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कोरोना की मार! मई माह में कुल्लू में पर्यटन कारोबारियों को करीब 300 करोड़ रुपये का हुआ नुकसान

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Published : Jun 9, 2021, 9:48 AM IST

कोरोना के चलते पर्यटन कारोबार को काफी नुकसान पहुंचा है. मई माह में कोरोना संकट के चलते जिला कुल्लू में पर्यटन कारोबार को 300 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. होटल एसोसिएशन मनाली के अध्यक्ष अनूप राम ठाकुर ने कहा कि समर सीजन या पूरे साल में एक मात्र मई ऐसा माह है, जिसमें पर्यटकों की अधिक भीड़ रहती है. होटलों में 100 फीसदी ऑक्यूपेंसी रहती थी. सब कुछ ठप होने से पर्यटन कारोबार को एक माह में ही 300 करोड़ रुपये की चपत लगी है.

फोटो
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कुल्लू: कोरोना संकट के चलते जिला कुल्लू में इस बार भी पर्यटन कारोबार को खासा नुकसान उठाना पड़ा है. हालांकि पर्यटन पर सरकार के की ओर से रोक नहीं लगाई गई है, लेकिन आरटी-पीसीआर रिपोर्ट लाना आवश्यक रखा गया है. जिसके चलते बहुत कम पर्यटक कुल्लू-मनाली का रुख कर रहे हैं. इसके अलावा जिला कुल्लू के मणिकर्ण, बंजार घाटी में भी इन दिनों पर्यटन स्थल सूने पड़े हुए हैं.

पर्यटन कारोबार को 300 करोड़ रुपये का नुकसान

मई माह में कोरोना संकट के चलते जिला कुल्लू में पर्यटन कारोबार को 300 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. पर्यटकों के ना आने के चलते यहां दर्जनों होटलों में ताले लटके हुए हैं. इसके साथ ही यहां काम करने वाले कामगार भी इन दिनों बेरोजगार हो गए हैं. इस साल घाटी के पर्यटन कारोबारियों को पर्यटन गतिविधियों के चलने की पूरी उम्मीद थी, लेकिन सरकार ने मई माह से कोरोना कर्फ्यू में सैलानियों को पहले कोरोना की निगेटिव रिपोर्ट और बाद में ई-पास की सुविधा शुरू की, जिससे पूरा कारोबार एकाएक ठप हो गया.

पार्वती घाटी में सन्नाटा

कुल्लू-मनाली में आने वाले पर्यटकों की बात करें तो मई माह में रोहतांग, सोलंगनाला, गुलाबा, कोठी, मढ़ी, पार्वती घाटी के साथ तीर्थन वैली, सोझा व जलोड़ी दर्रा के पर्यटन स्थलों में रौनक रहती थी. मगर बिना सैलानियों से घाटी की वादियां सुनसान हैं. जिला कुल्लू में करीब 2500 होटल, रिसोर्ट व होमस्टे शामिल हैं. पांच हजार से अधिक टैक्सी ऑपरेटर, करीब 100 वोल्वो बसें और लगभग 700 रिवर राफ्टिंग व पैराग्लाइडिंग का संचालन होता है. सभी का धंधा मई माह से पूरी तरह से ठप हो गया है. विदेशी पर्यटकों से गुलजार रहने वाली पार्वती घाटी में भी सन्नाटा छाया है.

एक माह में ही 300 करोड़ रुपये की चपत

होटल एसोसिएशन मनाली के अध्यक्ष अनूप राम ठाकुर ने कहा कि समर सीजन या पूरे साल में एक मात्र मई ऐसा माह है, जिसमें पर्यटकों की अधिक भीड़ रहती है. होटलों में 100 फीसदी ऑक्यूपेंसी रहती थी. सब कुछ ठप होने से पर्यटन कारोबार को एक माह में ही 300 करोड़ रुपये की चपत लगी है. कुल्लू जिले के पर्यटन के साथ प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रुप से करीब 20 से 25 हजार लोगों की रोजी-रोटी जुड़ी हुई है.

