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कोरोना इफेक्ट: मंडी के माहूंनाग मंदिर के चढ़ावे में 60 फीसदी तक की कमी - corona impact karsog

करसोग के मूल माहूंनाग मंदिर में देवता के दर्शनों के लिए आम दिनों में श्रद्धालुओं की लंबी कतारें लगती थी, लेकिन कोरोना काल के इस कठिन दौर में मंदिर सुनसान पड़ा है. कर्ण का अवतार माना जाना वाले इस मंदिर में नवरात्र में भी बहुत कम संख्या में भक्तजन दर्शन करने पहुंचे. मंदिर कमेटी को उम्मीद थी कि नवरात्र में प्रदेश के कोने-कोने से बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ जुटेगी.

Mul Mahunag Temple in karosg
Mul Mahunag Temple in karosg
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Published : Oct 25, 2020, 3:29 PM IST

करसोग/मंडीः कोरोना काल में न केवल मानव ही मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं, बल्कि मंदिरों पर भी महामारी का असर दिख रहा है. पिछले महीने सरकार ने एसओपी जारी कर भले ही दर्शनों के लिए मंदिरों के कपाट खोल दिए हों, लेकिन कोरोना का खौफ आस्था पर भी भारी पड़ गया है.

उपमंडल करसोग की बात करें तो यहां प्रसिद्ध मंदिरों में नवरात्र के पवित्र पर्व पर भक्तों की कम भीड़ रही. करसोग के प्रसिद्ध मूल माहूंनाग मंदिर में जहां देवता के दर्शनों के लिए आम दिनों में श्रद्धालुओं की लंबी कतारें लगती थी, लेकिन कोरोना काल के इस कठिन दौर में मंदिर सुनसान पड़ा है. कर्ण का अवतार माना जाना वाले इस मंदिर में नवरात्र में भी बहुत कम संख्या में भक्तजन दर्शन करने पहुंचे. मंदिर कमेटी को उम्मीद थी कि नवरात्र में प्रदेश के कोने-कोने से बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ जुटेगी.

वीडियो.

जिससे मंदिर में चढ़ावे में वृद्धि होगी. इसके लिए मंदिर में सरकार की एडवाइजरी के अनुसार पुख्ता प्रबंध भी किए गए थे, लेकिन कोरोना के खौफ के कारण बहुत कम संख्या में ही भक्तजन देवता के दर्शनों के लिए पहुंचे. ऐसे में कोरोना काल में मंदिर में चढ़ावे में 60 फीसदी तक घट गई है, जिससे मंदिर का रोज का खर्च चलाना भी मुश्किल हो रहा है. नवरात्र में मंदिर परिसर के बाहर प्रसाद और धूप की दुकान सजा कर बैठे दुकानदार भी भक्तों की राह देखते रहे.

इन दुकानदारों को भी कोरोना महामारी की वजह से काफी नुकसान उठाना पड़ा है. इस बार मई महीने में आयोजित होने वाला प्रसिद्ध मूल माहूंनाग का पांच दिवसीय मेला भी कोरोना की भेंट चढ़ गया था. इस मेले के आयोजित न होने से भी कारोबारियों को करीब एक करोड़ से अधिक का नुकसान उठाना पड़ा था.

उधर, मंदिर कमेटी ने नवरात्र और विजयदशमी पर देवता से कोरोना महामारी को खत्म करने की प्रार्थना की है, जिससे आने वाले दिनों में लोगों के कारोबार चलने के साथ मंदिर की भी आमदनी बढ़ सके, ताकि कोरोना के कारण हुए नुकसान की भरपाई हो सके.

मंदिर के पुजारी लीलाधर शर्मा ने बताया कि कोरोना काल में सरकार और प्रशासन के आदेशों के मुताबिक ही दर्शन करवाए जा रहे हैं. मंदिर में घण्टियां इत्यादि अभी बंद है. कोरोना की वजह से आमदनी 60 से 70 फीसदी कम हो गई है. उन्होंने कहा कि संपूर्ण मानव जाति कोरोना से मुक्त हो, इसके लिए नवरात्र और विजयदशमी के अवसर पर देवता से प्रार्थना की गई है.

ये भी पढ़ें- शिमला: महिला और दलित उत्पीड़न के खिलाफ सड़कों पर उतरी कांग्रेस

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करसोग/मंडीः कोरोना काल में न केवल मानव ही मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं, बल्कि मंदिरों पर भी महामारी का असर दिख रहा है. पिछले महीने सरकार ने एसओपी जारी कर भले ही दर्शनों के लिए मंदिरों के कपाट खोल दिए हों, लेकिन कोरोना का खौफ आस्था पर भी भारी पड़ गया है.

उपमंडल करसोग की बात करें तो यहां प्रसिद्ध मंदिरों में नवरात्र के पवित्र पर्व पर भक्तों की कम भीड़ रही. करसोग के प्रसिद्ध मूल माहूंनाग मंदिर में जहां देवता के दर्शनों के लिए आम दिनों में श्रद्धालुओं की लंबी कतारें लगती थी, लेकिन कोरोना काल के इस कठिन दौर में मंदिर सुनसान पड़ा है. कर्ण का अवतार माना जाना वाले इस मंदिर में नवरात्र में भी बहुत कम संख्या में भक्तजन दर्शन करने पहुंचे. मंदिर कमेटी को उम्मीद थी कि नवरात्र में प्रदेश के कोने-कोने से बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ जुटेगी.

वीडियो.

जिससे मंदिर में चढ़ावे में वृद्धि होगी. इसके लिए मंदिर में सरकार की एडवाइजरी के अनुसार पुख्ता प्रबंध भी किए गए थे, लेकिन कोरोना के खौफ के कारण बहुत कम संख्या में ही भक्तजन देवता के दर्शनों के लिए पहुंचे. ऐसे में कोरोना काल में मंदिर में चढ़ावे में 60 फीसदी तक घट गई है, जिससे मंदिर का रोज का खर्च चलाना भी मुश्किल हो रहा है. नवरात्र में मंदिर परिसर के बाहर प्रसाद और धूप की दुकान सजा कर बैठे दुकानदार भी भक्तों की राह देखते रहे.

इन दुकानदारों को भी कोरोना महामारी की वजह से काफी नुकसान उठाना पड़ा है. इस बार मई महीने में आयोजित होने वाला प्रसिद्ध मूल माहूंनाग का पांच दिवसीय मेला भी कोरोना की भेंट चढ़ गया था. इस मेले के आयोजित न होने से भी कारोबारियों को करीब एक करोड़ से अधिक का नुकसान उठाना पड़ा था.

उधर, मंदिर कमेटी ने नवरात्र और विजयदशमी पर देवता से कोरोना महामारी को खत्म करने की प्रार्थना की है, जिससे आने वाले दिनों में लोगों के कारोबार चलने के साथ मंदिर की भी आमदनी बढ़ सके, ताकि कोरोना के कारण हुए नुकसान की भरपाई हो सके.

मंदिर के पुजारी लीलाधर शर्मा ने बताया कि कोरोना काल में सरकार और प्रशासन के आदेशों के मुताबिक ही दर्शन करवाए जा रहे हैं. मंदिर में घण्टियां इत्यादि अभी बंद है. कोरोना की वजह से आमदनी 60 से 70 फीसदी कम हो गई है. उन्होंने कहा कि संपूर्ण मानव जाति कोरोना से मुक्त हो, इसके लिए नवरात्र और विजयदशमी के अवसर पर देवता से प्रार्थना की गई है.

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