रेक कोर्ट में सुनवाई कर तुंरत निपटारा किया जाना चाहिए.
समिति के जिला अध्यक्ष ललित शर्मा ने देश में महिलाओं के प्रति बढ़ रहे अपराध पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इसी तरह का वातावरण देश में रहा तो आने वाले समय में कोई भी बेटी सुरक्षित नहीं है. उन्होंने कहा कि इस माहौल को बदलने के जरूरत है. इसके लिये सरकार को भी कड़े कदम उठाने की जरूरत है.
मंडी साक्षरता समिति की सचिव वीना वैद्य ने देश में महिलाओं की स्थिति पर प्रकाश डालते हुए कहा कि देश में आधी आबादी महिलाओं की है, लेकिन दिन-प्रतिदिन महिलाओं पर लगातार बढ़ती हिंसा और उन पर हो रहे बलात्कारों को देखकर लगता है कि मानों महिलाओं को जीने का कोई अधिकार ही नहीं है.
जिला सचिव सुनीता बिष्ट ने निर्भया कांड के दौरान पूरे देश की जनता सड़कों पर उसके विरोध में उतर आई थी. तब लगा था कि सरकार महिलाओं पर हो रहे अत्याचारों, बलात्कारों के लिए कड़े कानून बनेगें व दोषियों को सख्त से सख्त सजा मिल पायेगी.
उसके बाद भी देशभर में यह सिलसिला बरकरार रहा. प्रदेश में भी इस प्रकार की घटनाओं से अछूता नहीं हैं. गुड़िया प्रकरण हिमाचल प्रदेश का सबसे चर्चित व खौफनाक घटना का हिस्सा रहा है. उन्होंने कहा कि महिलाओं को भी समाज में बराबरी से जीने का हक दिया जाना चाहिए.
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