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दिल्ली में हिमाचल के कारोबारियों ने किया दो करोड़ का बिजनेस, चम्बा रुमाल और कुल्लू शाल की रही धूम - HIMACHAL HIM MAHOTSAV

15 दिवसीय हिमाचल प्रदेश हिम महोत्सव कल देर शाम दिल्ली हाट में संपन्न हुआ. हिमाचली कारोबारियों ने इस दौरान दो करोड़ का कारोबार किया.

हिम महोत्सव
हिम महोत्सव 2025 (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Jan 14, 2025, 4:27 PM IST

शिमला: राज्य की सांस्कृतिक विरासत, शिल्प और व्यंजनों का भव्य जश्न मनाने वाला 15 दिवसीय हिमाचल प्रदेश हिम महोत्सव कल देर शाम दिल्ली हाट में संपन्न हुआ. हिम महोत्सव का आयोजन हिमाचल प्रदेश सरकार ने केंद्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय (एमएसएमई) के सहयोग से किया गया. महोत्सव में न केवल राज्य की कलात्मक विरासत को प्रदर्शित किया गया, बल्कि स्थानीय कारीगरों को 2 करोड़ रुपये का कारोबार भी दिया गया.

महोत्सव से जहां कारीगरों के उत्पादों को व्यापक स्तर पर पहचान मिली वहीं सांस्कृतिक संरक्षण के साथ-साथ आर्थिक प्रगति भी सुनिश्चित हुई. उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत करते हुए कहा कि, 'हिम महोत्सव ने हिमाचल प्रदेश की समृद्ध सांस्कृतिक परंपराओं और आधुनिक व्यावसायिक दुनिया में अलग पहचान बनाई है. हिम महोत्सव ने राज्य के विविध हस्तशिल्प, पारंपरिक परिधानों और व्यंजनों को पहचान दिलाने के साथ-साथ कारीगरों के लिए सफलतापूर्वक नए व्यावसायिक अवसर सृजित किए हैं. इस तरह की पहल से पारंपरिक शिल्पकला को समसामयिक व्यापार गतिविधियों के साथ-साथ आगे बढ़ने में मदद मिलेगी.'

उद्योग विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव आरडी नजीम ने लोगों से मिली प्रतिक्रिया की सराहना करते हुए कहा कि, 'इससे हिमाचली शिल्प में देश की बढ़ती रुचि की झलक दिखती है. इस सफलता से कारीगरों के लिए नए अवसर सृजित होंगे और राष्ट्रीय मंच पर हिमाचल की उपस्थिति और मजबूत होगी.'

महोत्सव में विभिन्न प्रकार के 60 स्टॉल लगाए गए, जहां कारीगरों ने ऊनी शॉल, चंबा रूमाल, कांगड़ा पेंटिंग और पारंपरिक आभूषणों सहित हस्तनिर्मित उत्पादों की एक विस्तृत श्रृंखला प्रदर्शित की. इसके अतिरिक्त राज्य के प्रसिद्ध व्यंजन हिमाचली धाम के जायके ने आगंतुकों को आकर्षित किया, जिससे प्रदेश की संस्कृति का अनुभव और समृद्ध हुआ. हिमाचल की जीवंत सांस्कृतिक परंपराओं का जश्न मनाते हुए कार्यक्रम में कांगड़ा के गद्दी नृत्य और सिरमौर की नाटी भी शानदार प्रस्तुति दी गई. ग्रैंड फिनाले में हिमाचली फैशन शो भी हुआ, जिसमें पारंपरिक परिधानों का प्रदर्शन किया गया, जो इस उत्सव का मुख्य आकर्षण रहा.

बता दें कि हिम महोत्सव प्रदेश के कारीगरों के लिए एक उम्मीद की किरण बन गया है, जिसमें पारंपरिक कला को आधुनिक व्यवसायिक गतिविधियों के साथ जोड़ा गया है. महोत्सव ने हिमाचल की समृद्ध विरासत के लिए एक राष्ट्रीय मंच प्रदान किया है और भविष्य की पीढ़ियों के लिए संस्कृति के संरक्षण और विकास को सुनिश्चित करने में मदद की है.