अनूप राम ठाकुर ने कहा कि सरकार को अब ई-पास को खत्म कर देना चाहिए. पर्यटकों को कोरोना की निगेटिव रिपोर्ट के साथ आने की अनुमति दी जाए. उन्होंने सरकार से होटलों की बिजली की डिमांड चार्जिंग को पूरी तरह से माफ करने और होटलों का पंजीकरण पहले की तरह ही चलने देने की मांग की है.

ये भी पढ़ें: आंखों के लिए बेहद खतरनाक है ब्लैक फंगस! IGMC के वरिष्ठ चिकित्सक ने कही ये बात

कुल्लू: कोरोना संकट के चलते जिला कुल्लू में इस बार भी पर्यटन कारोबार को खासा नुकसान उठाना पड़ा है. हालांकि पर्यटन पर सरकार के की ओर से रोक नहीं लगाई गई है, लेकिन आरटी-पीसीआर रिपोर्ट लाना आवश्यक रखा गया है. जिसके चलते बहुत कम पर्यटक कुल्लू-मनाली का रुख कर रहे हैं. इसके अलावा जिला कुल्लू के मणिकर्ण, बंजार घाटी में भी इन दिनों पर्यटन स्थल सूने पड़े हुए हैं.

पर्यटन कारोबार को 300 करोड़ रुपये का नुकसान

मई माह में कोरोना संकट के चलते जिला कुल्लू में पर्यटन कारोबार को 300 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. पर्यटकों के ना आने के चलते यहां दर्जनों होटलों में ताले लटके हुए हैं. इसके साथ ही यहां काम करने वाले कामगार भी इन दिनों बेरोजगार हो गए हैं. इस साल घाटी के पर्यटन कारोबारियों को पर्यटन गतिविधियों के चलने की पूरी उम्मीद थी, लेकिन सरकार ने मई माह से कोरोना कर्फ्यू में सैलानियों को पहले कोरोना की निगेटिव रिपोर्ट और बाद में ई-पास की सुविधा शुरू की, जिससे पूरा कारोबार एकाएक ठप हो गया.

पार्वती घाटी में सन्नाटा

कुल्लू-मनाली में आने वाले पर्यटकों की बात करें तो मई माह में रोहतांग, सोलंगनाला, गुलाबा, कोठी, मढ़ी, पार्वती घाटी के साथ तीर्थन वैली, सोझा व जलोड़ी दर्रा के पर्यटन स्थलों में रौनक रहती थी. मगर बिना सैलानियों से घाटी की वादियां सुनसान हैं. जिला कुल्लू में करीब 2500 होटल, रिसोर्ट व होमस्टे शामिल हैं. पांच हजार से अधिक टैक्सी ऑपरेटर, करीब 100 वोल्वो बसें और लगभग 700 रिवर राफ्टिंग व पैराग्लाइडिंग का संचालन होता है. सभी का धंधा मई माह से पूरी तरह से ठप हो गया है. विदेशी पर्यटकों से गुलजार रहने वाली पार्वती घाटी में भी सन्नाटा छाया है.

एक माह में ही 300 करोड़ रुपये की चपत

होटल एसोसिएशन मनाली के अध्यक्ष अनूप राम ठाकुर ने कहा कि समर सीजन या पूरे साल में एक मात्र मई ऐसा माह है, जिसमें पर्यटकों की अधिक भीड़ रहती है. होटलों में 100 फीसदी ऑक्यूपेंसी रहती थी. सब कुछ ठप होने से पर्यटन कारोबार को एक माह में ही 300 करोड़ रुपये की चपत लगी है. कुल्लू जिले के पर्यटन के साथ प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रुप से करीब 20 से 25 हजार लोगों की रोजी-रोटी जुड़ी हुई है.

अनूप राम ठाकुर ने कहा कि सरकार को अब ई-पास को खत्म कर देना चाहिए. पर्यटकों को कोरोना की निगेटिव रिपोर्ट के साथ आने की अनुमति दी जाए. उन्होंने सरकार से होटलों की बिजली की डिमांड चार्जिंग को पूरी तरह से माफ करने और होटलों का पंजीकरण पहले की तरह ही चलने देने की मांग की है.

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