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हिमाचल का एक ऐसा गांव जहां अफसर पैदा होते हैं, 415 की जनसंख्या में 100 से ज्यादा अधिकारी - हिमाचल प्रदेश का एक ऐसा गांव

हिमाचल का ठोलंग गांव (Tholang village of Himachal) एक ऐसा गांव है जिसके हर घर में एक आईएएस या बड़ा अधिकारी पैदा होता है तो आप क्या कहेंगे. हिमाचल सर्विसेज में भी कई अधिकारी इसी गांव से हैं. कहा जा सकता है कि इस गांव में अधिकारियों की खेती होती है.

Tholang village of Himachal
फोटो.
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Published : Feb 3, 2022, 9:41 PM IST

Updated : Feb 4, 2022, 6:11 PM IST

कुल्लू/लाहौल स्पीति: हिमाचल प्रदेश के जिला लाहौल-स्पीति जिसमें एक छोटा सा गांव है ठोलंग. ये गांव न सिर्फ हिमाचल प्रदेश को बल्कि पूरे देश को हैरान किए हुए है. देश के किसी गांव में अगर एक भी युवक आईएएस ऑफिसर बनता है तो पूरे गांव के लिए कितनी फक्र की बात होती है. इस गांव ने देश और प्रदेश को कई अधिकारी दिए हैं जिसके कारण इसे 'ऑफिसर्स विलेज' भी कहते हैं.

क्यों कहते हैं ऑफिसर्स विलेज: हिमाचल का ठोलंग गांव (Tholang village of Himachal) एक ऐसा गांव है जिसके हर घर में एक आईएएस या बड़ा अधिकारी पैदा होता है तो आप क्या कहेंगे. 415 की जनसंख्या वाले इस छोटे से गांव ने अब तक 100 से ज्यादा अधिकारी देश को दिए हैं. जिनमें आईएएस, आईपीएस से लेकर आईआरएस, डॉक्टर और इंजीनियर तक शामिल हैं.

Tholang village of Himachal
अमरनाथ. (लाहौल स्पीति के पहले IAS और पूर्व मुख्य सचिव हिमाचल सरकार.

हिमाचल सर्विसेज में भी कई अधिकारी इसी गांव से हैं. ठोलंग गांव ने देश को 3 आईएएस अधिकारी एएन विद्यार्थी, एसएस कपूर और शेखर विद्यार्थी दिए, इनमें से अमरनाथ विद्यार्थी हिमाचल सरकार में चीफ सेक्रेटरी के पद पर तो एसएस कपूर जम्मू-कश्मीर के चीफ सेक्रेटरी रहे. इसके अलावा राम सिंह तकी और नाजिन विद्यार्थी के रूप में दो आईपीएस अधिकारी भी इस गांव ने दिए. लाहौल स्पीति जिले का पहला आईएएस, पहला डॉक्टर, पहली महिला डॉक्टर, पहला इंजीनियर, पहला एयर फोर्स अधिकारी भी इसी गांव ने दिए हैं.

Tholang village of Himachal
एसएस कपूर (पूर्व मुख्स सचिव, जम्मू कश्मीर सरकार.

हर फील्ड में ठोलंग का सिक्का: ठोलग गांव से तीन आईएएस, दो आईपीएस के अलावा 7 आईआरएस, 14 एमबीबीएस, 16 इंजीनियर्स, 5 पीएचडी, 6 आर्मी ऑफिसर हैं. 37 शिक्षा विभाग में, एक फिल्म उद्योग में, 3 फैशन डिजाइनिंग (Government officers from Tholang village) के क्षेत्र में हैं. वहीं, 2 पायलट, 2 वेटरनरी डॉक्टर , 3 आयुर्वेदिक डॉक्टर, दो हिमाचल सिविल सर्विसेज के अधिकारी, एक उद्यान विभाग के डिप्टी डारेक्टर के पद पर तैनात हैं. लाहौल-स्पीति जिले के पहले एमबीबीएस डॉक्टर प्रेम चन्द भी ठोलंग गांव से सम्बन्ध रखते थे. जो बाद में कुल्लू के मुख्य चिकित्सा अधिकारी के पद से रिटायर हुए.

