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हिमाचल में शहादत पर अनुदान राशि कम, बढ़ाने का प्रपोजल फाइलों में दफन

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Published : Aug 18, 2022, 9:57 AM IST

हिमाचल प्रदेश देवभूमि के साथ-साथ वीरभूमि के नाम से भी जाना जाता है.सबसे अधिक हमीरपुर और कांगड़ा में सैनिक परिवारों की संख्या है. देश की आबादी के लिहाज से देखा जाए तो भारतीय सेना को मिले शौर्य सम्मानों में से हर दसवां मेडल हिमाचल के वीर के सीने पर सजा , लेकिन फिर भी भारत मां की सेवा में अपने प्राण न्योछावर करने वाले हिमाचल के सैकड़ों वीर सपूतों की शहादत के वक्त परिवारों को दी जाने वाली अनुदान राशि पंजाब से काफी कम है.

Martyrs grant amount is less in Himachal
अनुदान राशि बढ़ाने का प्रपोजल.

हमीरपुर: भारत मां की सेवा में अपने प्राण न्योछावर करने वाले हिमाचल के सैकड़ों वीर सपूत हैं, लेकिन उनकी शहादत के वक्त परिवारों को दी जाने वाली अनुदान राशि बेहद कम (Martyrs grant amount is less in Himachal) है. पंजाब को वेतन मान और अन्य शासकीय वित्तीय कार्यों के लिए अनुसरण करने वाले हिमाचल में यह राशि पांच गुना कम है. हिमाचल में सैनिकों की शहादत पर परिवारों को दी जाने वाली अनुदान राशि 20 लाख है, जबकि पंजाब में एक करोड़ है. ऐसा नहीं है कि हिमाचल में विभाग स्तर पर इसे बढ़ाने के प्रयास नहीं किए गए.

इस अनुदान राशि को बढ़ाने के लिए सरकार को सैनिक कल्याण विभाग निदेशालय हमीरपुर (Sainik Welfare Department Hamirpur) की तरफ से एक नहीं बल्कि कई दफा प्रपोजल भेजे जा चुके हैं. वर्तमान निदेशक के कार्यालय में ही एक वर्ष की अवधि में दो बार यह प्रपोजल सरकार को भेजे जा चुके हैं. सैनिकों और उनके परिवारों से जुड़ा यह मसला कागजों में ही अटक गया है. देवभूमि के साथ-साथ हिमाचल वीरभूमि के नाम से भी जाना जाती है. हिमाचल के वीर सपूतों ने मां भारती की रक्षा में सैकड़ों शहादतें दी हैं.

इतने लाख दी जाती है अनुदान राशि: आजादी से लेकर अब तक युद्ध और युद्ध जैसे हालातों में सैकड़ों सैनिक शहीद हुए हैं. वर्तमान में प्रदेश सरकार की तरफ से युद्ध और युद्ध जैसे हालातों में शहीद होने पर 20 लाख और बीमारी और अन्य कारणों से मौत होने पर पांच लाख की अनुदान राशि परिवारों को प्रदान की जाती है. छोटे पहाड़ी राज्य में शौर्य की परंपरा निरंतर मजबूत होती चली आ रही है. हिमाचल के सैकड़ों जवान देश की सरहदों की रक्षा करते हुए शहीद हुए हैं.

अनुदान राशि बढ़ाने का प्रपोजल.

हिमाचली वीर के सीने पर सजे इतने मेडल: हिमाचल के सैन्य अफसरों व जांबाजों ने युद्ध के मैदान और अन्य बहादुरी की कहानियों को साकार रूप देते हुए 1160 से अधिक शौर्य सम्मान हासिल किए हैं. इनमें भारतीय सेना के सर्वोच्च सम्मान के तौर पर 4 परमवीर चक्र, दो अशोक चक्र. दस महावीर चक्र, 18 कीर्ति चक्र, 51 वीर चक्र, 89 शौर्य चक्र व 985 अन्य सेना मेडल शामिल हैं. आबादी के लिहाज से देखा जाए तो भारतीय सेना को मिले शौर्य सम्मानों में से हर दसवां मेडल हिमाचल के वीर के सीने पर सजा है.

