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सुंदरनगर में 'सोने की खेती', विपरीत परिस्थितियों में किसान ने उगाया केसर

मंडी के किसान रंजीत सिंह ने विपरीत परिस्थितियों में केसर की खेती करके सबको चौंका दिया है. किसान रंजीत सिंह को पहले चरण में 10 ग्राम केसर की पैदावार हुई है.

Farmers doing saffron cultivation in Sundernagar
सुंदरनगर में केसर की खेती
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Published : Apr 28, 2020, 5:01 PM IST

सुंदरनगर: इंसान हो या वैज्ञानिक जब करने पर आता है तो कुछ काम भी कर सकता है. इसे सच साबित कर दिखाया है हिमाचल प्रदेश के मंडी जिला की बल्ह घाटी के एक किसान ने. किसान रंजीत सिंह ने विपरीत परिस्थितियों में केसर की खेती की जिससे प्रथम चरण में 10 ग्राम केसर की पैदावार हुई है. जबकि केसर के इन पौधों से लगभग 50 ग्राम तक केसर का उत्पादन होने की उम्मीद है.

बल्ह घाटी में रंजीत सिंह ने सब्जियों के बाद अब केसर की खेती कर डाली है. रंजीत सिंह सैनी ढाबण में अपने बेटे सुनील सैनी के साथ कृषि करते हैं. वर्तमान में रंजीत सिंह सैनी ने अपने खेतों में ट्रायल बेस पर बोए गए पांच केसर के पौधों से मात्र 6 माह में 10 ग्राम केसर का उत्पादन भी हो गया है. अभी इन पौधों से और अधिक मात्रा में केसर निकलना बाकी है.

वीडियो रिपोर्ट

इस संदर्भ में रंजीत सिंह सैनी ने कहा कि वह पिछले लगभग 25 वर्षों से बल्ह घाटी के ढाबण गांव में टमाटर सहित अन्य सब्जियों की खेती कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि बीते साल अक्टूबर माह में कंपनी द्वारा उन्हें ट्रायल बेस पर केसर के पौधों का बीज दिया गया था. उन्होंने कहा कि उन पांच बीजों से अपने खेत में केसर के पांच पौधे उगाए. रंजीत सैनी ने कहा कि केसर के पौधों का रखरखाव के लिए किसी भी प्रकार की कोई केमिकल स्प्रे और खाद को प्रयोग नहीं लाया गया.

रंजीत ने कहा कि इन केसर के पौधों को पूर्ण रूप से ओरगेनिक तरीके से गोबर की खाद के माध्यम से उगाया गया है. उन्होंने कहा कि इन केसर के पौधों की देखरेख वह खुद करते हैं. रंजीत सैनी ने कहा कि अभी तक इन केसर के पौधों से 10 ग्राम केसर का उत्पादन हो चुका है. उन्होंने कहा कि अभी इस उत्पादित केसर का टेस्ट कराने के लिए कृषि विश्वविद्यालय में भेजने की तैयारी कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि इन केसर के पौधों से लगभग 50 ग्राम तक केसर का उत्पादन होने की उम्मीद है.

ये भी पढ़ें: SPECIAL: लॉकडाउन में भी हिमाचल के अन्नदाताओं ने भर दिए अनाज के भंडार

सुंदरनगर: इंसान हो या वैज्ञानिक जब करने पर आता है तो कुछ काम भी कर सकता है. इसे सच साबित कर दिखाया है हिमाचल प्रदेश के मंडी जिला की बल्ह घाटी के एक किसान ने. किसान रंजीत सिंह ने विपरीत परिस्थितियों में केसर की खेती की जिससे प्रथम चरण में 10 ग्राम केसर की पैदावार हुई है. जबकि केसर के इन पौधों से लगभग 50 ग्राम तक केसर का उत्पादन होने की उम्मीद है.

बल्ह घाटी में रंजीत सिंह ने सब्जियों के बाद अब केसर की खेती कर डाली है. रंजीत सिंह सैनी ढाबण में अपने बेटे सुनील सैनी के साथ कृषि करते हैं. वर्तमान में रंजीत सिंह सैनी ने अपने खेतों में ट्रायल बेस पर बोए गए पांच केसर के पौधों से मात्र 6 माह में 10 ग्राम केसर का उत्पादन भी हो गया है. अभी इन पौधों से और अधिक मात्रा में केसर निकलना बाकी है.

वीडियो रिपोर्ट

इस संदर्भ में रंजीत सिंह सैनी ने कहा कि वह पिछले लगभग 25 वर्षों से बल्ह घाटी के ढाबण गांव में टमाटर सहित अन्य सब्जियों की खेती कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि बीते साल अक्टूबर माह में कंपनी द्वारा उन्हें ट्रायल बेस पर केसर के पौधों का बीज दिया गया था. उन्होंने कहा कि उन पांच बीजों से अपने खेत में केसर के पांच पौधे उगाए. रंजीत सैनी ने कहा कि केसर के पौधों का रखरखाव के लिए किसी भी प्रकार की कोई केमिकल स्प्रे और खाद को प्रयोग नहीं लाया गया.

रंजीत ने कहा कि इन केसर के पौधों को पूर्ण रूप से ओरगेनिक तरीके से गोबर की खाद के माध्यम से उगाया गया है. उन्होंने कहा कि इन केसर के पौधों की देखरेख वह खुद करते हैं. रंजीत सैनी ने कहा कि अभी तक इन केसर के पौधों से 10 ग्राम केसर का उत्पादन हो चुका है. उन्होंने कहा कि अभी इस उत्पादित केसर का टेस्ट कराने के लिए कृषि विश्वविद्यालय में भेजने की तैयारी कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि इन केसर के पौधों से लगभग 50 ग्राम तक केसर का उत्पादन होने की उम्मीद है.

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