Tholang village of Himachal
रामदेव. ( रिटायर्ड DPRO)

6 महीने दुनिया से कट जाता है ये गांव: ठोलंग गांव हिमाचल के लाहौल स्पीति जिले में आता है जिसे शीत मरुस्थल के नाम से भी जाना जाता है. बर्फबारी के बाद हर साल ये गांव लगभग 6 महीने के लिए देश और दुनिया से कट जाता है. इस दौरान लोगों का जीना दुश्वार हो जाता है. जिला लाहौल स्पीति के गांव आज भी दुर्गम इलाकों में स्थित हैं और यहां पर उच्च शिक्षा की भी कोई व्यवस्था नहीं है. आज भी युवाओं को उच्च शिक्षा ग्रहण करने के लिए बाहरी राज्यों का रुख करना पड़ता है.

हालांकि अटल टनल बनने के बाद लाहौल घाटी में आवागमन की सुविधा आसान हुई है. ठोलंग गांव के डॉ. पीडी लाल, डीपीआरओ रामदेव, शाम आजाद का कहना है कि उन्हें अपने गांव पर नाज़ है. यहां के लोगों ने विपरीत परिस्थितियां होते हुए भी अपने आप को मुख्य धारा से जोड़े रखा और निरंतर आगे निकलते गए. छह माह शेष विश्व से कटे रहने के बाद भी गांव के लोगों ने ऐसी तरक्की कर दिखाई कि आज ठोलंग गांव सिर्फ जनजातीय क्षेत्रों ही नहीं बल्कि दूसरे गांवों के लिए एक प्रेरणास्त्रोत बन गया है.

Tholang village of Himachal
स्व. प्रेम चंद. (लाहौल स्पीति के पहले MBBS डॉक्टर.

वहीं, पंचायत प्रधान सुरेश कुमार ने बताया कि ठोलंग गांव में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले युवाओं के लिए आईएएस अधिकारी एसएस कपूर ने अपनी मां के नाम से एक लाइब्रेरी बनाई है. इस लाइब्रेरी में कई प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए किताबें रखी गई हैं. इसके अलावा गांव के अन्य लोग जोकि सरकारी और गैर-सरकारी क्षेत्र में अच्छा नाम कमा चुके हैं. उन्होंने भी लाइब्रेरी में अनेक पुस्तकें दी हैं. जिसका लाभ गांव के युवाओं को मिल रहा है.

इससे पहले रोहतांग दर्रे में भारी बर्फबारी (Snowfall in Himachal) के कारण छह महीना यह घाटी पूरे विश्व से कटी रहती थी और हेलीकॉप्टर यहां पर आवागमन की सुविधा प्रदान करता था, लेकिन शिक्षा के क्षेत्र में आज भी लाहौल घाटी में कोई बड़ी उपलब्धि नहीं है. यहां पर युवाओं को शिक्षा ग्रहण करने के लिए शिमला चंडीगढ़ दिल्ली जैसे राज्यों का रुख करना पड़ता है.

Tholang village of Himachal
पीडी लाल. (सीएमओ के पद से रिटायर्ड).

ठोलग गांव से निकले अधिकतर अधिकारी अब कुल्लू जिले या फिर अन्य जिले में रह रहे हैं. हालांकि सभी अधिकारियों के पुश्तैनी मकान व जमीन गांव में ही है और अधिकारी भी अपने गांव का भी भ्रमण करते हैं, लेकिन सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी एसएस कपूर ने ही पंचायत में एक लाइब्रेरी स्थापित की, ताकि पंचायत के युवा भी विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए अपनी तैयारी कर सकें.

वहीं, सरकार की ओर से भी गांव में शिक्षा स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करवाई गई है, लेकिन विकट भौगोलिक परिस्थितियों के कारण यह गांव उतना विकसित नहीं हो पाया जितना इसे आज के समय में होना चाहिए था, लेकिन स्थानीय पंचायत भी इसे विकसित करने की दिशा में लगातार काम कर रही है.