ये भी पढ़ें: सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कई विभागों की ली समीक्षा बैठक, अधिकारियों को दिए ये निर्देश

शिमला: राज्य की सांस्कृतिक विरासत, शिल्प और व्यंजनों का भव्य जश्न मनाने वाला 15 दिवसीय हिमाचल प्रदेश हिम महोत्सव कल देर शाम दिल्ली हाट में संपन्न हुआ. हिम महोत्सव का आयोजन हिमाचल प्रदेश सरकार ने केंद्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय (एमएसएमई) के सहयोग से किया गया. महोत्सव में न केवल राज्य की कलात्मक विरासत को प्रदर्शित किया गया, बल्कि स्थानीय कारीगरों को 2 करोड़ रुपये का कारोबार भी दिया गया.

महोत्सव से जहां कारीगरों के उत्पादों को व्यापक स्तर पर पहचान मिली वहीं सांस्कृतिक संरक्षण के साथ-साथ आर्थिक प्रगति भी सुनिश्चित हुई. उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत करते हुए कहा कि, 'हिम महोत्सव ने हिमाचल प्रदेश की समृद्ध सांस्कृतिक परंपराओं और आधुनिक व्यावसायिक दुनिया में अलग पहचान बनाई है. हिम महोत्सव ने राज्य के विविध हस्तशिल्प, पारंपरिक परिधानों और व्यंजनों को पहचान दिलाने के साथ-साथ कारीगरों के लिए सफलतापूर्वक नए व्यावसायिक अवसर सृजित किए हैं. इस तरह की पहल से पारंपरिक शिल्पकला को समसामयिक व्यापार गतिविधियों के साथ-साथ आगे बढ़ने में मदद मिलेगी.'

उद्योग विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव आरडी नजीम ने लोगों से मिली प्रतिक्रिया की सराहना करते हुए कहा कि, 'इससे हिमाचली शिल्प में देश की बढ़ती रुचि की झलक दिखती है. इस सफलता से कारीगरों के लिए नए अवसर सृजित होंगे और राष्ट्रीय मंच पर हिमाचल की उपस्थिति और मजबूत होगी.'

महोत्सव में विभिन्न प्रकार के 60 स्टॉल लगाए गए, जहां कारीगरों ने ऊनी शॉल, चंबा रूमाल, कांगड़ा पेंटिंग और पारंपरिक आभूषणों सहित हस्तनिर्मित उत्पादों की एक विस्तृत श्रृंखला प्रदर्शित की. इसके अतिरिक्त राज्य के प्रसिद्ध व्यंजन हिमाचली धाम के जायके ने आगंतुकों को आकर्षित किया, जिससे प्रदेश की संस्कृति का अनुभव और समृद्ध हुआ. हिमाचल की जीवंत सांस्कृतिक परंपराओं का जश्न मनाते हुए कार्यक्रम में कांगड़ा के गद्दी नृत्य और सिरमौर की नाटी भी शानदार प्रस्तुति दी गई. ग्रैंड फिनाले में हिमाचली फैशन शो भी हुआ, जिसमें पारंपरिक परिधानों का प्रदर्शन किया गया, जो इस उत्सव का मुख्य आकर्षण रहा.

बता दें कि हिम महोत्सव प्रदेश के कारीगरों के लिए एक उम्मीद की किरण बन गया है, जिसमें पारंपरिक कला को आधुनिक व्यवसायिक गतिविधियों के साथ जोड़ा गया है. महोत्सव ने हिमाचल की समृद्ध विरासत के लिए एक राष्ट्रीय मंच प्रदान किया है और भविष्य की पीढ़ियों के लिए संस्कृति के संरक्षण और विकास को सुनिश्चित करने में मदद की है.

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