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ब्यास नदी के घटे पानी ने कम किया राफ्टिंग का रोमांच, जगह-जगह फंसने लगी राफ्ट

साहसिक पर्यटन के लिए विख्यात कुल्लू घाटी में कुल्लू राफ्टिंग का मजा नहीं ले पा रहे हैं. ब्यास नदी में जलस्तर कम होने से जगह-जगह राफ्ट फंसने लगी है.

Rafting is not possible due to decreasing water level in Beas river of Kullu
ब्यास नदी के घटे पानी ने कम किया राफ्टिंग का रोमांच
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Published : Dec 19, 2019, 2:30 PM IST

कुल्लू: साहसिक पर्यटन के लिए विख्यात कुल्लू घाटी में इन दिनों सैनाली खूब आनंद ले रहे हैं, लेकिन ब्यास नदी में पानी कम होने से रिवर राफ्टिंग का मजा किरकिरा होने लगा है. इन दिनों मनाली पहुंच रहे सैलानी साहसिक गतिविधियों का भरपूर लुत्फ उठा रहे हैं.

नदी में पानी की धारा कम होने से रिवर राफ्टें कई जगह पर फंसने लगी हैं. हालांकि पानी कम होने से राफ्ट और इसमें सवार पर्यटकों को किसी तरह का खतरा नहीं है, लेकिन जलस्तर कम होने से रिवर राफ्टिंग के लिए पहुंचने वाले पर्यटकों और राफ्ट संचालकों की चिंता बढ़ गई है. रिवर राफ्टिंग से घाटी के सैकड़ों युवा अपना रोजगार भी कमा रहे हैं.

बताया जा रहा है बुधवार को सेउबाग के पास कुछ राफ्ट पानी की कम मात्रा होने से फंस गई थीं, लेकिन बाद में इन्हें सुरिक्षत निकाला गया. कुल्लू वैली रिवर राफ्टिंग ऑपरेटर एसोसिएशन के अध्यक्ष श्याम अत्री ने कहा कि पहाड़ों में समय से पहले बर्फबारी होने और पानी के स्रोत जाम होने से ब्यास का जलस्तर घट गया है. उन्होंने पानी कम होने से ऑपरेटरों का नुकसान उठाना पड़ रहा है. छह सवारियों की जगह तीन से चार ही लोगों को बैठाना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि पानी घटने से राफ्ट संचालक भी चिंतित हैं.

वीडियो रिपोर्ट.

उधर, जिला पर्यटन अधिकारी बीसी राणा ने कहा कि ब्यास नदी का जलस्तर बहुत कम हो गया है, लेकिन इससे हादसा होने की संभावना बहुत कम रहती है. फिर भी ऐहतियात बरतते हुए राफ्टिंग की जा रही रही है.

ये भी पढ़ें: जीरो डिग्री टेंपरेचर का 'थर्ड डिग्री टॉर्चर', थम गया जीवन...जम गई धरती

कुल्लू: साहसिक पर्यटन के लिए विख्यात कुल्लू घाटी में इन दिनों सैनाली खूब आनंद ले रहे हैं, लेकिन ब्यास नदी में पानी कम होने से रिवर राफ्टिंग का मजा किरकिरा होने लगा है. इन दिनों मनाली पहुंच रहे सैलानी साहसिक गतिविधियों का भरपूर लुत्फ उठा रहे हैं.

नदी में पानी की धारा कम होने से रिवर राफ्टें कई जगह पर फंसने लगी हैं. हालांकि पानी कम होने से राफ्ट और इसमें सवार पर्यटकों को किसी तरह का खतरा नहीं है, लेकिन जलस्तर कम होने से रिवर राफ्टिंग के लिए पहुंचने वाले पर्यटकों और राफ्ट संचालकों की चिंता बढ़ गई है. रिवर राफ्टिंग से घाटी के सैकड़ों युवा अपना रोजगार भी कमा रहे हैं.

बताया जा रहा है बुधवार को सेउबाग के पास कुछ राफ्ट पानी की कम मात्रा होने से फंस गई थीं, लेकिन बाद में इन्हें सुरिक्षत निकाला गया. कुल्लू वैली रिवर राफ्टिंग ऑपरेटर एसोसिएशन के अध्यक्ष श्याम अत्री ने कहा कि पहाड़ों में समय से पहले बर्फबारी होने और पानी के स्रोत जाम होने से ब्यास का जलस्तर घट गया है. उन्होंने पानी कम होने से ऑपरेटरों का नुकसान उठाना पड़ रहा है. छह सवारियों की जगह तीन से चार ही लोगों को बैठाना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि पानी घटने से राफ्ट संचालक भी चिंतित हैं.

वीडियो रिपोर्ट.

उधर, जिला पर्यटन अधिकारी बीसी राणा ने कहा कि ब्यास नदी का जलस्तर बहुत कम हो गया है, लेकिन इससे हादसा होने की संभावना बहुत कम रहती है. फिर भी ऐहतियात बरतते हुए राफ्टिंग की जा रही रही है.

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साहसिक पर्यटन के लिए विख्यात कुल्लू घाटी में इन दिनों सैनाली खूब आनंद ले रहे हैं, लेकिन ब्यास नदी में पानी कम होने से रिवर राफ्टिंग का मजा किरकिरा होने लगा है। इन दिनों मनाली पहुंच रहे सैलानी साहसिक गतिविधियों का भरपूर लुत्फ उठा रहे हैं। नदी में पानी की धारा कम होने से रिवर राफ्टें कई जगह पर फंसने लगी हैं। हालांकि पानी कम होने से राफ्ट और इसमें सवार पर्यटकों को किसी तरह का खतरा नहीं है, लेकिन जलस्तर कम होने से रिवर राफ्टिंग के लिए पहुंचने वाले पर्यटकों और राफ्ट संचालकों की चिंता बढ़ गई है। रिवर राफ्टिंग से घाटी के सैकड़ों युवा अपना रोजगार भी कमा रहे हैं। बताया जा रहा है बुधवार को सेउबाग के पास कुछ राफ्ट पानी की कम मात्रा होने से फंस गई थीं, लेकिन बाद में इन्हें सुरिक्षत निकाला गया। कुल्लू वैली रिवर राफ्टिंग ऑपरेटर एसोसिएशन के अध्यक्ष श्याम अत्री ने कहा कि पहाड़ों में समय से पहले बर्फबारी होने और पानी के स्रोत जाम होने से ब्यास का जलस्तर घट गया है। उन्होंने पानी कम होने से ऑपरेटरों का नुकसान उठाना पड़ रहा है। छह सवारियों की जगह तीन से चार ही लोगों को बैठाना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि पानी घटने से राफ्ट संचालक भी चिंतित हैं।
Conclusion:


उधर, जिला पर्यटन अधिकारी बीसी राणा ने कहा कि ब्यास नदी का जलस्तर बहुत कम हो गया है, लेकिन इससे हादसा होने की संभावना बहुत कम रहती है।
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