ये भी पढ़ें- सिरमौर: ऊपरी क्षेत्रों में भारी बर्फबारी, फिर बंद हुई संगड़ाह की 4 सड़कें

कुल्लू/लाहौल स्पीति: हिमाचल प्रदेश के जिला लाहौल-स्पीति जिसमें एक छोटा सा गांव है ठोलंग. ये गांव न सिर्फ हिमाचल प्रदेश को बल्कि पूरे देश को हैरान किए हुए है. देश के किसी गांव में अगर एक भी युवक आईएएस ऑफिसर बनता है तो पूरे गांव के लिए कितनी फक्र की बात होती है. इस गांव ने देश और प्रदेश को कई अधिकारी दिए हैं जिसके कारण इसे 'ऑफिसर्स विलेज' भी कहते हैं.

क्यों कहते हैं ऑफिसर्स विलेज: हिमाचल का ठोलंग गांव (Tholang village of Himachal) एक ऐसा गांव है जिसके हर घर में एक आईएएस या बड़ा अधिकारी पैदा होता है तो आप क्या कहेंगे. 415 की जनसंख्या वाले इस छोटे से गांव ने अब तक 100 से ज्यादा अधिकारी देश को दिए हैं. जिनमें आईएएस, आईपीएस से लेकर आईआरएस, डॉक्टर और इंजीनियर तक शामिल हैं.

Tholang village of Himachal
अमरनाथ. (लाहौल स्पीति के पहले IAS और पूर्व मुख्य सचिव हिमाचल सरकार.

हिमाचल सर्विसेज में भी कई अधिकारी इसी गांव से हैं. ठोलंग गांव ने देश को 3 आईएएस अधिकारी एएन विद्यार्थी, एसएस कपूर और शेखर विद्यार्थी दिए, इनमें से अमरनाथ विद्यार्थी हिमाचल सरकार में चीफ सेक्रेटरी के पद पर तो एसएस कपूर जम्मू-कश्मीर के चीफ सेक्रेटरी रहे. इसके अलावा राम सिंह तकी और नाजिन विद्यार्थी के रूप में दो आईपीएस अधिकारी भी इस गांव ने दिए. लाहौल स्पीति जिले का पहला आईएएस, पहला डॉक्टर, पहली महिला डॉक्टर, पहला इंजीनियर, पहला एयर फोर्स अधिकारी भी इसी गांव ने दिए हैं.

Tholang village of Himachal
एसएस कपूर (पूर्व मुख्स सचिव, जम्मू कश्मीर सरकार.

हर फील्ड में ठोलंग का सिक्का: ठोलग गांव से तीन आईएएस, दो आईपीएस के अलावा 7 आईआरएस, 14 एमबीबीएस, 16 इंजीनियर्स, 5 पीएचडी, 6 आर्मी ऑफिसर हैं. 37 शिक्षा विभाग में, एक फिल्म उद्योग में, 3 फैशन डिजाइनिंग (Government officers from Tholang village) के क्षेत्र में हैं. वहीं, 2 पायलट, 2 वेटरनरी डॉक्टर , 3 आयुर्वेदिक डॉक्टर, दो हिमाचल सिविल सर्विसेज के अधिकारी, एक उद्यान विभाग के डिप्टी डारेक्टर के पद पर तैनात हैं. लाहौल-स्पीति जिले के पहले एमबीबीएस डॉक्टर प्रेम चन्द भी ठोलंग गांव से सम्बन्ध रखते थे. जो बाद में कुल्लू के मुख्य चिकित्सा अधिकारी के पद से रिटायर हुए.

