हमीरपुर: प्रदेश सरकार ने बेरोजगार कला अध्यापकों को आरटीई का हवाला देकर अंधेरे में रखा जा रहा है. शिक्षा विभाग ने कला अध्यापक की नियुक्ति पर अभी तक कोई फैसला नहीं लिया है. जबकि कला विषय के महत्व को देखते हुए सीबीएसई ने इसे अनिवार्य विषय घोषित करने के आदेश जारी किए गए हैं.
जानकारी के अनुसार प्रदेश के स्कूलों में इस समय 1500 के करीब कला अध्यापकों के पद रिक्त चल रहे हैं. इनका कहना है कि प्रदेश सरकार से रिक्त पदों को भरने की मांग करने पर आरटीई और स्टैंडिंग पूल का हवाला दिया जाता है. हैरानी की बात यह है कि प्रदेश सरकार सरकारी स्कूलों में उच्च गुणवत्ता की शिक्षा प्रदान करने का दावा करती है लेकिन स्कूलों में पढ़ाए जाने वाले विषयों के अध्यापक उपलब्ध नहीं होते हैं तो ऐसे में गुणवत्ता की बात करना बेमानी है.
कला अध्यापकों ने कहा कि कला का विषय के साथ गहरा संबंध है और कला समाज का दर्पण है. बच्चा अपने भावों को कला के माध्यम से प्रकट कर सकता है. राजकीय सी एंड वी अध्यापक संघ की 29 अप्रैल को हुई बैठक के दौरान शिक्षा निदेशक मनमोहन शर्मा व उपनिदेशक हितेश आजाद नें स्कूलों में कला विषय को अनिवार्य करने का आश्वासन दिया था लेकिन अभी तक कोई फैसला नहीं लिया गया है. प्रदेश के कला अध्यापकों नें सरकार से कला विषय को अनिवार्य करने व रिक्त पदों को शीघ्र भरने का आग्रह किया है.