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मंडी को सुरक्षा कवच दे गए देव आदि ब्रह्मा, शिवरात्रि महोत्सव के अंतिम दिन पूरे शहर की परिक्रमा

शिवरात्रि महोत्सव के समापन से पहले देव आदि ब्रह्मा देव पूरे शहर मंडी की परिक्रमा की और शहर को सुरक्षा कवच प्रदान किया. ये प्रथा सालों पहले राजाओं के समय से चले आ रही है. मंडी शहर पर बुरी आत्माओं का प्रभाव बढ़ने लगा और लोगों को कई प्रकार की बीमारियां घेरने लगी.

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मंडी को सुरक्षा कवच दे गए देव आदि ब्रह्मा, शिवरात्रि महोत्सव के अंतिम दिन पूरे शहर की परिक्रमा
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Published : Feb 28, 2020, 11:09 PM IST

मंडीः अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव में शामिल होने के लिए आने वाले देवी-देवताओं का अपना-अपना इतिहास और मान्यताएं हैं. इन्हीं में से एक देवता ऐसे भी हैं जो हर साल शिवरात्रि महोत्सव के समापन पर मंडी शहर को सुरक्षा कवच देकर जाते हैं.

देव आदि ब्रह्मा देव पूरे शहर को सुरक्षा कवच देकर जाते हैं. आदि ब्रह्मा का मूल स्थान मंडी जिला के इलाका उत्तरशाल के टिहरी गांव में है. सर्व देवता समिति एवं कारदार संघ के प्रधान शिवपाल शर्मा बताते हैं कि सालों पहले जब राजाओं के राज थे तो उस वक्त मंडी शहर पर बुरी आत्माओं का प्रभाव बढ़ने लगा और लोगों को कई प्रकार की बीमारियां घेरने लगी.

वीडियो.

ऐसे में राजा ने अपनी रियासत के सभी देवी-देवताओं से इसका उपाय करने की गुहार लगाई. अधिकतर ने इनकार कर दिया लेकिन देव आदि ब्रह्मा ने इस कार्य को करने की हामी भरी. देव आदि ब्रह्मा ने उस वक्त पूरे मंडी शहर की परिक्रमा की और शहर को बूरी शक्तियों तथा बीमारियों से मुक्ति दिलाई.

तब से लेकर आज तक यह परंपरा इसी प्रकार से निभाई जाती है. अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव के समापन से पहले देव आदि ब्रह्मा के रथ को पूरे शहर में घुमाया जाता है. जब देवता का रथ परिक्रमा के लिए निकलता है तो अभिमंत्रित किया हुआ आटा हवा में फैंका जाता है. मान्यता है कि इससे बुरी शक्तियों का नाश होता है. वहीं, देवता के गुर (पुजारी) ने तलवारों के साथ भी बूरी शक्तियों को भगाने का प्रयास किया.

ये भी पढ़ें- दिल्ली हिंसा पर BJP राष्ट्रीय अध्यक्ष नड्डा ने साधी चुप्पी, प्रतिक्रिया देने से किया इनकार

मंडीः अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव में शामिल होने के लिए आने वाले देवी-देवताओं का अपना-अपना इतिहास और मान्यताएं हैं. इन्हीं में से एक देवता ऐसे भी हैं जो हर साल शिवरात्रि महोत्सव के समापन पर मंडी शहर को सुरक्षा कवच देकर जाते हैं.

देव आदि ब्रह्मा देव पूरे शहर को सुरक्षा कवच देकर जाते हैं. आदि ब्रह्मा का मूल स्थान मंडी जिला के इलाका उत्तरशाल के टिहरी गांव में है. सर्व देवता समिति एवं कारदार संघ के प्रधान शिवपाल शर्मा बताते हैं कि सालों पहले जब राजाओं के राज थे तो उस वक्त मंडी शहर पर बुरी आत्माओं का प्रभाव बढ़ने लगा और लोगों को कई प्रकार की बीमारियां घेरने लगी.

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ऐसे में राजा ने अपनी रियासत के सभी देवी-देवताओं से इसका उपाय करने की गुहार लगाई. अधिकतर ने इनकार कर दिया लेकिन देव आदि ब्रह्मा ने इस कार्य को करने की हामी भरी. देव आदि ब्रह्मा ने उस वक्त पूरे मंडी शहर की परिक्रमा की और शहर को बूरी शक्तियों तथा बीमारियों से मुक्ति दिलाई.

तब से लेकर आज तक यह परंपरा इसी प्रकार से निभाई जाती है. अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव के समापन से पहले देव आदि ब्रह्मा के रथ को पूरे शहर में घुमाया जाता है. जब देवता का रथ परिक्रमा के लिए निकलता है तो अभिमंत्रित किया हुआ आटा हवा में फैंका जाता है. मान्यता है कि इससे बुरी शक्तियों का नाश होता है. वहीं, देवता के गुर (पुजारी) ने तलवारों के साथ भी बूरी शक्तियों को भगाने का प्रयास किया.

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