पंजाब के तर्ज पर राशि दिए जाने का प्रपोजल: हिमाचल प्रदेश में हर तीसरे घर से एक सैनिक देश की सेवा में है. खासकर कांगड़ा व हमीरपुर जिले में तो ये एक परंपरा सी चली आ रही है. सैनिक कल्याण विभाग के निदेशक ब्रिगेडियर मदनशील शर्मा ने कहा कि जवान की शहादत होने पर 20 लाख रूपये दिए जाते हैं. युद्ध और युद्ध जैसे हालातों में शहीद होने पर 20 लाख और बीमारी और अन्य कारणों से मौत होने पर पांच लाख की अनुदान राशि प्रदेश सरकार की ओर से दी जाती है. उन्होंने कहा कि पंजाब को हिमाचल फॉलो करता है. ऐसे में पंजाब की तर्ज पर यह राशि दिए जाने का प्रपोजल सरकार को भेजा गया है.

प्रदेश में 1.62 लाख भूतपूर्व फौजी परिवार: हिमाचल प्रदेश में तीन लाख परिवार किसी न किसी रूप से सेना व अन्य सुरक्षा बलों से जुड़े हुए हैं. यदि सेवारत सैनिकों व अफसरों की बात की जाए तो हिमाचल प्रदेश के थलसेना में ही 55 हजार अफसर व जवान हैं. सेवारत सैनिकों के स्पष्ट आंकड़े प्रदेश सरकार के पास नहीं है, लेकिन अर्द्धसैनिक बलों और तीन सेनाओं को मिलाकर यह यह आकड़ा भी एक लाख से कहीं अधिक है.

हमीरपुर और कांगड़ा में सैनिक परिवारों की संख्या अधिक: सैनिक कल्याण विभाग के निदेशक ब्रिगेडियर मदनशील शर्मा ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में 1.62 लाख भूतपूर्व फौजी परिवार हैं. एक लाख 24 पूर्व सैनिक हैं और 39 हजार पूर्व सैनिकों की विधवा है. हमीरपुर जिले में पूर्व सैनिकों की विधवा की संख्या प्रदेश में सबसे अधिक 10 हजार हैं. 15 लाख की आबादी वाले कांगड़ा में 62 हजार पूर्व सैनिक परिवार हैं. हमीरपुर में जनसंख्या की दृष्टिगत औसतन अधिक पूर्व सैनिक परिवार हैं.

ये भी पढ़े: नगर परिषद हमीरपुर के नुमाइंदों ने सरकारी कार्यक्रमों का किया बहिष्कार

हमीरपुर: भारत मां की सेवा में अपने प्राण न्योछावर करने वाले हिमाचल के सैकड़ों वीर सपूत हैं, लेकिन उनकी शहादत के वक्त परिवारों को दी जाने वाली अनुदान राशि बेहद कम (Martyrs grant amount is less in Himachal) है. पंजाब को वेतन मान और अन्य शासकीय वित्तीय कार्यों के लिए अनुसरण करने वाले हिमाचल में यह राशि पांच गुना कम है. हिमाचल में सैनिकों की शहादत पर परिवारों को दी जाने वाली अनुदान राशि 20 लाख है, जबकि पंजाब में एक करोड़ है. ऐसा नहीं है कि हिमाचल में विभाग स्तर पर इसे बढ़ाने के प्रयास नहीं किए गए.

इस अनुदान राशि को बढ़ाने के लिए सरकार को सैनिक कल्याण विभाग निदेशालय हमीरपुर (Sainik Welfare Department Hamirpur) की तरफ से एक नहीं बल्कि कई दफा प्रपोजल भेजे जा चुके हैं. वर्तमान निदेशक के कार्यालय में ही एक वर्ष की अवधि में दो बार यह प्रपोजल सरकार को भेजे जा चुके हैं. सैनिकों और उनके परिवारों से जुड़ा यह मसला कागजों में ही अटक गया है. देवभूमि के साथ-साथ हिमाचल वीरभूमि के नाम से भी जाना जाती है. हिमाचल के वीर सपूतों ने मां भारती की रक्षा में सैकड़ों शहादतें दी हैं.

