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अंतिम चरण में अटल टनल का काम, ट्रांसवर्स वेंटिलेशन सिस्टम से मिलेगी ऑक्सीजन - टनल के भीतर प्रदूषण की मात्रा

अटल टनल में ट्रांसवर्स वेंटिलेशन सिस्टम होगा. टनल के भीतर प्रदूषण की मात्रा निर्धारित अनुपात से बढ़ जाने पर तत्काल कंट्रोल रूम में सिग्नल पहुंचेगा. वेंटिलेटर के लिए सुचारु बिजली की आपूर्ति मिलती रहे, इसके लिए टनल के साउथ पोर्टल में सब स्टेशन स्थापित किया जा रहा है.

kullu atal tunnel
अटल टनल
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Published : Jul 25, 2020, 2:27 PM IST

कुल्लू: दुनिया में सबसे ऊंचाई पर बन रही अटल टनल कई मायनों में बेमिसाल होगी. करीब चार हजार करोड़ रुपये की लागत से निर्माणाधीन अटल टनल देश में जम्मू के बाद दूसरी और दुनिया की सातवीं ऐसी टनल होगी, जिसमें ट्रांसवर्स वेंटिलेशन सिस्टम (कई सप्लाई माध्यमों से पूरी सुरंग में ताजा हवा का आना) होगा.

इस सिस्टम के तहत टनल के भीतर एक साथ कई वेंटिलेशन के माध्यम से ताजी हवा की आपूर्ति के लिए एक अलग वेंटिलेशन वाहिनी का उपयोग किया जाएगा. प्रदूषित हवा को सुरंग के एक सिरे से बाहर निकाला जाएगा. बिजली से चलने वाले अत्याधुनिक वेंटिलेटर सिस्टम को लगाया जा रहा है. यह वेंटिलेटर सिस्टम कंप्यूटर से ऑपरेट होगा.

टनल के भीतर प्रदूषण की मात्रा निर्धारित अनुपात से बढ़ जाने पर तत्काल कंट्रोल रूम में सिग्नल पहुंचेगा. वेंटिलेटर के लिए सुचारु बिजली की आपूर्ति मिलती रहे, इसके लिए टनल के साउथ पोर्टल में सब स्टेशन स्थापित किया जा रहा है. वेंटिलेटर टनल के भीतर प्रदूषण के लेवल के मुताबिक ऑटोमेटिक ऑक्सीजन की आपूर्ति करने के साथ टनल के भीतर से पाइप लाइन के जरिए जहरीली हवा को टनल से बाहर फेंकेंगे.

पिछले करीब 10 सालों से जिस अटल टनल के बनने का पूरे देश को इंतजार है, उसका काम अब सिर्फ एक महीने के भीतर खत्म होने जा रहा है. पीर पंजाल की पूर्वी चोटी के भूगर्भ को भेदकर बनाई जा रही 8.8 किमी लंबी ट्रेफिक टनल अपने आप में आधुनिक विज्ञान का एक चमत्कार होगा. जम्मू-कश्मीर में 9.2 किमी लंबी चेनानी-नैशारी सुरंग के बाद अब अटल टनल में जिस वेंटिलेटर सिस्टम का उपयोग किया जा रहा है, वह विज्ञान के आधुनिक टेक्नोलॉजी की मिसाल पेश करेगा.

रोहतांग टनल में तैनात बीआरओ के अधिकारी कर्नल परीक्षित मेहरा का कहना है कि अटल टनल के भीतर जिस वेंटिलेशन सिस्टम का उपयोग किया जा रहा है भविष्य में इसके खराब होने की आशंका बहुत कम रहेगी. टनल की लंबाई के मद्देनजर सुरक्षा को देखते हुए वेंटिलेशन सिस्टम को लगाया जा रहा है.

ये भी पढ़ें: पंजाब से सेब की पैकिंग करने आया व्यक्ति कोरोना पॉजिटिव, 2 की रिपोर्ट नेगेटिव

कुल्लू: दुनिया में सबसे ऊंचाई पर बन रही अटल टनल कई मायनों में बेमिसाल होगी. करीब चार हजार करोड़ रुपये की लागत से निर्माणाधीन अटल टनल देश में जम्मू के बाद दूसरी और दुनिया की सातवीं ऐसी टनल होगी, जिसमें ट्रांसवर्स वेंटिलेशन सिस्टम (कई सप्लाई माध्यमों से पूरी सुरंग में ताजा हवा का आना) होगा.

इस सिस्टम के तहत टनल के भीतर एक साथ कई वेंटिलेशन के माध्यम से ताजी हवा की आपूर्ति के लिए एक अलग वेंटिलेशन वाहिनी का उपयोग किया जाएगा. प्रदूषित हवा को सुरंग के एक सिरे से बाहर निकाला जाएगा. बिजली से चलने वाले अत्याधुनिक वेंटिलेटर सिस्टम को लगाया जा रहा है. यह वेंटिलेटर सिस्टम कंप्यूटर से ऑपरेट होगा.

टनल के भीतर प्रदूषण की मात्रा निर्धारित अनुपात से बढ़ जाने पर तत्काल कंट्रोल रूम में सिग्नल पहुंचेगा. वेंटिलेटर के लिए सुचारु बिजली की आपूर्ति मिलती रहे, इसके लिए टनल के साउथ पोर्टल में सब स्टेशन स्थापित किया जा रहा है. वेंटिलेटर टनल के भीतर प्रदूषण के लेवल के मुताबिक ऑटोमेटिक ऑक्सीजन की आपूर्ति करने के साथ टनल के भीतर से पाइप लाइन के जरिए जहरीली हवा को टनल से बाहर फेंकेंगे.

पिछले करीब 10 सालों से जिस अटल टनल के बनने का पूरे देश को इंतजार है, उसका काम अब सिर्फ एक महीने के भीतर खत्म होने जा रहा है. पीर पंजाल की पूर्वी चोटी के भूगर्भ को भेदकर बनाई जा रही 8.8 किमी लंबी ट्रेफिक टनल अपने आप में आधुनिक विज्ञान का एक चमत्कार होगा. जम्मू-कश्मीर में 9.2 किमी लंबी चेनानी-नैशारी सुरंग के बाद अब अटल टनल में जिस वेंटिलेटर सिस्टम का उपयोग किया जा रहा है, वह विज्ञान के आधुनिक टेक्नोलॉजी की मिसाल पेश करेगा.

रोहतांग टनल में तैनात बीआरओ के अधिकारी कर्नल परीक्षित मेहरा का कहना है कि अटल टनल के भीतर जिस वेंटिलेशन सिस्टम का उपयोग किया जा रहा है भविष्य में इसके खराब होने की आशंका बहुत कम रहेगी. टनल की लंबाई के मद्देनजर सुरक्षा को देखते हुए वेंटिलेशन सिस्टम को लगाया जा रहा है.

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