Tholang village of Himachal
रामदेव. ( रिटायर्ड DPRO)

6 महीने दुनिया से कट जाता है ये गांव: ठोलंग गांव हिमाचल के लाहौल स्पीति जिले में आता है जिसे शीत मरुस्थल के नाम से भी जाना जाता है. बर्फबारी के बाद हर साल ये गांव लगभग 6 महीने के लिए देश और दुनिया से कट जाता है. इस दौरान लोगों का जीना दुश्वार हो जाता है. जिला लाहौल स्पीति के गांव आज भी दुर्गम इलाकों में स्थित हैं और यहां पर उच्च शिक्षा की भी कोई व्यवस्था नहीं है. आज भी युवाओं को उच्च शिक्षा ग्रहण करने के लिए बाहरी राज्यों का रुख करना पड़ता है.

हालांकि अटल टनल बनने के बाद लाहौल घाटी में आवागमन की सुविधा आसान हुई है. ठोलंग गांव के डॉ. पीडी लाल, डीपीआरओ रामदेव, शाम आजाद का कहना है कि उन्हें अपने गांव पर नाज़ है. यहां के लोगों ने विपरीत परिस्थितियां होते हुए भी अपने आप को मुख्य धारा से जोड़े रखा और निरंतर आगे निकलते गए. छह माह शेष विश्व से कटे रहने के बाद भी गांव के लोगों ने ऐसी तरक्की कर दिखाई कि आज ठोलंग गांव सिर्फ जनजातीय क्षेत्रों ही नहीं बल्कि दूसरे गांवों के लिए एक प्रेरणास्त्रोत बन गया है.

Tholang village of Himachal
स्व. प्रेम चंद. (लाहौल स्पीति के पहले MBBS डॉक्टर.

वहीं, पंचायत प्रधान सुरेश कुमार ने बताया कि ठोलंग गांव में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले युवाओं के लिए आईएएस अधिकारी एसएस कपूर ने अपनी मां के नाम से एक लाइब्रेरी बनाई है. इस लाइब्रेरी में कई प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए किताबें रखी गई हैं. इसके अलावा गांव के अन्य लोग जोकि सरकारी और गैर-सरकारी क्षेत्र में अच्छा नाम कमा चुके हैं. उन्होंने भी लाइब्रेरी में अनेक पुस्तकें दी हैं. जिसका लाभ गांव के युवाओं को मिल रहा है.

इससे पहले रोहतांग दर्रे में भारी बर्फबारी (Snowfall in Himachal) के कारण छह महीना यह घाटी पूरे विश्व से कटी रहती थी और हेलीकॉप्टर यहां पर आवागमन की सुविधा प्रदान करता था, लेकिन शिक्षा के क्षेत्र में आज भी लाहौल घाटी में कोई बड़ी उपलब्धि नहीं है. यहां पर युवाओं को शिक्षा ग्रहण करने के लिए शिमला चंडीगढ़ दिल्ली जैसे राज्यों का रुख करना पड़ता है.

Tholang village of Himachal
पीडी लाल. (सीएमओ के पद से रिटायर्ड).

ठोलग गांव से निकले अधिकतर अधिकारी अब कुल्लू जिले या फिर अन्य जिले में रह रहे हैं. हालांकि सभी अधिकारियों के पुश्तैनी मकान व जमीन गांव में ही है और अधिकारी भी अपने गांव का भी भ्रमण करते हैं, लेकिन सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी एसएस कपूर ने ही पंचायत में एक लाइब्रेरी स्थापित की, ताकि पंचायत के युवा भी विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए अपनी तैयारी कर सकें.

वहीं, सरकार की ओर से भी गांव में शिक्षा स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करवाई गई है, लेकिन विकट भौगोलिक परिस्थितियों के कारण यह गांव उतना विकसित नहीं हो पाया जितना इसे आज के समय में होना चाहिए था, लेकिन स्थानीय पंचायत भी इसे विकसित करने की दिशा में लगातार काम कर रही है.

ये भी पढ़ें- सिरमौर: ऊपरी क्षेत्रों में भारी बर्फबारी, फिर बंद हुई संगड़ाह की 4 सड़कें

Last Updated : Feb 4, 2022, 6:11 PM IST
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