इतने लाख दी जाती है अनुदान राशि: आजादी से लेकर अब तक युद्ध और युद्ध जैसे हालातों में सैकड़ों सैनिक शहीद हुए हैं. वर्तमान में प्रदेश सरकार की तरफ से युद्ध और युद्ध जैसे हालातों में शहीद होने पर 20 लाख और बीमारी और अन्य कारणों से मौत होने पर पांच लाख की अनुदान राशि परिवारों को प्रदान की जाती है. छोटे पहाड़ी राज्य में शौर्य की परंपरा निरंतर मजबूत होती चली आ रही है. हिमाचल के सैकड़ों जवान देश की सरहदों की रक्षा करते हुए शहीद हुए हैं.

अनुदान राशि बढ़ाने का प्रपोजल.

हिमाचली वीर के सीने पर सजे इतने मेडल: हिमाचल के सैन्य अफसरों व जांबाजों ने युद्ध के मैदान और अन्य बहादुरी की कहानियों को साकार रूप देते हुए 1160 से अधिक शौर्य सम्मान हासिल किए हैं. इनमें भारतीय सेना के सर्वोच्च सम्मान के तौर पर 4 परमवीर चक्र, दो अशोक चक्र. दस महावीर चक्र, 18 कीर्ति चक्र, 51 वीर चक्र, 89 शौर्य चक्र व 985 अन्य सेना मेडल शामिल हैं. आबादी के लिहाज से देखा जाए तो भारतीय सेना को मिले शौर्य सम्मानों में से हर दसवां मेडल हिमाचल के वीर के सीने पर सजा है.

पंजाब के तर्ज पर राशि दिए जाने का प्रपोजल: हिमाचल प्रदेश में हर तीसरे घर से एक सैनिक देश की सेवा में है. खासकर कांगड़ा व हमीरपुर जिले में तो ये एक परंपरा सी चली आ रही है. सैनिक कल्याण विभाग के निदेशक ब्रिगेडियर मदनशील शर्मा ने कहा कि जवान की शहादत होने पर 20 लाख रूपये दिए जाते हैं. युद्ध और युद्ध जैसे हालातों में शहीद होने पर 20 लाख और बीमारी और अन्य कारणों से मौत होने पर पांच लाख की अनुदान राशि प्रदेश सरकार की ओर से दी जाती है. उन्होंने कहा कि पंजाब को हिमाचल फॉलो करता है. ऐसे में पंजाब की तर्ज पर यह राशि दिए जाने का प्रपोजल सरकार को भेजा गया है.

प्रदेश में 1.62 लाख भूतपूर्व फौजी परिवार: हिमाचल प्रदेश में तीन लाख परिवार किसी न किसी रूप से सेना व अन्य सुरक्षा बलों से जुड़े हुए हैं. यदि सेवारत सैनिकों व अफसरों की बात की जाए तो हिमाचल प्रदेश के थलसेना में ही 55 हजार अफसर व जवान हैं. सेवारत सैनिकों के स्पष्ट आंकड़े प्रदेश सरकार के पास नहीं है, लेकिन अर्द्धसैनिक बलों और तीन सेनाओं को मिलाकर यह यह आकड़ा भी एक लाख से कहीं अधिक है.

हमीरपुर और कांगड़ा में सैनिक परिवारों की संख्या अधिक: सैनिक कल्याण विभाग के निदेशक ब्रिगेडियर मदनशील शर्मा ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में 1.62 लाख भूतपूर्व फौजी परिवार हैं. एक लाख 24 पूर्व सैनिक हैं और 39 हजार पूर्व सैनिकों की विधवा है. हमीरपुर जिले में पूर्व सैनिकों की विधवा की संख्या प्रदेश में सबसे अधिक 10 हजार हैं. 15 लाख की आबादी वाले कांगड़ा में 62 हजार पूर्व सैनिक परिवार हैं. हमीरपुर में जनसंख्या की दृष्टिगत औसतन अधिक पूर्व सैनिक परिवार हैं.

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