मंडी: हिमाचल प्रदेश के जिला मंडी(Earthquake in Mandi) में एक बार फिर भूकंप (Earthquake in himachal) के झटके महसूस किए गए हैं. शुक्रवार देर रात भूकंप के झटके महसूस हुए हैं. भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 2.9 मापी गई है. हालांकि भूकंप की तीव्रता कम होने की वजह से किसी भी तरह का नुकसान नहीं हुआ है. इसकी पुष्टि नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी (National center for seismology) ने की है. इससे पहले 28 नवंबर को भी मंडी में भूकंप के झटके (earthquake in mandi) महसूस किए गए थे.
प्रदेश में पिछले कई सालों से भूकंप के झटके (Earthquake tremors) महसूस किए जा रहे हैं. भूविज्ञानियों (Geologists) के मुताबिक हिमाचल प्रदेश भूकंप (earthquake in himachal pradesh) के लिहाज से अति संवेदनशील जोन (himachal sensitive zone for eartquake) 4 व जोन 5 में सम्मिलित है.
भूकंप (Earthquake) की दृष्टि से संवेदनशील पांचवें जोन में पड़ने वाले हिमाचल में इस साल 53 छोटे बड़े भूकंप आ चुके हैं. यदि अक्टूबर और नवंबर महीने की बात करें तो छह बार भूकंप आ चुका है. पहाड़ी राज्य होने के कारण बड़ा भूकंप हिमाचल के लिए विनाशकारी सिद्ध होगा. लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि जागरूकता और सतर्कता से भूकंप के दौरान नुकसान (damage during earthquake) को न्यूनतम किया जा सकता है.
हिमाचल के पास भूकंप की बेहद दुखदाई यादें हैं. 4 अप्रैल 1905 को कांगड़ा में 7.8 तीव्रता का भूकंप आया जिसमें 20 हजार से अधिक लोगों की जान गई. वर्ष 1906 में 28 फरवरी को कुल्लू में 6.4 तीव्रता का भूकंप आया था. हिमाचल की 40 से अधिक पंचायतों को आपदा प्रबंधन का प्रशिक्षण (disaster management training) और भूकंप के दौरान काम आने वाले सामान प्रदान करने वाली संस्था से जुड़ी आपदा प्रबंधन विशेषज्ञ मीनाक्षी रघुवंशी का कहना है कि भूकंप से डरने नहीं बल्कि सतर्क रहने की जरूरत है. हिमाचल प्रदेश चौथे और पांचवें सिस्मिक जोन (seismic zone) में आता है. यहां हर समय भूकंप का खतरा बना रहता है. ऐसे में लोगों को सतर्क रहने की जरूरत है.
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