कुल्लू: हिमाचल प्रदेश में कण-कण में देवी देवता का वास है. देवी-देवता भी अपनी शक्ति का यहां भक्तों को प्रत्यक्ष प्रमाण देते हैं. देवी देवता अपने गुर के माध्यम से कई बार तेजधार हथियारों से शरीरों को बींधते हैं, तो कई बार दहकते अंगारों पर भी देव नृत्य किया जाता है.
ऐसा ही नजारा जिला कुल्लू के पिप्लागे गांव में देखने को मिला. जहां माता नैना की वार्षिक जाग में गुर, चेले व चेलियां सबके सामने दहकते अंगारों पर कूद पड़े और यह दृश्य देख कर सभी लोग देव शक्ति के आगे नतमस्तक हो गए. पिप्लागे गांव में माता नैना का 21 वां जागरण बड़े हर्षोल्लास से मनाया गया. इस जाग महोत्सव में माता भद्रकाली, माता कोयला, माता शीतला, माता छत्रेश्वरी अपने कारकूनों और हरियानों सहित विशेष रूप से शामिल हुईं.
मंदिर में शोभला सा तेरा दरबार, तेरे मंदिर रा नजारा, आज होना दीदार मइया दा, मां नैना महामाया भजन के माध्यम से माता के पुजारी अमित महंत ने सभी श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर दिया. वहीं, रात्रि एक बजे माता नैना, भद्रकाली अपने कारकूनों, हरियानों सहित ढोल नगाड़े के साथ मंदिर में प्रवेश किया और अंगारों के चारों ओर परिक्रमा की.
इस जाग की खास बात यह है कि यहां पर माता के गुर, चेलियां, जलते हुए अंगारों पर चलकर अपनी शक्ति को एक बार फिर से प्रमाणित किया. इस जाग को देखने के लिए हिमाचल प्रदेश के दूसरे जिलों से भी लोग आते हैं और उनकी माता में गहरी आस्था और विश्वास है.
भद्रकाली माता के पुजारी अमित महंत ने कहा कि माता नैना की 21 वीं जागरण (जाग) बड़ी धूमधाम से मनाई गई. इस जाग की अद्भुत बात यह है कि यहां पर माता के गुर, चेलियां, माता का रथ, आग के अंगारों पर चलते हैं. माता रानी की कृपा से किसी के भी पैर में आंच तक नहीं आती. ये सब माता की शक्ति से ही संभव है.
गौर रहे कि इस जाग के दिन माता सभी भक्तों के दुखों का निवारण करती हैं और सभी को मनवांछित फल प्रदान करती हैं. सभी भक्त नारियल लेकर आते हैं और माता रानी नारियल के माध्यम से सभी भक्तों के ग्रहों का निवारण करती हैं.
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